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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम

इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में रुपया डेरिवेटिव की शुरूआत (आईएफएससी)

आरबीआई/2019-20/145
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.17

20 जनवरी 2020

सभी प्रधिकृत डीलर

महोदया / महोदय

इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में रुपया डेरिवेटिव की शुरूआत (आईएफएससी)

प्राधिकृत डीलरों का ध्‍यान विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर) विनियमन, 2015 (दिनांक 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं.फेमा. 339/2015-आरबी) की तरफ आकर्षित किया जाता है।

2. दिनांक 4 अक्‍तूबर 2019 को जारी विकासात्‍मक और नियामक नीतियों पर वक्‍तव्‍य में की गई घोषणा के अनुसार अब यह निर्णय किया गया है कि रुपया डेरिवेटिव (विदेशी मुद्रा में निपटान) के सौदे इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर (आईएफएससी) में करने की अनुमति दी जाए, इसका आरंभ एक्‍सचेन्‍ज ट्रेडेड करेन्‍सी डेरिवेटिव (ईटीसीडी) से होगा।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक), निदेश, 2020 (दिनांक 20 जनवरी 2020 की अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी..01/ईडी(टीआरएस)-2020), की शर्तों के अनुसार आईएफएससी में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में करेन्‍सी वायदा संविदाओं को सूचीबद्ध कराया जाए, इसकी एक प्रतिलिपि अनुबद्ध है (अनुबंध I)।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं (रिज़र्व बैंक), निदेश, 2020 (दिनांक 20 जनवरी 2020 की अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.02/ईडी(टीआरएस)-2020), की शर्तों के अनुसार आइएफएससी में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं को सूचीबद्ध कराया जाए, इसकी एक प्रतिलिपि अनुबद्ध है (अनुबंध II)।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंधन विभाग (इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर) विनियमन, 2015 (अधिसूचना सं. फेमा.339/2015-आरबी दिनांक 2 मार्च 2015) में आवश्‍यक संशोधनों को शासकीय राजपत्र में राजपत्र आइडी सं. सीजी-डीएल-ई-17012020-215530 दिनांक 16 जनवरी 2020 के माध्‍यम से अधि‍सूचित किया जा चुका है, इसकी एक प्रतिलिपि अनुबद्ध है (अनुबंध-III)।

6. करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008 [अधिसूचना सं.एफईडी.1/डीजी(एसजी)-2008 दिनांक 6 अगस्‍त 2008], समय-समय पर यथा-संशोधित, और एक्‍सचेन्‍ज ट्रेडेड करेन्‍सी ऑप्‍शन (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010 (अधिसूचना सं.एफईडी.01/ईडी(एचआरके) - 2010 दिनांक 30 जुलाई 2010), समय-समय पर यथा-संशोधित, में किए गए संशोधनों को क्रमश: अनुबंध IV और V में दिया गया है।

7. उक्‍त निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ब के तहत और उक्‍त विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) के तहत जारी किया गया है।

8. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और किसी अन्‍य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो उन पर इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

भवदीय,

(शाश्‍वत महापात्र)
उप महाप्रबंधक (प्रभारी)


अनुबंध I

अधिसूचना सं. एफएमआरडी.एफएमडी.01/ईडी(टीआरएस)-2020 दिनांक 20 जनवरी 2020
इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लोकहित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ब द्वारा प्रदत्‍त और इस संबंध में प्रदत्‍त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद् द्वारा इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर (आइएफएससी) में मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी वायदा बाजार में डीलिंग करने वाले सभी व्‍यक्तियों को निम्‍नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं।

1. इन निदेशों का लघु शीर्षक और प्रवर्तन –

इन निदेशों को इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर में करेन्‍सी वायादे (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2020 कहा जाएगा और ये अपने प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होंगे।

2. परिभाषाएं –

  1. ‘अधिनियम’ का आशय है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934.

