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प्रेस प्रकाशनी

वर्ष 2012-13 के लिए मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य डॉ. डी.सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रेस वक्‍तव्‍य

17 अप्रैल 2012

वर्ष 2012-13 के लिए मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य
डॉ. डी.सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रेस वक्‍तव्‍य

सबसे पहले, रिज़र्व बैंक की ओर से मैं वर्ष 2012-13 के लिए इस वार्षिक मौद्रिक नीति में आप सभी का स्‍वागत करता हूँ।

2. कुछ क्षण पहले, हमने वर्तमान समष्‍ट‍ि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर अपना वार्षिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य प्रस्‍तुत किया । हमने यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ)  के अंतर्गत रिपो दर में 50 आधार अंकों की कमी की जाए। तदनुसार, रिपो दर 8.5 प्रतिशत से कम होकर 8.0 प्रतिशत हो जाएगी।

3. इसके परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिपो दर से कम 100 आधार अंकों के अंतर पर निर्धारित रिवर्स रिपो दर 7.0 प्रतिशत पर अंशांकित हो जाती है। उसी प्रकार, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर जो रिपो दर से अधिक 100 आधार अंकों के अंतर पर है, वह समायोजित होकर 9.0 प्रतिशत हो जाएगी।

4. व्यापक चलनिधि सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हमने यह भी निर्णय लिया है कि सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) के अंतर्गत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की उधार सीमा को उनकी निवल माँग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत किया जाए।

5. ये परिवर्तन इस घोषणा के बाद तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

नीति प्रयास के पीछे की धारणा

6. मौद्रिक नीति को आसान बनाने के निर्णय के पीछे दो व्यापक धारणाएँ हैं।

7. पहली, पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि उल्लेखनीय रूप से घटकर 6.1 प्रतिशत हो गई। यद्यपि यह आशा थी कि चौथी तिमाही में इसमें कुछ सुधार होगा। वर्तमान आकलन के आधार पर, अर्थव्यवस्था स्पष्ट रूप से अपने संकट के बाद की प्रवृत्ति से नीचले स्तर पर परिचालित हो रही है।

8. दूसरी धारणा, जिसने नीति निर्णय को आकार प्रदान किया है वह है मुद्रास्फीति में गिरावट।  हेडलाइन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति जो लगभग दो वर्षों तक 9 प्रतिशत से अधिक बनी रही, वह उल्लेखनीय रूप से कम होकर मार्च 2012 तक 7 प्रतिशत से कम हो गई है। अधिक महत्वपूर्ण रूप से, खाद्येतर विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति नवंबर 2011 में सबसे 8.4 प्रतिशत के उच्च स्तर से गिरकर मार्च 2012 में 4.7 प्रतिशत हो गई, जो वास्तव में, दो वर्षों में पहली बार 5 प्रतिशत से नीचे के स्तर पर आई है।

मौद्रिक नीति रूझान

9. नीति दस्तावेज हमारी मौद्रिक नीति रूझान की तीन व्यापक सीमाओं का वर्णन भी करते हैं। वे इस प्रकार हैं :

  • पहले, नीति दरों को उन स्तरों तक समायोजित किया जाए जो वर्तमान सामान्य वृद्धि के अनुरूप हों;

  • दूसरे, माँग संचालित मुद्रास्फीतिकारी जोखिमों के दबावों को पुनः उभरने से रोकना   और

  • तीसरे, वित्तीय प्रणाली को व्यापक चलनिधि सुविधा उपलब्ध कराना।

मार्गदर्शन

10.  पहले की तरह हमने आगामी अवधि के लिए भी मार्गदर्शन दिया है।

11. रिपो दर में कटौती विकास के एक आकलन पर आधारित है। संकट के बाद, विकास की प्रवृत्ति दर कम हुई है जो कोर मुद्रास्फीति को सामान्य रखने में योगदान दे रही है। तथापि, इस बात पर ज़ोर देना होगा कि विकास का अपने प्रवृत्ति दर से हटना साधारण रहा है। साथ ही, मुद्रास्फीति का बढ़ा हुआ जोखिम बना हुआ है। उक्त धारणाएं नीति दरों में और अधिक कटौती के दायरे को सहज रूप से सीमित कर देती है।

12. इसके अलावा, पिछले महीने केन्द्रीय बजट में उल्लेख किए गए अनुसार यदि आर्थिक सहायता नहीं रोकी जाती है, तो माँग दबाव जारी रहेगा और मौद्रिक सुगमता के लिए जितनी भी जगह बाकी है उसे भी कम कर देगा। लागू मूल्यों में सुधार का हेडलाईन मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। किन्तु, मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहूँगा कि इसके प्रति उचित मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया इस बात पर निर्भर होनी चाहिए कि क्या उच्च कीमतें व्यापक मुद्रास्फीतिकारी दबावों में परिवर्तित होंगी। उक्त लागू कीमतों का सामान्यकृत मुद्रास्फीति में पास-थ्रू होने की संभावना अर्थ-व्यवस्था में कीमतों की क्षमता की मज़बूती पर निर्भर होगा। वर्तमान में, कीमतों की क्षमता अभी रूकी हुई है, किन्तु पास-थ्रू के जोखिम को पूरी तरह से नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। समग्र रूप से, राजकोषीय और चालू खाता घाटा से उभरी अस्थिरता के दृष्टिकोण से समष्टि रूप से आर्थिक स्थिरता के लिए यह अनिवार्य है कि पेट्रोलियम उत्पादों की लागू कीमतें उनके उत्पादनों की वास्तविक लागतों को दर्शाने के लिए बढ़ायी गयी हैं।

