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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने किया राज्‍य सरकारों से संबंधित अर्थोपाय अग्रिम (डब्‍ल्‍यूएमए) योजना में संशोधन

29 जनवरी 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने किया राज्‍य सरकारों से संबंधित
अर्थोपाय अग्रिम (डब्‍ल्‍यूएमए) योजना में संशोधन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने राज्‍य सरकारों से संबंधित अर्थोपाय अग्रिमों की परामर्शदात्री समिति, 2015 (अध्‍यक्ष : श्री सुमित बोस) की सिफारिशों के आधार पर डब्‍ल्‍यूएमए योजना में संशोधन किया है। वर्ष 2015-16 के लिए संशोधित योजना निम्‍नानुसार है :

डब्‍ल्‍यूएमए की सीमाएं

1) संशोधित सूत्र के अनुसार सभी राज्‍यों के लिए डब्‍ल्‍यूएमए की राशि 32,225 करोड़ आंकी गई है जबकि पिछले वर्ष यह 15,360 करोड़ थी। राज्‍यवार सीमाएं अनुबंध में दर्शाई गई हैं।

विशेष आहरण सुविधा (एसडीएफ) की सीमाएं

2) एसडीएफ प्राप्‍त करने की सुविधा का, नीलामी खज़ाना बिलों (एटीबी) सहित भारत सरकार की प्रतिभूतियों में किए गए निवेशों की मात्रा से संबद्ध रहना जारी रहेगा। डब्‍ल्‍यूएमए प्राप्‍त करने से पहले एसडीएफ उपलब्‍ध होगी।

3) समेकित ऋण-शोधन निधि (सीएसएफ)/गारंटी उन्‍मोचन निधि (जीआरएफ) निवेश और एसडीएफ की पात्रता

    1. एसडीएफ सीमा के लिए निर्धारक कारक के रूप में सीएसएफ/जीआरएफ में वृद्धिशील निवेश बने रहेंगे।

    2. किसी सीमा के बगैर एसडीएफ की प्राप्ति के लिए सभी वृद्धिशील निवेशों (वर्तमान में एसडीएफ को डब्‍ल्‍यूएमए सीमा तक सीमित रखी जाती है) की अनुमति एक प्रोत्‍साहन के रूप में दी जाएगी।

    3. चूंकि सीएसएफ नकदी प्रवाह के अस्‍थायी अंतर पैदा हो जाने पर और आवश्‍यकता पड़ने पर किसी देयता की चुकौती हेतु एसडीएफ की प्राप्ति के लिए मददगार होती है, अत: कुछ शेष राज्‍य भी इस योजना में शामिल होने पर विचार कर सकते हैं।

एसडीएफ और डब्‍ल्‍यूएमए पर बयाज दरें

4) चूंकि रेपो दर नीति दर है, अत: एसडीएफ और डब्‍ल्‍यूएमए पर ब्‍याज दर भारतीय रिज़र्व बैंक की नीति दर, अर्थात रेपो दर से जुड़े रहना जारी रहेगा। जितने दिनों के लिए एसडीएफ/डब्‍ल्‍यूएमए बकाया रहते हों, उन सभी दिनों के लिए ब्‍याज प्रभारित किया जाएगा।

5) चूंकि एसडीएफ राज्‍य सरकारों के निवेशों की संपार्श्विक प्रतिभूति पर दी जाती है, अत: उन सभी दिनों के लिए रिपो दर से एक प्रतिशत कम राशि प्रभारित की जाएगी जितने दिनों के लिए वह बकाया रह जाती हो।

6) सामान्‍यत: डब्‍ल्‍यूएमए की अवधि अग्रिम की तारीख से अधिकतम तीन माह के लिए होगी। डब्‍ल्‍यूएमए पर बयाज दर रेपो दर होगी। यदि डब्‍ल्‍यूएमए अग्रिम की तारीख से तीन माह से अवधि के लिए बकाया रह जाता हो तो रेपो दर के साथ एक प्रतिशत की राशि जोड़कर उच्‍चतर ब्‍याज प्रभारित किया जाएगा।