  2. ‘करेन्‍सी वायदा संविदा’ का आशय है आइएफएससी में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज में एक निर्दिष्‍ट भावी तारीख को, संविदा की तारीख को निर्दिष्‍ट कीमत पर एक मुद्रा को किसी दूसरी मुद्रा के बदले में क्रय अथवा विक्रय के लिए मानकीकृत विदेशी मुद्रा डे‍रेवेटिव संविदा का सौदा करना, लेकिन इसमें फॉरवर्ड संविदा शामिल नहीं की जाती है।

  3. ‘करेन्‍सी वायदा बाजार’ का आशय है वे बाजार जिनमें करेन्‍सी वायदा सौदे किए जाते हैं।

  4. ‘वित्‍तीय संस्‍थान’ का वही आशय रहेगा जो 2 मार्च 2015 को अधिसूचना सं.फेमा.339/2015-आरबी के माध्‍यम से जारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्‍टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्‍टर) विनियम, 2015 (समय-समय पर यथा-संशोधित) की धारा 2(ख) में निर्धारित है।

  5. ‘इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर’ का वही आशय रहेगा जो विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 (2005 का 28वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (थ) में निर्धारित किया गया है।

  6. ‘मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज’ का आशय रहेगा प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42वां अधिनियम) की धारा 4 के तहत मान्‍यता प्राप्‍त स्टॉक एक्‍सचेंज।

  7. ‘सेबी’ का आशय है भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) के तहत स्‍थापित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड।

  8. ‘एफबीआइएल संदर्भ दर’ का आशय है फाइनान्शियल बेन्‍चमार्कस्‍ इंडिया प्रावइवेट लिमिटेड द्वारा मुम्‍बई के सभी कारोबारी दिवसों पर मुद्रा युग्‍मों की दरों की आकलित और प्रकाशित दरों से है।

  9. इन निदेशों में प्रयुक्‍त किन्‍तु निर्दिष्‍ट नहीं किए गए शब्‍दों और अभिव्‍यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो अधिनियम में दिया गया है।

3. अनुमतियां –

  1. करेन्‍सी वायदा संविदाओं की अनुमति किसी भी करेन्‍सी युग्‍म में होगी उसमें रुपया निहित हो या अन्‍यथा।

  2. भारत में निवासी व्‍यक्ति, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम,1999 (1999 का 42वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (फ) में परिभाषित है, जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा खासतौर पर अनुमति नहीं दी गई हो, करेन्‍सी वायदा संविदाएं निष्‍पादित करने के पात्र नहीं होंगे।

  3. भारत से बाहर निवासी व्‍यक्ति, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42वां अधिनियम) की धारा 2 (ब) में परिभाषित है, करेन्‍सी वायदा संविदाएं निष्‍पादित करने के पात्र होंगे।

4. करेन्‍सी वायदा के फीचर –

करेन्‍सी वायदा में निम्‍नलिखित फीचर रहेगे –

  1. सभी करेन्‍सी वायदा संविदाएं भारतीय रुपये के अलावा किसी अन्‍य मुद्रा में निपटाई जाएंगी।

  2. रुपया निहित करेन्‍सी वायदा संविदाओं की निपटान कीमत, संविदा के अंतिम कारोबारी दिवस की एफबीआईएल संदर्भ दर रहेगी, जहां भी उपलब्‍ध हों। रुपया निहित और अन्‍य मुद्रा युग्‍मों के लिए करेन्‍सी वायदा संविदाएं जहां एफबीआईएल संदर्भ दर उपलब्‍ध नहीं हो, वहां निपटान कीमत ज्ञात करने के तरीके का निर्णय मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।

  3. करेन्‍सी वायदा संविदाओं के आकार, परिपक्‍वता और अन्‍य विशिष्‍टताओं का निर्णय मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।

5. पोजिशन सीमाएं –

  1. करेन्‍सी वायदा बाजार में सहभागियों की विभिन्‍न श्रेणियों हेतु पोजिशन सीमाएं सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के अनुसार रहेंगी।

  2. आइएफएससी बैंकिंग यूनिटें (जैसा कि 1 अप्रैल 2015 को जारी परिपत्र सं.आरबीआई/2014-15/533.डीबीआर.आइबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15 में निर्दिष्‍ट किया गया है) अपने विवेकानुसार सीमाओं में परिचालन करेंगी, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों में निर्धारित किया गया है।

6. जोखिम प्रबंधन उपाय –

करेन्‍सी वायदों के सौदे आरंभिक अत्‍यधिक हानि और कैलेन्‍डर स्‍प्रेड मार्जिनों को बरकरार रखने की शर्त के साथ होंगे और मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज के क्‍लीयरिंग हाउस/ क्‍लीयरिंग कार्पोरेशन इस बारे में सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के आधार पर यह सुनिश्चित करेंगे कि सहभागियों द्वारा इन मार्जिनों को बरकरार रखा जाता है।

