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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को वर्ष 2016 में डी-सिब के रूप में चिह्नित किया

25 अगस्त 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को
वर्ष 2016 में डी-सिब के रूप में चिह्नित किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को वर्ष 2016 में घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों (डी-सिब) के रूप में चिह्नित किया और अपनी बकेट संरचना को पिछले वर्ष की भांति रखा है। इन बैंकों के लिए अतिरिक्त सामान्य इक्विटी टीयर 1 (सीईटी 1) अपेक्षा पहले से ही 1 अप्रैल 2016 से शुरू की जा चुकी है तथा 1 अप्रैल 2019 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएगी। अतिरिक्त सीईटी1 अपेक्षा पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त होगी।

वर्ष 2016 के लिए घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों की अद्यतन सूची निम्नानुसार है :

बकेट बैंक जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सामान्य टीयर 1 अपेक्षा
5 - 1.0%
4 - 0.8%
3 भारतीय स्टेट बैंक 0.6%
2 - 0.4%
1 आईसीआईसीआई बैंक 0.2%

पृष्ठभूमि

रिज़र्व बैंक ने 22 जुलाई 2014 को घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों के लिए ढांचा जारी किया था। डी-सिब ढांचा रिज़र्व बैंक के लिए अगस्त 2015 से शुरू करते हुए प्रत्येक वर्ष डी-सिब के रूप में विनिर्दिष्ट बैंकों के नाम प्रकट करना अपेक्षित बनाता है। ढांचे में यह भी अपेक्षित है कि घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों को उनके प्रणालीगत महत्व के अंकों (सीआईएस) के आधार पर चार बकेटों में रखा जाएगा। जिस बकेट में डी-सिब को रखा जाता है, उसके आधार पर इसपर अतिरिक्त सामान्य इक्विटी अपेक्षा लागू होगी। इसके अतिरिक्त, जैसाकि डी-सिब ढांचे में उल्लेख किया गया है, यदि किसी विदेशी बैंक की भारत में शाखा है, तो यह वैश्विक रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंक (जी-सिब) होगी, इसे जी-सिब के रूप में भारत में लागू अतिरिक्त सीईटी1 पूंजी अधिभार बनाए रखना होगा जो भारत में इसकी जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के अनुपात में होगा।

डी-सिब ढांचे में प्रदान की गई पद्धति 31 मार्च 2015 तक बैंकों के एकत्र किए गए आंकडों के आधार पर रिज़र्व बैंक ने 31 अगस्त 2015 को भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को डी-सिब के रूप में घोषित किया था। घरेलू रूप से प्रणालीगत महत्वपूर्ण बैंकों (डी-सिब) के ढांचे और 31 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर इन दोनों बैंकों को वर्ष 2016 में फिर से डी-सिब के रूप में घोषित किया गया है।

अल्पना किल्लावाला
प्रधान परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/495


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