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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा व्यापार प्राप्य राशियों और एमएसएमई की वित्त सहायता के लिए ऋण के विनिमय संबंधी अवधारणा पत्र पर प्रतिसूचना की मांग

19 मार्च 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा व्यापार प्राप्य राशियों और एमएसएमई की
वित्त सहायता के लिए ऋण के विनिमय संबंधी अवधारणा पत्र पर प्रतिसूचना की मांग

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज व्यापार प्राप्य राशियों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की वित्त सहायता के लिए ऋण के विनिमय संबंधी अवधारणा पत्र पर प्रतिसूचना मांगी है। टिप्पणियां 20 अप्रैल 2014 या इससे पहले ईमेल या डाक द्वारा मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 14वीं मंजिल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400001 को भेजी जा सकती हैं। अवधारणा पत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है।

पृष्ठभूमि:

अर्थव्यवस्था और समाज में विकास, रोजगार और समावेशन बढ़ाने में एमएसएमई की संभावना को देखते हुए इस क्षेत्र की वित्त सहायता से संबंधित मुद्दों का समाधान करने की अति आवश्यकता है।

बहुविध मोर्चों पर प्रयास करने और विधिक और विनियामक प्रावधान करने के बावजूद एमएसएमई क्षेत्र लंबित भुगतान और अपने कंपनी क्रेताओं पर निर्भर रहने की समस्या से ग्रस्त है।

इस मामले पर वित्तीय क्षेत्र सुधार समिति (2008) और व्यापार प्राप्य राशियों के प्रतिभूतिकरण संबंधी कार्यदल की रिपोर्टों में चर्चा की गई है। रिपोर्टों में सिफारिश की गई थी कि कार्यकुशल और लागत प्रभावी फैक्टरिंग/रिवर्स फैक्टरिंग प्रक्रिया व्यवस्था के माध्यम से व्यापार प्राप्य राशियों के लिए आवश्यक चलनिधि के सृजन हेतु संस्थागत बुनियादी सुविधा रखी जाए। देश में इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग विनिमय की सुविधा देने के संबंध में 4 सितंबर 2013 को गवर्नर द्वारा दिए गए वक्तव्य ने देश में कई स्टेकधारकों का ध्यान इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और अनुभव प्रदान करने की तरफ आकर्षित किया है जिससे कि एमएसएमई की वित्त सहायता के लिए उचित बुनियादी सुविधा का निर्माण किया जा सके। 

इस अवधारणा पत्र को कुछ संस्थाओं द्वारा व्यक्त रूचि और कुछ स्टेकधारकों के परामर्श से तैयार किया गया है। पत्र में रेखांकित मॉडल प्राथमिक बाजार क्षेत्र (जिसमें बीजक पहले रिवर्स फैक्टरिंग प्रक्रिया में से गुजरते हैं जिससे कि एमएसएमई को पहले स्तर की वित्त सहायता दि जा सके) और द्वितीय बाजार खंड (जहां प्राथमिक क्षेत्र के वित्तपोषकों को इन बीजकों के लेनदेन का अवसर मिलता है) दोनों की संकल्पना करता है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से रेखांकित अनेक मुद्दों और चुनौतियों को समझकर उनका समाधान किया जाए। इस प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक ने देश में व्यापार प्राप्य राशियों और ऋण विनिमय संबंधी अवधारणा पत्र पर विचार मांगे हैं। विशिष्ट और कार्रवाई करने योग्य प्रतिसूचना को उच्च महत्व दिया जाएगा।

वैशाली कोल्‍हटकर
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1844


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