ओवरड्राफ्ट (ओडी) सुविधा

7) मौजूदा ओवरड्राफ्ट विनियमन योजना में कोई बदलाव नहीं है। मौजूदा योजना में निम्‍नलिखित प्रावधान हैं :

(i) कोई राज्‍य 14 लगातार कार्यदिवसों के लिए ओवरड्राफ्ट में हो सकता है। यदि कोई राज्‍य 14 लगातार कार्यदिवसों के बाद भी ओवरड्राफ्ट में रह जाता है तो भारतीय रिज़र्व बैंक और उसकी एजेंसियां संबंधित राज्‍य सरकार को भुगतान करना बंद कर देंगी।

(ii) यदि ओवरड्राफ्ट किसी वित्‍तीय वर्ष में पहली बार पांच लगातार कार्यदिवसों के लिए डब्‍ल्‍यूएमए सीमा के 100 प्रतिशत से बढ़ जाए तो भारतीय रिज़र्व बैंक उस राज्‍य को सूचित करेगा कि वह ओवरड्राफ्ट का स्‍तर डब्‍ल्‍यूएमए के 100 प्रतिशत के भीतर ला ले। यदि ऐसी अनियमितता उस वित्‍तीय वर्ष में दूसरी बार या बार-बार हो जाए तो उपर्युक्‍त परिच्‍छेद (i), जिसमें राज्‍य को 14 लगातार कार्यदिवसों तक ओवरड्राफ्ट में रहने की अनुमति है, में किसी बात के होते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भुगतान करना बंद कर देगा।

(iii) किसी भी राज्‍य सरकार को एक तिमाही में 36 कार्यदिवसों से अधिक अवधि के लिए ओवरड्राफ्ट में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि इसका पालन न किया जाए तो उपर्युक्‍त परिच्‍छेद (i) और (ii) में किसी बात के होते हुए भुगतानों को बंद कर दिया जाएगा।

(iv) ओवरड्राफ्ट पर ब्‍याज दर निम्‍नानुसार होगी :

(क) डब्‍ल्‍यूएमए सीमा के 100 प्रतिशत तक ओवरड्राफ्ट – रेपो दर से दो प्रतिशत अधिक, तथा

(ख) डब्‍ल्‍यूएमए सीमा के 100 प्रतिशत से अधिक वाला ओवरड्राफ्ट – रेपो दर से पांच प्रतिशत अधिक।

कार्यान्‍वयन और समीक्षा

8) संशोधित सीमाएं 01 फरवरी 2016 से कार्यान्वित की जाएंगी। ये सीमाएं दो वर्षों के लिए जारी रहेंगी।

9) भारतीय रिज़र्व बैंक 2017-18 में समीक्षा करेगा जब वित्‍तीय वर्ष 2015-16 के लिए व्‍यय की अंतिम राशि उपलब्‍ध होगी। अत: डब्‍ल्‍यूएमए सीमाएं वित्‍तीय वर्ष 2018-19 के लिए डब्‍ल्‍यूएमए सीमाएं 2015-16 को समाप्‍त होने वाले तीन वर्ष के औसत आधार पर आधारित होंगी, जिसमें से लॉटरियों, राजस्‍व घाटों और पॉवर बॉण्‍ड के व्‍ययों, यदि कोई हों, को घाटा दिया जाएगा। डब्‍ल्‍यूएमए योजना का अगला संशोधन राज्‍यों की राजकोषीय स्थिति और 15वें वित्‍त आयोग की रिपोर्ट में विचार-विमर्श हेतु संभावित रोड मैप पर विचार किए जाने के बाद 2020-21 में प्रभावी किया जा सकता है।

