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भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किया निवल स्थिर निधियन अनुपात संबंधी दिशानिर्देशों का प्रारूप

28 मई 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किया निवल स्थिर
निधियन अनुपात संबंधी दिशानिर्देशों का प्रारूप

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों के लिए चलनिधि मानक पर बासेल-।।। ढांचे के अंतर्गत निवल स्थिर निधियन अनुपात (एनएसएफआर) संबंधी दिशानिर्देशों का प्रारूप अपनी वेबसाइट पर आज जारी किया। उसने इस संबंध में अपनी राय यथाशीघ्र, किंतु 26 जून 2015 तक नामक ई-मेल पर भेजने का अनुरोध किया है। रिज़र्व बैंक ने 07 अप्रैल 2015 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य, 2015-16 में उक्‍त दिशानिर्देश जारी करने का प्रस्‍ताव किया था।

एनएसएफआर का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि बैंक अपनी आस्तियों और तुलन-पत्रेतर गतिविधियों की संरचना के संबंध में स्थिर निधियन प्रोफाइल बनाए रखते हैं। निधियन के नियिमत स्रोतों में बाधा आने की वजह से बैंक की चलनिधि की स्थिति खराब होने की संभावना को कम करने की दृष्टि से एक सुदृढ निधियन संरचना का होना ज़रूरी है, अन्‍यथा उसके विफल होने का जोखिम बढ़ सकता है और इससे व्‍यापक प्रणालीगत दबाव बढ़ने की संभावना है। एनएसएफआर से अल्‍पावधिक थोक निधियन पर अतिनिर्भरता कम होती है, सभी तुलन-पत्र व तुलन-पत्रेतर मदों में निहित निधियन जोखिम का बेहतर आकलन किया जा सकता है तथा निधियन स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। रिज़र्व बैंक ने यह प्रस्‍ताव किया है कि 01 जनवरी 2018 से भारत में सभी बैंकों के लिए एनएसएफआर लागू किया जाए।

पृष्‍ठभूमि

वर्ष 2007 में शुरू हुए वैश्विक वित्‍तीय संकट के परिप्रेक्ष्‍य में बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासेल समिति (बीसीबीएस) ने अधिक आघात-सह बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से वैश्विक पूंजी और चलनिधि संबंधी विनियमावली को सुदृढ बनाने हेतु कतिपय सुधारात्‍मक उपाय प्रस्‍तावित किए। दिसंबर 2010 में बासेल-।।। द्वारा चलनिधि संबंधी नियम का पाठ जारी किया गया - ‘‘बासेल-।।। : चलनिधि जोखिम मापन, मानकों और निगरानी का अंतरराष्‍ट्रीय ढांचा’’, जिसमें चलनिधि पर वैश्विक विनियामक मानकों के ब्‍योरे प्रस्‍तुत किए गए। दो अलग, किंतु अन्‍योन्‍याश्रित उद्देश्‍यों को हासिल करने हेतु बासेल समिति ने निधियन चलनिधि के संबंध में दो न्‍यूनतम मानक, यथा चल‍निधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) और निवल स्थिर निधियन अनुपात (एनएसएफआर) विनिर्दिष्‍ट किए।

वित्‍तीय बाज़ार और अर्थव्‍यवस्‍था के कार्यसंचालन के किन्‍हीं अनभिप्रेत परिणामों से निपटन के लिए की गई सांगोपांग समीक्षा के उपरांत और विभिन्‍न प्रमुख मुद्दों, खास तौर पर (i) रिटेल कारोबार गतिविधियों पर प्रभाव; (ii) आस्तियों एवं देयताओं के अल्‍पकालिक संतुलित निधियन का लेखांकन; (iii) आस्तियों एवं देयताओं दोनों के लिए एक वर्ष से कम अवधि के बकेटों का विश्‍लेषण, के अनुरूप अपने डिजाइन में सुधार करने की दृष्टि से बीसीबीएस ने अक्‍टूबर 2014 में एनएसएफआर पर अंतिम नियमों का पाठ जारी किया।

बीसीबीएस द्वारा प्रकाशित अंतिम नियमों के आधार पर और भारतीय परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा इन दिशानिर्देशों का प्रारूप जारी किया गया है।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2522


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