Click here to Visit the RBI’s new website

प्रेस प्रकाशनी

(342 kb )
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

6 अप्रैल 2023

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाजारों; (ii) विनियमन और पर्यवेक्षण; और (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है।

I. वित्तीय बाजार

1. एक तटीय (ऑनशोर) गैर- प्रदेय (नॉन-डिलीवरेबल) व्युत्पन्नी बाज़ार विकसित करना

भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) का परिचालन करने वाले बैंकों को 1 जून 2020 से अनिवासियों और एक दूसरे के साथ भारतीय रुपया (आईएनआर) गैर- प्रदेय विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा (एनडीडीसी) में लेनदेन करने की अनुमति दी गई थी। तटीय आईएनआर एनडीडीसी को विकसित करने और निवासियों को उनके हेजिंग कार्यक्रमों को कुशलतापूर्वक डिज़ाइन करने की सुविधा प्रदान करने हेतु, यह निर्णय लिया गया है कि आईबीयू वाले बैंकों को तटीय बाज़ार में निवासी उपयोगकर्ताओं को आईएनआर एनडीडीसी प्रदान करने की अनुमति दी जाए। इन बैंकों के पास अपने एनडीडीसी लेनदेन को अनिवासियों के साथ और एक दूसरे के साथ विदेशी मुद्रा या आईएनआर में निपटान की सुविधा होगी, जबकि निवासियों के साथ लेनदेन का निपटान अनिवार्य रूप से आईएनआर में होगा। संबंधित दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

2. विनियामक प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ाना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित गतिविधियों को करने के लिए विभिन्न संस्थाओं को लाइसेंस/ प्राधिकरण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, विनियमित संस्थाओं को समय-समय पर विभिन्न संविधियों/ विनियमों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से कतिपय विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। वर्तमान में, इसके लिए आवेदन और अनुमोदन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होती है। 2023-24 के केंद्रीय बजट में विभिन्न विनियमों के अंतर्गत आवेदनों पर निर्णय लेने के लिए निर्धारित समय- सीमा के भीतर वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों द्वारा अनुपालन की लागत को सरल, आसान और कम करने की अपेक्षा की घोषणा की गई है। अतः, यह निर्णय लिया गया है कि 'PRAVAAH' (विनियामक आवेदन, सत्यापन और प्राधिकरण के लिए मंच) नामक एक सुरक्षित वेब आधारित केंद्रीकृत पोर्टल विकसित किया जाए, जो उत्तरोत्तर सभी कार्यों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन प्रस्तुत किए जाने हेतु लागू होगा।

3. अदावी जमाराशियों को खोजने के लिए जनता के लिए केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित करना

किसी बैंक में 10 वर्षों तक अदावी जमाराशि को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुरक्षित "जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता" (डीईए) निधि में अंतरित कर दिया जाता है। चूंकि जमाकर्ताओं का संरक्षण एक व्यापक उद्देश्य है, भारतीय रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय कर रहा है कि नई जमाराशियाँ अदावी न हों और उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद वर्तमान अदावी जमाराशि सही मालिक या लाभार्थियों को वापस कर दी जाएं। दूसरे पहलू पर, बैंक अदावी जमाराशियों की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हैं। ऐसे आंकड़ों तक जमाकर्ताओं/ लाभार्थियों की पहुंच में सुधार और विस्तार करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक वेब पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया है ताकि उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर संभावित अदावी जमाराशि के लिए कई बैंकों में खोज की जा सके। कुछ एआई उपकरणों के उपयोग से खोज परिणामों में सुधार आएगा।

4. साख संस्थाओं द्वारा साख सूचना रिपोर्टिंग तथा साख सूचना कंपनियों द्वारा प्रदान की गई साख सूचना से संबंधित शिकायत निवारण तंत्र

साख सूचना रिपोर्टिंग और साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) के कामकाज के संबंध में ग्राहकों की शिकायतों में वृद्धि के कारण, यह निर्णय लिया गया है कि साख संस्थानों (सीआई) और सीआईसी द्वारा प्रदान की जाने वाली शिकायत निवारण तंत्र और ग्राहक सेवा की प्रभावकारिता को मजबूत करने और सुधारने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार किया जाए। इस प्रयोजन के लिए, सीआईसी को रिज़र्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) के तत्वावधान में लाया गया है। इसके अलावा, निम्नलिखित उपायों को लागू करने का भी प्रस्ताव है: साख सूचना के अद्यतन/सुधार में विलंब के लिए एक मुआवजा तंत्र; ग्राहकों को एसएमएस/ईमेल अलर्ट का प्रावधान जब भी उनकी साख सूचना को सीआईसी से एक्सेस किए जाते हैं; साख संस्थाओं से सीआईसी द्वारा प्राप्त आंकड़ों को शामिल करने की समय-सीमा; और सीआईसी की वेबसाइट पर प्राप्त ग्राहक शिकायतों की संख्या और प्रकृति से संबंधित प्रकटीकरण। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

III. भुगतान और निपटान प्रणाली

5. यूपीआई के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्था का संचालन

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) एक सुदृढ़ भुगतान प्लेटफॉर्म है जिसमें कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। वर्तमान में भारत में डिजिटल भुगतान का 75% भुगतान इसके माध्यम से किया जाता है। भारत के भुगतान डिजिटलीकरण लक्ष्यों के अनुरूप उत्पादों और सुविधाओं को विकसित करने के लिए यूपीआई प्रणाली का उपयोग किया गया है। हाल ही में, रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने की अनुमति दी गई थी। वर्तमान में, यूपीआई लेनदेन बैंकों में जमा खातों के बीच किए जाते हैं, कभी-कभी वॉलेट सहित प्री-पेड उपकरणों द्वारा मध्यस्थता की जाती है। अब जमा खातों के अलावा, बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्थाओं को/से अंतरण को सक्षम करके यूपीआई के दायरे का विस्तार करने का प्रस्ताव है। दूसरे शब्दों में, यूपीआई नेटवर्क बैंकों से ऋण द्वारा वित्तपोषित भुगतान की सुविधा प्रदान करेगा। यह इस तरह की व्यवस्थाओं की लागत को कम कर सकता है और भारतीय बाजारों के लिए विशिष्ट उत्पादों के विकास में मदद कर सकता है।

इस संबंध में विस्तृत अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/23


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष