02 फरवरी 2017
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग बही में ब्याज दर जोखिम पर प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर बैंकिंग बही में ब्याज दर जोखिम पर प्रारूप दिशानिर्देश उपलब्ध कराए हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक इन प्रारूप दिशानिर्देशों पर फीडबैक/अभिमत आमंत्रित करता है। इस दस्तावेज में दिए गए प्रस्तावों पर फीडबैक/अभिमत 3 मार्च 2017 तक निम्नलिखित पते पर भेजे जा सकते हैं (इलेक्ट्रॉनिक प्रस्तुति को बढ़ावा दिया जाए) :
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
बैंकिंग विनियमन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय बैंक
मुंबई - 400 001
ई-मेल भेजने के लिए कृपया यहां क्लिक करें
पृष्ठभूमि
बैंकिंग बही में ब्याज दर जोखिम (आईआरआरबीबी) से अभिप्रायः बैंक की पूंजी और कमाई के लिए चालू और भावी जोखिम से है जो ब्याज दरों में प्रतिकूल प्रचलन से उत्पन्न होता है जिसके कारण बैंकिंग बही की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है। अधिक आईआरआरबीबी से बैंक के चालू पूंजी आधार और/अथवा भविष्य की कमाई पर बड़ा खतरा हो सकता है यदि उचित तरीके से संभाला नहीं जाए। प्रारूप दिशानिर्देशों में बैंकों के लिए अपेक्षित है कि वे इक्विटी के आर्थिक मूल्य (ΔEVE) और निवल ब्याज आय (ΔNII) में बदलावों का परिकलन और प्रकटन करें। बैंक जो अपनी टीयर 1 पूंजी के 15 प्रतिशत से अधिक ΔEVE रखते हैं, उनसे अपेक्षित होगा कि वे बासेल III पूंजी विनियमों के स्तंभ 2 के अनुसार उचित कार्रवाई करें। ये प्रारूप दिशानिर्देश बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस) द्वारा अप्रैल 2016 में प्रकाशित किए गए आईआरआरबीबी पर मानकों पर आधारित हैं।
4 अक्तूबर 2016 के विकासात्मक और विनियामकीय नीतिगत वक्तव्य में उल्लेख किया गया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक जनता के अभिमतों हेतु आईआरआरबीबी पर प्रारूप दिशानिर्देश जारी करेगा।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/2071 |