17 जुलाई 2014
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान बैंकों और लघु बैंकों को
लाइसेंस प्रदान करने के लिए प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “भुगतान बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने” और “लघु बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने” के लिए प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए। रिज़र्व बैंक ने सभी रुचि रखने वाली पार्टियों और आमजनता से प्रारूप दिशानिर्देशों पर विचार/अभिमत मांगे हैं। प्रारूप दिशानिर्देशों पर सुझाव और अभिमत 28 अगस्त 2014 तक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 13वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को भेजे या इमेल किए जा सकते हैं।
अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे और प्रारूप दिशानिर्देशों पर प्रतिसूचना, अभिमत और सुझाव प्राप्त होने के बाद भुगतान बैंक और लघु बैंक स्थापित करने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
दोनों भुगतान बैंक और लघु बैंक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के सामान्य उद्देश्य के साथ “विशिष्ट” या “भिन्न” बैंक हैं। जबकि लघु बैंक, परिचालन के सीमित क्षेत्र में जमाराशियां और ऋण की आपूर्ति जैसे मूल बैंकिंग उत्पाद उपलब्ध कराएंगे, भुगतान बैंक मांग जमाराशि स्वीकार करने और निधियों के विप्रेषण जैसे सीमित उत्पाद उपलब्ध कराएंगे किंतु इनका अपने स्वयं के शाखा नेटवर्क या कारोबारी प्रतिनिधियों (बीसी) या अन्य द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले नेटवर्क के माध्यम से एक्सेस स्थल का व्यापक नेटवर्क होगा। ये बैंक कम लागत पर प्रौद्योगिकीय समाधानों के अनुकूलन से महत्व में संवर्धन करेंगे।
भुगतान बैंक स्थापित करने के लिए पात्र संस्थाओं में वर्तमान गैर-बैंक प्रीपेड लिखत निर्गमकर्ता (पीपीआई), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), कंपनी कारोबारी प्रतिनिधि, मोबाइल टेलीफोन कंपनियां, सुपर बाजार श्रृंखलाएं, कंपनियां, भूसंपदा क्षेत्र सहकारी समितियां और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं शामिल हैं। लघु बैंक स्थापित करने के लिए पात्र संस्थाओं में बैंकिंग और वित्त में 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले निवासी व्यक्ति, कंपनियां, सोसाइटियां, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, सूक्ष्म वित्त संस्थाएं और स्थानीय क्षेत्र बैंक शामिल हैं।
भुगतान बैंकों और लघु बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिए पात्र होने हेतु पात्र संस्थाओं को “उपयुक्त और उचित” होना चाहिए। रिज़र्व बैंक दुरुस्त प्रत्यय-पत्र और सत्यनिष्ठा; वित्तीय मजबूती और अपना कारोबार करने में कम से कम पांच वर्षों के सफल ट्रैक रिकार्ड के आधार पर आवेदकों की ‘उपयुक्त और उचित’ स्थिति का आकलन करेगा।
दोनों भुगतान और लघु बैंकों की न्यूनतम चुकता पूंजी आवश्यकता रु. 100 करोड़ रखी गई है जिसमें से प्रवर्तकों का प्रारंभिक न्यूनतम योगदान कम से कम 40 प्रतिशत होगा और इसकी लॉक-इन अवधि पांच वर्ष होगी। प्रवर्तकों की शेयरधारिता कम करके बैंक का कारोबार शुरू करने की तारीख के तीन वर्ष के अंदर 40 प्रतिशत, 10 वर्ष की अवधि के अंदर 30 प्रतिशत और 12 वर्ष के अंदर 26 प्रतिशत तक की जाए।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक ने अंतिम बार फरवरी 2013 में निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए दिशानिर्देशों का सेट प्रस्तुत किया था। लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया की पराकाष्ठा रिज़र्व बैंक द्वारा इस घोषणा (2 अप्रैल 2014 की प्रेस प्रकाशनी) के रूप में हुई कि वह दो आवेदकों को “सैद्धांतिक” अनुमोदन प्रदान करेगा जो 18 महीनों की अवधि के अंदर निजी क्षेत्र में नए बैंक स्थापित करेंगे।
दो आवेदकों को “सैद्धांतिक” अनुमोदन प्रदान करने के निर्णय की घोषणा करते हुए रिज़र्व बैंक ने यह संकेत दिया कि वह आगे दिशानिर्देशों को उचित रूप से संशोधित करने और अधिक नियमित रूप से लाइसेंस प्रदान करने की कार्रवाई करने के लिए इस लाइसेंस प्रदान करने की कार्रवाई से लिए गए अनुभव का उपयोग करना चाहेगा। इसके अतिरिक्त, रिज़र्व बैंक “भिन्न-भिन्न” बैंक लाइसेंसों की विभिन्न श्रेणियों की नीति पर कार्य करेगा जिससे बैंकिंग में व्यापक लोगों का प्रवेश होगा।
इसके अतिरिक्त, 10 जुलाई 2014 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2014-15 में वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि:
“वर्तमान ढांचे में उचित बदलाव करने के बाद वर्तमान वित्तीय वर्ष में निजी क्षेत्र में सार्वभौमिक बैंकों के निरंतर प्राधिकार के लिए एक रूपरेखा शुरू की जाएगी। भारतीय रिज़र्व बैंक लघु बैंकों और अन्य भिन्न-भिन्न बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए एक ढांचा सृजित करेगा। लघु कारोबारियों, असंगठित क्षेत्र, कम आय परिवारों, किसानों और प्रवासी कार्यबल की ऋण और विप्रेषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशिष्ट हितों को पूरा करने वाले भिन्न-भिन्न बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक, भुगतान बैंक आदि पर विचार किया जा रहा है।”
उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए भिन्न-भिन्न या प्रतिबंधित बैंकों के रूप में भुगतान बैंकों और लघु बैंकों पर प्रारूप दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। रिज़र्व बैंक सार्वभौमिक बैंकों के निरंतर प्राधिकार के लिए दिशानिर्देशों पर कार्य कर रहा है और इनके लिए अलग-अलग दिशानिर्देश तैयार करेगा।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/121 |