7. निगरानी और प्रकटीकरण –

करेन्‍सी वायदा बाजार में लेन-देन की निगरानी और प्रकटीकरण सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के अनुसार किए जाएंगे।

8. करेन्‍सी वायदा एक्‍सचेंजों / क्‍लीयरिंग कार्पोरेशनों को प्राधिकृत करना –

मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज और उनके अपने-अपने क्‍लीयरिंग कार्पोरेशनों / क्‍लीयरिंग हाउसों द्वारा करेन्‍सी वायदों से सम्‍बद्ध कारोबार या अन्‍य प्रकार से निष्‍पादन तब तक नहीं करेंगे जब तक कि उनके पास रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकार नहीं दे दिया जाता है।

9. रिज़र्व बैंक की शक्तियां –

भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर सहभागियों के लिए पात्रता मानदंडों में संशोधन कर सकता है, सहभागी-अनुसार पोजिशन सीमाओं को संशोधित कर सकता है, मार्जिन निर्धारित कर सकता है और / अथवा अभिनिर्धारित सहभागियों के लिए विशिष्‍ट मार्जिन लगा सकता है, किसी अन्‍य विवेकसम्‍मत सीमा को निश्चित या संशोधित कर सकता है, या लोक हित में, वित्‍तीय स्थिरता के हित में और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के सुव्‍यवस्थित विकास के लिए अन्‍य कार्रवाई कर सकता है।

(टी. रबि शंकर)
कार्यपालक निदेशक


अनुबंध II

अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.02/ईडी(टीआरएस)-2020 दिनांक 20 जनवरी 2020
इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर (रिज़र्व बैंक) में करेन्‍सी ऑप्शन निदेश, 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लोक हित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ब द्वारा प्रदत्‍त और इस संबंध में प्रदत्‍त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद् द्वारा इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर (आइएफएससी) में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी वायदा बाजार में डीलिंग करने वाले सभी व्‍यक्तियों को निम्‍नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं।

1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन

इन निदेशों को इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर (रिज़र्व बैंक) में करेन्‍सी ऑप्‍शन निदेश, 2020 कहा जाएगा और ये अपने प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होंगे।

2. परिभाषाएं

  1. ‘अधिनियम’ का आशय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 से है।

  2. ‘करेन्‍सी ऑप्‍शन’ का आशय है आइएफएससी में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में मानकीकृत विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा के सौदे, जिनमें ऑप्‍शन के क्रेता को क्रय (कॉल ऑप्शन) / विक्रय (पुट ऑप्शन) का अधिकार तो होगा लेकिन दायित्‍व नहीं होंगे और ऑप्शन का विक्रेता (या लेखक) यह सहमति देता है कि अग्रिम रूप से सहमत कीमत पर निर्दिष्‍ट मुद्रा में सहमत और किसी अन्‍य मुद्रा में मूल्‍यवर्गित रकम (जिसे स्‍ट्राइक कीमत के रूप में जाना जाता है) पर किसी भावी निर्धारित तारीख पर विक्रय करेगा।

  3. ‘करेन्‍सी ऑप्शन बाजार’ का आशय ऐसे बाजार से है जिसमें करेन्‍सी ऑप्शनों के सौदे किए जाते हैं।

  4. ‘वित्‍तीय संस्‍थान’ का वही आशय रहेगा जो 2 मार्च 2015 को अधिसूचना सं.फेमा.339/2015-आरबी के माध्‍यम से जारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्‍टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्‍टर) विनियम, 2015 (समय-समय पर यथा-संशोधित) की धारा 2(ख) में निर्धारित है।

  5. ‘इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर’ का वही आशय रहेगा जो विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 (2005 का 28वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (थ) में निर्धारित किया गया है।

  6. ‘मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज’ का आशय रहेगा प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधियिम, 1956 (1956 का 42वां अधिनियम) की धारा 4 के तहत मान्‍यता प्राप्‍त स्टॉक एक्‍सचेंज।

  7. ‘सेबी’ का आशय है भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) के तहत स्‍थापित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड।

