20 अक्टूबर 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में बैंकों द्वारा भारतीय लेखांकन मानकों (इंड एएस) के कार्यान्वयन संबंधी कार्य समूह की रिपोर्ट पर राय/फीडबैक मांगा
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत में बैंकों द्वारा भारतीय लेखांकन मानकों (इंड एएस) के कार्यान्वयन संबंधी कार्य समूह (अध्यक्ष : श्री सुदर्शन सेन, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग) की रिपोर्ट आज अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई। इस संबंध में कोई सुझाव/राय हो तो उसे 30 नवंबर 2015 तक डाक के माध्यम से प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400 001 को या नामक ई-मेल पर भेजा जा सकता है।
पृष्ठभूमि
वर्ष 2014-15 के केंद्रीय बजट में भारतीय लेखांकन मानकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों (आईएफआरएस) के बीच समाभिरूपता स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। कंपनी कार्य मंत्रालय (एमसीए), भारत सरकार ने भारतीय लेखांकन मानकों (इंड एएस) और आईएफआरएस के बीच समाभिरूपता स्थापित करने संबंधी नियमों तथा साथ ही, 2016-17 से चरणबद्ध तरीके से कंपनियों द्वारा उन्हें लागू करने संबंधी रूपरेखा को अधिसूचित किया था। बीमा कंपनियों, बैंकिंग कंपनियों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की समाभिरूपता संबंधी रूपरेखा कंपनी कार्य मंत्रालय द्वारा यथासमय घोषित किए जाने की संभावना है। रिज़र्व बैंक ने कंपनी कार्य मंत्रालय को जिस रूपरेखा की सिफारिश की है उसके अंतर्गत 2018-19 से बैंकों द्वारा इंड एएस को लागू किया जाना है और एनबीएफसी द्वारा चरणबद्ध रूप से (2018-19 और 2019-20) उन्हें लागू किया जाना है।
इन गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए बैंकों द्वारा इंड एएस को लागू किए जाने के संबंध में पैदा होने वाले मुद्दों को दूर करने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया गया। उक्त कार्य समूह ने वित्तीय लिखतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों के संबंध में सिफारिश की है।
- वित्तीय आस्तियों का वर्गीकरण और मापन
- वित्तीय देयताओं का वर्गीकरण और मापन
- हेज लेखांकन और डेरिवेटिव
- उचित मूल्य का मापन
- वित्तीय आस्तियों की हानि
- वित्तीय विवरणों का प्रस्तुतीकरण और प्रकटीकरण
- विमान्यता, समेकन और अन्य अवशिष्ट मुद्दे
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/958 |