13. चलनिधि प्रबंधन पिछले वर्ष के अधिकांश समय में प्रमुख चुनौती बनी रही । तथापि, हाल के सप्ताहों में चलनिधि स्थितियां अच्छी हो गई हैं और अब वे निरंतर रूप रिज़र्व बैंक के संतोषजनक स्तर की ओर बढ़ रही हैं। यह बैंकों के एलएएफ से उधारों में गिरावट तथा मुद्रा बाजार दरों की प्रवृत्ति में प्रतिबिंबित हुआ है। बैंकों की एमएसएफ सीमा में हमारे द्वारा अभी अभी घोषित वृद्धि से चलनिधि का अतिरिक्त संतोषजनक स्तर उपलब्ध हो जाएगा। तथापि, यदि स्थिति में परिवर्तन होता है तो संतोषजनक स्तर की स्थितियों को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से यथोचित और सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

अपेक्षित परिणाम

14. हमें आशा है कि आज की नीतिगत कार्रवाई और हमने जो मार्गदर्शन दिया है उसके निम्नलिखित तीन परिणाम होंगे :

  • पहला, संकट के बाद की अपनी वर्तमान प्रवृत्ति के आस-पास वृद्धि स्थिर रहेगी।

  • दूसरा, मुद्रास्फीति के जोखिम और मुद्रास्फीति की फिर से उभरनेवाली अपेक्षाएं नियं​त्रित रहेंगी।

  • अंत में, प्रणाली को उपलब्ध चलनिधि सुविधा बढ़ जाएंगी।

वैश्विक और देशी गतिविधियां

15. हमेशा ही, हमारा निर्णय वैश्विक और देशी स्थूल आर्थिक स्थिति के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन पर आधारित होता है। अब मैं वैश्विक अर्थव्यवस्था के हमारे मूल्यांकन पर आता हूं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था

16. जनवरी 2012 में रिज़र्व बैंक की तीसरी तिमाही समीक्षा से यूरो क्षेत्र में संकट संबंधी चिंता कुछ कम हो गई है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने सीमित सुधार के संकेत देना जारी रखा है। यूरोपीयन सेंट्रल बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में चलनिधि इन्फ्यूज किए जाने से वैश्विक वित्तीय बाजारों में तनाव में उल्लेखनीय रूप से कमी आयी है। तथापि, यूरो क्षेत्र की ऋण समस्या का ठोस समाधान अभी भी सामने आना बाकी है। उदाहरण के लिए, स्पेन में हुई हाल ही की गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि यूरो क्षेत्र की सरकारी ऋण समस्या का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव जारी रहेगा ।

17. उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी वृद्धि कम हो गई है जिसमें वैश्विक वृद्धि में मौद्रिक तंगी और मंदी का संमिश्र प्रभाव परिलक्षित होता है और इन सबके बीच अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में जनवरी से लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है और वे वर्तमान स्तरों पर जारी रहने के संकेत दे रही हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था

18. देशी समग्र आर्थिक स्थिति को देखा जाए तो पिछले वर्ष आर्थिक वृद्धि में कमी आई जो पहली तिमाही में 7.7 प्रतिशत से कम होकर दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में और कम होकर 6.1 प्रतिशत हो गई। ऐसा औद्योगिक वृद्धि में आई मंदी के कारण था। सेवा क्षेत्र में वृद्धि सापेक्षतः अच्छी रही। मांग के पक्ष में पिछले वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाहियों में सकल स्थिर पूंजी निर्माण सीमित हो गया।

19. पिछले वर्ष के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने 6.9 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर का अग्रिम अनुमान लगाया था। औद्योगिक उत्पादन पर अधिक हाल ही का डेटा यह दर्शाता है कि यह गतिविधि पिछली वर्ष की धीमी गति से बढ़ सकती है।

20. आनेवाले समय में, वर्तमान वर्ष के लिए समग्र वृद्धि संभावना पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी बेहतर है। तदनुसार, वर्तमान वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का रिज़र्व बैंक का प्रारंभिक अनुमान 7.3 प्रतिशत है।

मुद्रास्फीति

21. मुद्रास्फीति के संबंध में कहे तो हेडलाइन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति जो अप्रैल - नवंबर 2011 के दौरान 9 प्रतिशत से अधिक रही, मार्च 2012 के अंत तक 6.9 प्रतिशत पर सामान्य रही। यह कमी रिज़र्व बैंक के 7 प्रतिशत के निदर्शी अनुमान के साथ अनुरूप रहेगी।