  8. ‘एफबीआइएल संदर्भ दर’ का आशय है फाइनान्शियल बेन्‍चमार्कस्‍ इंडिया प्रावइवेट लिमिटेड द्वारा मुम्‍बई के सभी कारोबारी दिवसों पर मुद्रा युग्‍मों की दरों की आकलित और प्रकाशित दरों से है।

  9. इन निदेशों में प्रयुक्‍त किन्‍तु निर्दिष्‍ट नहीं किए गए शब्‍दों और अभिव्‍यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो अधिनियम में दिया गया है।

3. अनुमति –

  1. करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं की अनुमति किसी भी करेन्‍सी युग्‍म में होगी उसमें रुपया निहित हो या अन्‍यथा।

  2. भारत में निवासी व्‍यक्ति, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (फ)में परिभाषित है, जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा खासतौर पर अनुमति नहीं दी गई हो, करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं निष्‍पादित करने के पात्र नहीं होंगे।

  3. भारत से बाहर निवासी व्‍यक्ति, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42वां अधिनियम) की धारा 2 (ब) में परिभाषित है, करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं निष्‍पादित करने के पात्र होंगे।

4. करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं के फीचर

करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं में निम्‍नलिखित फीचर होंगे :

  1. सभी करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं के प्रीमियम भारतीय रुपये के अलावा किसी अन्‍य मुद्रा में बताए जाएंगे।

  2. करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं के आकार, परिपक्‍वता और अन्‍य विशिष्‍टताओं का निर्णय मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।

  3. सभी करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं भारतीय रुपये के अलावा किसी अन्‍य मुद्रा में निपटाई जाएंगी।

  4. रुपया निहित करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं की निपटान कीम, संविदा के समापन की तारीख की एफबीआईएल संदर्भ दर रहेगी, जहां भी उपलब्‍ध हों। रुपया निहित और अन्‍य मुद्रा युग्‍मों के लिए करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं जहां एफबीआईएल संदर्भ दर संदर्भ दर उपलब्‍ध नहीं हो, वहां निपटान कीमत ज्ञात करने के तरीके का निर्णय मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।

5. पोजिशन सीमाएं –

  1. करेन्‍सी ऑप्शन बाजार में सहभागियों की विभिन्‍न श्रेणियों हेतु पोजिशन सीमाएं सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के अनुसार रहेंगी।

  2. आईएफएससी बैंकिंग यूनिटें (दिनांक 1 अप्रैल 2015 को जारी परिपत्र सं.आरबीआइ/2014-15/533.डीबीआर.आईबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15 में निर्दिष्‍ट किए अनुसार) अपने विवेकानुसार सीमाओं के भीतर परिचालन करेंगी, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों में निर्धारित किया गया है।

6. जोखिम प्रबंधन उपाय –

करेन्‍सी आप्‍शनों के सौदे आरंभिक अत्‍यधिक हानि और कैलेन्‍डर स्‍प्रेड मार्जिनों को बरकरार रखने की शर्त के साथ होंगे और मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज के क्‍लीयरिंग हाउस/ क्‍लीयरिंग कार्पोरेशन इस बारे में सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के आधार पर यह सुनिश्चित करेंगे कि सहभागियों द्वारा इन मार्जिनों को बरकरार रखा जाता है।

7. निगरानी और प्रकटीकरण –

करेन्‍सी ऑप्शन बाजार में लेन-देन की निगरानी और प्रकटीकरण सेबी द्वारा जारी दिशानिदेशों के अनुसार किए जाएंगे।

8. करेन्‍सी वायदा एक्‍सचेंजों / क्‍लीयरिंग कार्पोरेशनों को प्राधिकृत करना –

मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज और उनके अपने-अपने क्‍लीयरिंग कार्पोरेशनों / क्‍लीयरिंग हाउसों द्वारा करेन्‍सी आप्‍शनों से सम्‍बद्ध कारोबार या अन्‍य प्रकार से निष्‍पादन तब तक नहीं किए जाएंगे जब तक कि उन्‍हें रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकार नहीं दे दिया जाता है।

