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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम

सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

भारिबैंक/2012-13/465
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 94

1 अप्रैल 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में
सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक और दीर्घकालिक निवेशक, प्रत्यावर्तनीय आधार पर, सरकारी प्रतिभूतियों और किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय    डिबेंचरों (NCDs)/बांडों को, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और सेबी द्वारा, समय-समय पर यथा विनिर्दिष्ट सीमाओं के अंतर्गत खरीद सकते हैं।

2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 24 जनवरी 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.80 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने हेतु मौजूदा सीमा 25 बिलियन अमरीकी डॉलर और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों के लिए 51 बिलियन अमरीकी डॉलर (इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र प्रत्येक, के बांडों के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप-सीमा तथा अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र हेतु 1 बिलियन अमरीकी डॉलर सहित) है।

3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा सीमाओं को सरलीकृत करने के लिए वर्तमान कर्ज प्रतिभूतियों में निवेश की सीमाओं का विलयन निम्नवत दो प्रमुख श्रेणियों में किया जाए:

(i) सरकारी कर्ज प्रतिभूतियों के लिए सीमा: सरकारी प्रतिभूतियों के अंतर्गत मौजूदा उप-सीमाओं का विलयन करते हुए सरकारी प्रतिभूतियों हेतु 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा [(ए) विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा खजाना बिलों सहित सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर तथा (बी) विदेशी संस्थागत निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश करने हेतु 15 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा]; तथा

(ii) कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों के लिए सीमा: कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों की मौजूदा उप-सीमाओं का विलयन करते हुए कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों हेतु 51 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा [(ए) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के लिए 1 बिलियन अमरीकी डॉलर, (बी) विदेशी संस्थागत निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र में निवेश के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर और (सी) विदेशी संस्थागत निवेशकों/अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs)/दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर]।

4. संशोधित स्थिति का सारांश नीचे दिया गया है:

लिखत

सीमा

पात्र निवेशक

टिप्पणी

खजाना बिलों सहित सरकारी प्रतिभूतियां

25 बिलियन अमरीकी डॉलर

सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) और दीर्घकालिक निवेशक - सरकारी संपदा निधियां (एसडब्ल्यूएफ), बहुपक्षीय एजेंसियां, पेंशन/बीमा/धर्मादा निधियां, विदेशी केंद्रीय बैंक

25 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भीतर पात्र निवेशक केवल 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक खजाना बिलों में निवेश कर सकते हैं।

3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 5 में यथा उल्लिखित पात्र लिखत

51 बिलियन अमरीकी डॉलर

सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs), दीर्घकालिक निवेशक - सरकारी संपदा निधियां (एसडब्ल्यूएफ), बहुपक्षीय एजेंसियां, पेंशन/बीमा/धर्मादा निधियां, विदेशी केंद्रीय बैंक

51 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भीतर पात्र निवेशक केवल 3.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक वाणिज्यक पेपरों में निवेश कर सकते हैं।

5. अनिवासी भारतीयों के लिए सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों मे निवेश के लिए किसी  सीमा की शर्त नहीं थी । वे मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार विनियमित होते रहेंगे।

6. उल्लिखित परिवर्तन 1 अप्रैल 2013 से लागू होंगे। इस संबंध में परिचालन संबंधी दिशानिर्देश सेबी द्वारा जारी किए जाएंगे।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों और घटकों को अवगत करायें ।

8. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब संबंधित विनियमों में 01 अप्रैल 2013 के जी.एस.आर.सं.195(ई) के जरिये अधिसूचित, 26 मार्च 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 272/2013-आरबी के द्वारा संशोधन किया है।

9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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