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प्रेस प्रकाशनी

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

05 दिसंबर 2019

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य विनियमन और पर्यवेक्षण को सुदृढ़ बनाने; वित्तीय बाजारों को व्यापक और मजबूत करने और भुगतान और निपटान प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।

I. विनियमन और पर्यवेक्षण

1. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक – एक्सपोजर सीमा और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के एक्सपोजर में जोखिम के संकेन्द्रण को कम करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में यूसीबी की भूमिका को और मजबूत करने के उद्देश्य से, यूसीबी से संबंधित कुछ विनियामक दिशानिर्देशों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। दिशानिर्देश मुख्य रूप से एकल और समूह / परस्पर रूप से संबद्ध उधारकर्ताओं के लिए एक्सपोजर मानदंडों, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने से संबंधित होंगे। इन उपायों द्वारा यूसीबी की आघात सहनीयता और धारणीयता को मजबूत करने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना अपेक्षित है। संशोधित मानदंडों के अनुपालन के लिए एक उचित समय सीमा प्रदान की जाएगी। हितधारक के मत को प्रकाश में लाने के लिए उपर्युक्त परिवर्तनों को प्रस्तावित करने वाला एक मसौदा परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

2. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक - वृहद ऋणों पर सूचना का केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) को रिपोर्टिंग

रिज़र्व बैंक ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वृहद ऋणों पर सूचना का एक बहुउद्देशीय केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) बनाया है जिसमें अन्य उद्देश्यों के साथ-साथ ऑफसाइट पर्यवेक्षण और वित्तीय संकट की जल्द पहचान करने की प्रक्रिया को मजबूत करना शामिल है। प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा दिए गए वृहद ऋणों के लिए इसी प्रकार का डेटाबेस बनाने के उद्देश्य से, 500 करोड़ और उससे अधिक की परिसंपत्ति वाली यूसीबी को सीआरआईएलसी रिपोर्टिंग ढांचे के तहत लाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में विस्तृत निर्देश 31 दिसंबर 2019 तक जारी कर दिए जाएंगे।

3. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए व्यापक साइबर सुरक्षा ढांचा – एक क्रमिक दृष्टिकोण

रिज़र्व बैंक ने अक्टूबर 2018 में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए बेसलाइन साइबर सुरक्षा नियंत्रण का एक सेट निर्धारित किया था। आगे जांच करने पर, यूसीबी के लिए क्रमिक दृष्टिकोण के रूप में एक व्यापक साइबर सुरक्षा ढांचे को निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है, जो उनकी डिजिटल व्यापकता, भुगतान प्रणाली परिदृश्य के साथ अंतर्संबंध, उनके द्वारा पेश किए गए डिजिटल उत्पादों और साइबर सुरक्षा जोखिम के आकलन पर आधारित होगा। इस ढांचे से बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल उत्पाद की प्रकृति, विविधता और पैमाने के आधार पर उत्तरोत्तर मजबूत सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन अनिवार्य किया जाएगा। ऐसे उपायों में अन्य बातों के साथ-साथ शामिल रहेंगे बैंक विशिष्ट ईमेल डोमेन का कार्यान्वयन; सार्वजनिक उपयोग वाली वेबसाइटों / एप्लिकेशन का आवधिक सुरक्षा मूल्यांकन; साइबर सुरक्षा घटना के रिपोर्टिंग तंत्र को मजबूत करना; अभिशासन ढांचे को मजबूत करना; और सुरक्षा संचालन केंद्र (एसओसी) की स्थापना करना। इससे साइबर सुरक्षा तत्परता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि भुगतान सेवाओं की शृंखला पेश करने वाली और उच्च सूचना प्रौद्योगिकीय व्यापकता दिलाने वाली यूसीबी साइबर सुरक्षा खतरों का समाधान करने में वाणिज्यिक बैंकों के समकक्ष बनेगी।

इस संबंध में विस्तृत निर्देश 31 दिसंबर 2019 तक जारी कर दिए जाएंगे।

4. कॉर्पोरेट ऋणों के लिए द्वितीयक बाजार का विकास – स्व-विनियामक निकाय की स्थापना

जैसा कि कॉर्पोरेट ऋणों के लिए द्वितीयक बाजार के विकास पर कार्य दल द्वारा अनुशंसा की गई है, रिज़र्व बैंक कॉर्पोरेट ऋणों के लिए द्वितीयक बाजार के विकास की दिशा में पहले कदम के रूप में एक स्व-विनियामक निकाय (एसआरबी) की स्थापना को सुगम बनाएगा। एसआरबी अन्य बातों के साथ-साथ कॉर्पोरेट ऋणों में द्वितीयक बाजार लेनदेनों से संबंधित दस्तावेजों, प्रसंविदाओं और प्रथाओं के मानकीकरण और विनियामक उद्देश्यों के अनुरूप द्वितीयक बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार होगा।

5. लघु वित्त बैंकों की 'मांग पर' लाइसेंस

06 जून 2019 को जारी द्वितीय द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2019-20 में यह घोषणा की गई थी कि लघु वित्त बैंकों की 'मांग पर' लाइसेंस के लिए मसौदा दिशानिर्देश अगस्त 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे। तदनुसार, हितधारकों और जनता से मत आमंत्रित करने के लिए मसौदा दिशानिर्देश 13 सितंबर 2019 को रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर जारी कर दिए गए थे। प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच करने के बाद, लघु वित्त बैंकों के लिए ‘मांग पर’ लाइसेंस दिशानिर्देशों को अब अंतिम रूप दे दिया गया है और इन्हें आज जारी किया जा रहा है।

6. अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र बैंकिंग इकाई (आईबीयू)

आईबीयू के परिचालन को आसान करने के उद्देश्य से और उनके द्वारा बनाए रखे जाने वाले चलनिधि कवरेज अनुपात के संबंध में, यह निर्णय लिया गया है कि आईबीयू को:

(i) फेमा 1999 के प्रावधानों और उनमें जारी विनियमों, जहां भी लागू हों, के अधीन अपने कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के विदेशी मुद्रा चालू खाते खोलने की अनुमति है; और

(ii) गैर-बैंक संस्थाओं से एक वर्ष से कम अवधि के लिए विदेशी मुद्रा में सावधि जमा को स्वीकार करने की अनुमति है और इसके परिणामस्वरूप जमा की समयपूर्व निकासी पर वर्तमान प्रतिबंध को हटा दिया जाता है।

हालांकि, उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (एचएनआई) सहित खुदरा जमा की स्वीकृति पर वर्तमान रोक जारी रहेगी। आवश्यक अनुदेश शीघ्र ही जारी किए जा रहे हैं।

7. एनबीएफ़सी-पी2पी निदेशों की समीक्षा - सकल उधारदाता सीमा और एस्क्रो खाते

रिज़र्व बैंक ने 4 अक्टूबर 2017 को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- समकक्षीय उधार प्लेटफॉर्म (एनबीएफ़सी-पी2पी) के लिए निदेश जारी किए थे। वर्तमान में, सभी पी2पी प्लेटफॉर्म पर उधारकर्ताओं और उधारदाताओं दोनों के लिए कुल सीमा 10 लाख है, जबकि एकल उधारकर्ता के लिए एक एकल ऋणदाता का एक्सपोजर सभी एनबीएफ़सी-पी2पी प्लेटफॉर्म पर 50,000 तक सीमित है। ऋण देने वाले प्लेटफॉर्म की कार्यपद्धति और उधार देने की सीमा की समीक्षा की गई और यह निर्णय लिया गया है कि ऋण देने वाले प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाने के लिए, किसी भी समय सभी उधारकर्ताओं को एक ऋणदाता का कुल एक्सपोजर सभी पी2पी प्लेटफॉर्म पर 50 लाख तक सीमित होगा। इसके अलावा, बैंक द्वारा प्रवर्तित ट्रस्टी द्वारा निधियों को अंतरित करने के लिए आवश्यक रूप से संबंधित बैंक में खोले जाने जाने वाले एस्क्रो खातों के परिचालन की वर्तमान आवश्यकता को समाप्त करने का भी प्रस्ताव है। इस संबंध में आवश्यक अनुदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

8. रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं के एटीएम स्विच एप्लिकेशन सेवा प्रदाताओं के लिए आधारभूत साइबर सुरक्षा नियंत्रण

एटीएम स्विच एप्लिकेशन हेतु साझा सेवाओं के लिए कई वाणिज्यिक बैंक, शहरी सहकारी बैंक और अन्य विनियमित इकाइयां तृतीय पक्ष एप्लिकेशन सेवा प्रदाताओं पर निर्भर हैं। चूंकि इन सेवा प्रदाताओं का भी भुगतान प्रणाली परिदृश्य में एक्सपोजर है और इसलिए ये संबंधित साइबर खतरों के संपर्क में हैं। यह निर्णय लिया गया है कि विनियमित संस्थाओं द्वारा इन सेवा प्रदाताओं के साथ किए जाने वाले अनुबंध में कुछ आधारभूत साइबर सुरक्षा नियंत्रण अनिवार्य किए जाएंगे। दिशानिर्देशों में परिनियोजन प्रक्रिया को मजबूत करने और ईकोसिस्टम में एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर में बदलाव के लिए कई उपायों के क्रियान्वयन की आवश्यकता होगी, जिसमें निरंतर निगरानी; संवेदनशील डेटा के भंडारण, प्रसंस्करण और प्रसारण पर नियंत्रण का कार्यान्वयन; फोरेंसिक परीक्षा के लिए क्षमता निर्माण और घटना प्रतिक्रिया तंत्र को और अधिक मजबूत बनाना शामिल है। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश 31 दिसंबर 2019 तक जारी किए जाएंगे।

II. वित्तीय बाजार

9. निवासियों और अनिवासियों द्वारा विदेशी मुद्रा विनिमय जोखिम की हेजिंग – अंतिम दिशा-निर्देश जारी

फरवरी 2019 में विदेशी मुद्रा विनिमय हेजिंग सुविधाओं की समीक्षा के संबंध में एक घोषणा की गई थी, इसके बाद 15 फरवरी 2019 को सार्वजनिक मत के लिए मसौदा विनियम जारी किए गए थे। ऑफशोर रुपया बाजारों पर टास्क फोर्स (अध्यक्षा: श्रीमती उषा थोरात) ने अपनी समीक्षा के आधार पर कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया था। मसौदा विनियमों को फीडबैक और टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर संशोधित किया गया है। किए गए बदलाव निम्नानुसार हैं: -

  • उपयोगकर्ता अंतर्निहित एक्सपोजर के साक्ष्य की आवश्यकता के बिना 10 मिलियन अमरीकी डालर तक के मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन काउंटर पर (ओटीसी) कर सकते हैं।

  • बैंकों को असाधारण परिस्थितियों में प्रत्याशित एक्सपोजर पर बुक किए गए हेज लेनदेन पर शुद्ध लाभ हस्तांतरित करने के लिए विवेकाधिकार प्रदान किया जाएगा।

  • सुरक्षा उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत करना कि जटिल डेरिवेटिव केवल उन उपयोगकर्ताओं को बेचे जाते हैं जो जोखिमों का प्रबंधन करने में सक्षम हैं।

अंतिम निर्देश विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) विनियमों में बदलाव की अधिसूचना के बाद जारी किए जाएंगे।

III. भुगतान एवं निपटान प्रणाली

10. नए प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई)

प्री-पेड भुगतान लिखत (पीपीआई) डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके उपयोग को और सुविधाजनक बनाने के लिए, एक नए प्रकार के पीपीआई को पेश करना प्रस्तावित है, जिसका उपयोग केवल 10,000 की सीमा तक माल और सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकता है। ऐसे पीपीआई की लोडिंग / पुनः लोडिंग केवल एक बैंक खाते से होगी और इसका उपयोग केवल डिजिटल भुगतान जैसे बिल भुगतान, व्यापारिक भुगतान आदि के लिए किया जाएगा। ऐसे पीपीआई ग्राहक से प्राप्त न्यूनतम अनिवार्य विवरण के आधार पर जारी किए जा सकते हैं। इस संबंध में दिशा-निर्देश 31 दिसंबर 2019 तक जारी किए जाएंगे।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1351


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