पृष्‍ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक राज्‍य सरकारों के बैंकर होने के नाते अपने यहां बैंकिंग सुविधा प्राप्‍त कर रहे राज्‍यों को प्राप्तियों और भुगतानों के नकदी प्रवाह में पैदा होने वाले अस्‍थायी अंतरों को दूर करने हेतु डब्‍ल्‍यूएमए के रूप में समर्थन देने के लिए करार के माध्‍यम से वित्‍तीय निभाव उपलब्‍ध कराता है। इसका आशय राज्‍यों को उनके अत्‍यावश्‍यक कार्यकलापों और सामान्‍य वित्‍तीय परिचालनों को चलाते रहने के लिए समर्थन प्रदान है। डब्‍ल्‍यूएमए के अलावा, अप्रैल 1953 से एसडीएफ (जिसका नाम 2014 में बदलकर विशेष डब्‍ल्‍यूएमए हो गया) भी प्रचलन में है। जब राज्‍य सरकारों को दिए गए अग्रिमों की राशि उनके एसडीएफ और डब्‍ल्‍यूएमए सीमाओं से बढ़ जाता हो तो ओवरड्राफ्ट (ओडी) सुविधा दी जाती है।

राज्‍य वित्‍त सचिवों (2000) के अनौपचारिक समूह के अलावा, (i) श्री बी.पी.आर. विठल (1998), (ii) श्री सी. रामचंद्रन (2003), और (iii) श्री एम.पी. बेज़बरुआ (2005) की अध्‍यक्षता में क्रमश: तीन परामर्शदात्री समितियों का गठन किया गया। मौजूदा समिति इस श्रृंखला में चौथी है और इसका गठन अगस्‍त 2014 में संपन्‍न राज्‍य वित्‍त सचिवों (एसएफएस) के सम्‍मेलन में किए गए विचार-विमर्श के आधार पर किया गया। पहली बार इस समिति में डॉ. रथिन रॉय, निदेशक, राष्‍ट्रीय लोक वित्‍त एवं नीति संस्‍थान को एक बाह्य राजकोषीय विशेष्‍ज्ञ के रूप में शामिल किए जाने के अलावा छह राज्‍य वित्‍त सचिवों, अपर सचिव, पीएफ-।, भारत सरकार को सदस्‍यों के रूप में शामिल किया गया। इस समिति को सचिवीय और अनुसंधान सहयोग भारतीय रिज़र्व बैंक के आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग द्वारा दिया गया।

अनुबंध : डब्‍ल्‍यूएमए की संशोधित सीमाएं
( करोड़)
क्र.सं. राज्‍य मौजूदा सीमा संस्‍तुत सीमा प्रतिशत की वृद्धि
1 आंध्र प्रदेश 770.00 1,510.00 96.1
2 अरुणाचल प्रदेश 97.50 195.00 100.0
3 असम 450.00 940.00 108.9
4 बिहार 637.50 1,420.00 122.7
5 छत्‍तीसगढ़ 285.00 660.00 131.6
6 गोवा 97.50 170.00 74.4
7 गुजरात 945.00 1,915.00 102.6
8 हरियाणा 442.50 915.00 106.8
9 हिमाचल प्रदेश 285.00 550.00 93.0
10 जम्‍मू और कश्‍मीर 472.50 880.00 86.2
11 झारखंड 420.00 720.00 71.4
12 कर्नाटक 937.50 1,985.00 111.7
13 केरल 525.00 1,215.00 131.4
14 मध्‍य प्रदेश 690.00 1,600.00 131.9
15 महाराष्‍ट्र 1,740.00 3,385.00 94.5
16 मणिपुर 90.00 195.00 116.7
17 मेघालय 90.00 175.00 94.4
18 मिज़ोरम 82.50 160.00 93.9
19 नागालैंड 120.00 205.00 70.8
20 ओडीशा 450.00 985.00 118.9
21 पंजाब 540.00 925.00 71.3
22 राजस्‍थान 757.50 1,630.00 115.2
23 तमिलनाडु 1,095.00 2,475.00 126.0
24 तेलंगाना 550.00 1,080.00 96.4
25 त्रिपुरा 150.00 255.00 70.0
26 उत्‍तर प्रदेश 1,530.00 3,550.00 132.0
27 उत्‍तराखंड 217.50 505.00 132.2
28 पश्चिम बंगाल 817.50 1,895.00 131.8
29 पुदुच्‍चेरी 75.00 130.00 73.3
  कुल (सभी राज्‍य) 15,360.00 32,225.00 103.7

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1793


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