30 जनवरी 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गठित की शहरी सहकारी बैंकों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति
भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के कारोबार, आकार, रूपांतरण और लाइसेंसिंग की शर्तों की पुनरीक्षण करने और समुचित सुझाव देने हेतु श्री आर. गांधी, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है। उक्त समिति का गठन 20 अक्टूबर 2014 को आयोजित शहरी सहकारी बैंकों की स्थायी परामर्शदात्री समिति (एसएसी) की बैठक में की गई सिफारिश के अनुसार किया गया है।
उल्लेखनीय है कि एसएसी एक परामर्शदाता निकाय है, जिसका संयोजन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाता है। इसकी अध्यक्षता सहकारी बैंक विनियमन विभाग (डीसीबीआर) के प्रभारी उप गवर्नर द्वारा की जाती है तथा इस क्षेत्र के प्रतिनिधि, चयनित राज्य के सहकारी समिति रजिस्ट्रार और आईबीए इसके सदस्य हैं।
इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति का स्वरूप निम्नानुसार होगा :
श्री आर गांधी, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक – अध्यक्ष
श्री एम.ए. नरमावाला, सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, गुजरात
श्री एम.वी. टंकसाले, मुख्य कार्यपालक, भारतीय बैंक संघ
डॉ. एम.एल. अभ्यंकर, अध्यक्ष, सहकारी शहरी बैंकों का राष्ट्रीय परिसंघ (नैफकब)
श्री एस.के. बनर्जी, प्रबंध निदेशक, सारस्वत सहकारी बैंक लि.
श्री डी कृष्ण, भूतपूर्व मुख्य कार्यपालक, नैफकब
श्रीमती सुमा वर्मा, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, डीसीबीआर, भारतीय रिज़र्व बैंक सदस्य सचिव होंगे।
श्री जोसफ राज, संयुक्त विधि परामर्शदाता, विधि विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक स्थायी आमंत्रिती होंगे।
इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति का विचारार्थ विषय निम्नानुसार है :
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शहरी सहकारी बैंकों को क्या-क्या कारोबार (जो वाणिज्यिक बैंक करते हैं) करने की अनुमति दी जाए और उनके कारोबार की मात्रा, पूंजी अपेक्षा, विनियामक स्वरूप आदि का क्या बेंचमार्क होगा;
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सीमित विधिक शक्तियों और समाधान विकल्पों की परिस्थिति में प्रणाली को अनुचित जोखिम पहुंचाए बगैर किस हद तक शहरी सहकारी बैंकों के आकार को मौजूदा विधिक ढांचे के अंतर्गत बढ़ने दिया जाए;
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संयुक्त पूंजी बैंक के रूप में सहकारी बैंक के अंतरण हेतु विधिक ढांचे को समर्थ बनाते समय शहरी सहकारी बैंक को स्वैच्छिक रूपांतरण की अनुमति देने के लिए क्या मानदंड होना चाहिए? एक संयुक्त पूंजी बैंक के रूप में शहरी सहकारी बैंक के अधिदेशात्मक अंतरण के मामले में उसकी आस्ति के आकार, पूंजी आदि के संबंध में क्या बेंचमार्क होने चाहिए?
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यह जांच करना कि नए शहरी सहकारी बैंकों की लाइसेंसिंग संबंधी विशेषज्ञ समिति (मालेगाम समिति) की सिफारिशों के अनुसार नए शहरी सहकारी बैंकों को लाइसेंस जारी करने का सही समय है और यदि समय उपयुक्त है तो किस प्रकार मालेगाम समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने का तौर-तरीका क्या होना चाहिए;
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मालेगाम समिति के उस सुझाव को लागू करने हेतु तौर-तरीका निर्धारित करना, जिसके अनुसार निवेशकों में विश्वास पैदा करने के लिए समुचित प्रबंधन को अस्तित्व में लाने की दृष्टि से जमाराशि के मूल्य का 50 प्रतिशत मतदाता सदस्यों के पास रखा जाना हो। विकल्पत: एक ऐसी व्यावहारिक संरचना प्रस्तावित करना जिसमें अधिकांश मत निधियों के अंशदातों के पास हों;
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उपर्युक्त मदों से संबंधित अन्य कोई विषय।
उक्त समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से तीन माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। सहकारी बैंक विनियमन विभाग इस समिति के लिए आवश्यक सचिवालयीन सहायता प्रदान करेगा।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1610 |