9. रिज़र्व बैंक की शक्तियां –

भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर सहभागियों के लिए पात्रता मानदंडों में संशोधन कर सकता है, सहभागी-अनुसार पोजिशन सीमाओं को संशोधित कर सकता है, मार्जिन निर्धारित कर सकता है और / अथवा अभिनिर्धारित सहभागियों के लिए विशिष्‍ट मार्जिन लगा सकता है, किसी अन्‍य विवेकसम्‍मत सीमा को निश्चित या संशोधित कर सकता है, या लोकहित में, वित्‍तीय स्थिरता के हित में और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के सुव्‍यवस्थित विकास के लिए अन्‍य कार्रवाई कर सकता है।

(टी. रबि शंकर)
कार्यपालक निदेशक


अनुबंध III

सं. फेमा.397/आरबी-2020
विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर) (संशोधन) विनियमावली, 2020

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर) विनियमावली, 2015 (दिनांक 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा.339/2015-आरबी) में निम्‍नानुसार संशोधन किए जाते हैं –

1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन –

  1. इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर) विनियमावली, 2020 कहा जाएगा।

  2. ये विनियम शाससकीय राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होंगे।

2. संशोधन –

प्रमुख विनियम 4 में निम्‍नलिखित परंतुक जोड़ा जाए :

“प्रावधान किया जाता है कि रिज़र्व बैंक सामान्‍य या विशिष्‍ट अनुमति देकर, किसी वित्‍तीय संस्‍थान या वित्‍तीय संस्‍थान की शाखा को भारतीय रुपये में ऐसा कारोबार संचालित करने की अनुमति जैसा निर्धारित करे वैसे दे सकता है, चाहे वह संस्‍था निवासी हो या अन्‍यथा।”

(टी. रबि शंकर)
कार्यपालक निदेशक

फुटनोट – प्रधान विनियमावली का प्रकाशन भारत के राजपत्र – विशेष – भाग–II, खंड 3, उप-खंड (i) में 03 मार्च 2015 को जी.एस.आर.सं.218(ई) के माध्‍यम से प्रकाशित किया गया।

(भारत के शासकीय राजपत्र –विशेष भाग III-खंड 4 में दिनांक 16 जनवरी 2020 को राजपत्र आईडी स.सीजी-डीएल-ई17012020-215530 के माध्यम से प्रकाशित)


अनुबंध IV

अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.03/ईडी(टीआरएस)-2020 दिनांक 20 जनवरी 2020
करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2020

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लोकहित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से संविधा का प्रयोजन इन निदेशों में यथा परिभाषित हेजिंग के लिए है।

  2. संविदा का नोशनल और कालावधि एक्सपोजर के मूल्य और कालावधि से अधिक नहीं हो।

  3. इसी एक्सपोजर को किसी अन्य डेरिवेटिव संविदा से हेज नहीं किया गया है।

  4. आंशिक अथवा पूर्णतया रूप से एक्सपोजर समाप्त होने पर, उक्त ‘ख’ का अनुपालन करने के लिए प्रयोक्ता ने हेज का समानुपातिक समायोजन कर दिया है, जब तक कि मूल डेरिवेटिव संविदा को हेज नहीं किए गए किसी अन्य एक्सपोजर के बदले में संपृक्त नहीं कर दिया जाता है। यदि प्राधिकृत व्यापारी के सुविचारित अभिमत में एक्सपोजर में हुआ परिवर्तन महत्त्वपूर्ण नहीं है तो हेज में कोई समायोजन करना अपेक्षित नहीं है।

  5. ऐसे मामले जिनमें एक्सपोजर का मूल्य डेरिवेटिव के नोशनल से नीचे चला जाता है, तो नोशनल को समुचित रूप से समायोजित किया जाए जब तक कि इस प्रकार का विचलन एक्सपोजर के बाजार मूल्य में परिवर्तन के कारण नहीं हुआ हो, ऐसी स्थिति में प्रयोक्ता अपने विवेकानुसार डेरिवेटिव संविदा की मूल परिपक्वता तक निरंतरता रख सकता है।

  6. यदि एक्पोजर का मूल्य निश्चित रूप से निर्धारण योग्य नहीं है, तो डेरिवेटिव संविदा को समुचित आकलनों के आधार पर बुक किया जाए। ऐसे आकलनों की समीक्षा आवधिक रूप से की जाए ताकि उक्त (घ) और (ङ) का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ब द्वारा प्रदत्‍त और इस संबंध में प्रदत्‍त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद् द्वारा इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर (आईएफएससी) में मान्‍यता प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी वायदा बाजार में डीलिंग करने वाले सभी व्‍यक्तियों को निम्‍नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं।

1. इन निदेशों का लघु शीर्षक और प्रवर्तन

इन निदेशों को करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2020 कहा जाएगा और ये 20 जनवरी 2020 से प्रभारी होंगे।

2. करेन्‍सी वायदा (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2008 में संशोधन

i. पैराग्राफ 4(ङ) को निम्‍नलिखित से प्रतिस्‍थापित किया जाएगा

“ङ. रुपया निहित करेन्‍सी वायदा संविदाओं की निपटान कीमत, संविदा के अंतिम कारोबारी दिवस की एफबीआईएल संदर्भ दर रहेगी, जहां भी उपलब्‍ध हों। रुपया निहित और अन्‍य मुद्रा युग्‍मों के लिए करेन्‍सी वायदा संविदाएं, जहां एफबीआईएल संदर्भ दर उपलब्‍ध नहीं हो, वहां निपटान कीमत ज्ञात करने के तरीके का निर्णय मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।“

ii. पैराग्राफ 11 के बाद निम्‍नलिखित नया पैराग्राफ जोड़ा जाएगा :

“12. अपवर्जन –

इन निदेशों में निहित कोई भी तथ्‍य इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी वायदों के लिए अनुमेय नहीं होगा, जहां पर ‘इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर’ का वही आशय रहेगा जो विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 (2005 का 28वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (थ) में निर्धारित किया गया है।”

(टी. रबि शंकर)
कार्यपालक निदेशक


अनुबंध V

अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.04/ईडी(टीआरएस)-2020 दिनांक 20 जनवरी 2020
एक्‍सचेंज ट्रेडेड करेन्‍सी ऑप्शन (रिज़र्व बैंक) (संशोधन) निदेश, 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लोकहित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ब द्वारा प्रदत्‍त और इस संबंध में प्रदत्‍त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद् द्वारा इन्‍टरनेशनल फाइनान्‍शियल सर्विसेज सेन्‍टर (आइएफएससी) में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी वायदा बाजार में डीलिंग करने वाले सभी व्‍यक्तियों को निम्‍नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं।

1. इन निदेशों का लघु शीर्षक और प्रवर्तन

इन निदेशों को एक्‍सचेन्‍ज ट्रेडेड करेन्‍सी ऑप्शन (रिज़र्व बैंक) (संशोधित) निदेश, 2020 कहा जाएगा और ये 20 जनवरी 2020 से प्रभावी होंगे।

2. एक्‍सचेन्‍ज ट्रेडेड करेन्‍सी ऑप्शन (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010 में संशोधन

i. पैराग्राफ 4 (छ) को निम्‍नलिखित से प्रतिस्‍थापित किया जाएगा :

“छ) रुपया निहित करेन्‍सी ऑप्शन संविदाओं की निपटान कीमत, संविदा के समापन की तारीख की एफबीआईएल संदर्भ दर रहेगी, जहां भी उपलब्‍ध हों। रुपया निहित और अन्‍य मुद्रा युग्‍मों के लिए करेन्‍सी ऑप्शन संविदाएं जहां एफबीआईएल संदर्भ दर संदर्भ दर उपलब्‍ध नहीं हो, वहां निपटान कीमत ज्ञात करने के तरीके का निर्णय मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंज द्वारा सेबी के साथ परामर्श करके किया जाएगा।“

ii. पैराग्राफ 11 के बाद निम्‍नलिखित पैराग्राफ को जोड़ा जाएगा :

“12. अपवर्जन –

इन निदेशों में निहित कोई भी तथ्‍य इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर में मान्‍यता-प्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेंजों में सूचीबद्ध करेन्‍सी ऑप्‍शनों के लिए अनुमेय नहीं होगा, जहां पर ‘इन्टरनेशनल फाइनान्शियल सर्विसेज सेन्टर’ का वही आशय रहेगा जो विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 (2005 का 28वां अधिनियम) की धारा 2 के खंड (थ) में निर्धारित किया गया है।”

(टी. रबि शंकर)
कार्यपालक निदेशक


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