22. खाद्यान्न वस्तु मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। उल्लेखनीय रूप से, प्रोटिनवाली मदों में मुद्रास्फीति दो अंकों की संख्या में है। इससे जो प्रोटिन वाले पदार्थों में मांग-आपूर्ति में संरचनात्मक असंतुलन जारी रहने में प्रतिबिंबित हुआ है।

23. दूसरी ओर, ईंधन मुद्रास्फीति जो नवंबर - दिसंबर 2011 में 15 प्रतिशत से अधिक थी वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में तीव्र वृद्धि होने के बावजूद कम होकर मार्च 2012 में 10.4 प्रतिशत रह गई। इससे देशी उपभोक्ताओं को समानुपातिक अंतरित प्रभाव का अभाव परिलक्षित होता है।

24. खाद्येतर विनिर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति, देशी मांग में आई गिरावट वैश्विक तेल से इतर पण्य सस्ते होने की पृष्टभूमि में नवंबर 2011 के 8.4 प्रतिशत से उल्लेखनीय रूप से कम होकर मार्च 2012 में 4.7 हो गई।

25. यद्यपि थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति धीमी हो गई, फिर भी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की नई ॠंखला द्वारा यथापरिमापित मुद्रास्फीति दर्शाती है कि मूल्य दबाव खुदरा स्तर पर अब भी अधिक बना हुआ हैं।

26. आनेवाले समय में, देशी मांग - आपूर्ति संतुलन, पण्य कीमतों में वैश्विक प्रवृत्तियों और संभाव्य मांग स्थिति के मूल्यांकन के आधार पर मार्च 2013 के लिए रिज़र्व बैंक का  मुद्रास्फीति का अनुमान 6.5 प्रतिशत का है।

मौद्रिक और चलनिधि की स्थितियां

27. अब मैं मौद्रिक और चलनिधि स्थितियों पर आता हूं। वृद्धि और मुद्रास्फिति के अनुमानों के अनुरूप वर्ष 2012-13 के लिए एम3 की वृद्धि 15 प्रतिशत अनुमानित है। निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र की संसाधन आवश्यकताओं को संतुलित करने की आवश्यकता को देखते हुए अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (एससीबी) के खाद्येतर ऋण में वृद्धि 17 प्रतिशत अनुमानित है।

28. जैसाकि मैंने पहले कहा है, पिछले वर्ष के दौरान चलनिधि का प्रबंध करना रिज़र्व बैंक के लिए एक प्रमुख चुनौती बना रहा। नवंबर 2011 से प्रारंभ कर चलनिधि घाटा रिज़र्व बैंक के सुविधाजनक स्तर से काफ़ी बढ़ गया। इसका निवारण करने की दृष्टि से, हमने प्रणाली में अधिक स्थायी स्वरुप की प्राथमिक चलनिधि उपलब्ध कराने की कार्रवाई की। हमने प्रणाली में खुले बाजार परिचालन के जरिए इंजेक्ट करते हुए लगभग 1.3 ट्रीलियन और आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में 125 आधार अंकों की कटौती करते हुए 0.8 ट्रीलियन चलनिधि उपलब्ध करायी। इन उपायों के परिणामस्वरूप तथा सरकार के नकदी शेषों में कमी किए जाने से एलएएफ के अंतर्गत निवल उधार मार्च 2012 के अंत में स्थित 2 ट्रीलियन के सर्वोच्च स्तर से गिरकर 13 अप्रैल 2012 को 0.7 ट्रीलियन हो गए।

जोखिम घटक

29. अंततः, मैं वर्ष 2012-13 के लिए वृद्धि और मुद्रास्फीति के हमारे निदर्शी अनुमानों के   प्रति जोखिमों पर प्रकाश डालना चाहूंगा।

  • पहले, हमारे वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमानों के लिए जोखिम वैश्विक पण्य मूल्यों विशेष रूप से कच्चे तेल के मूल्यों की संभावना से निर्मित होता है। हालांकि मांग के पक्ष से तेल मूल्यों के लिए वृद्धि का जोखिम सीमित मात्रा में है, फिर भी, भौगोलिक- राजनीतिक तनाव चिंता का विषय बना हुआ है। आपूर्ति में आनेवाली किसी भी बाधा से कच्चे तेल के मूल्यों और बढ़ जाने की संभावना है।

  • दूसरे, राजकोषीय स्थिति से जोखिम उभरता है। हालांकि  बज़ट में चालू वर्ष में राजकोषीय घाटे में कटौती किए जाने का प्रस्ताव किया गया है, फिर भी, इसमें बढ़ोतरी के कई जोखिम हैं। राजकोषीय घाटे में किसी भी प्रकार से कमी आने से मुद्रास्फीति पर उसके प्रभाव जरूर पडेंगे।

  • तीसरे, वर्ष 2012-13 के लिए बजट में प्रस्तावित बड़े सरकारी उधारों से निजी क्षेत्र के लिए अधिक ऋण की संभावना बढ़ेगी। यदि ऐसा होता है, तो वृद्धि में बढ़ोतरी लाने के लिए आवश्यक आपूर्ति को रोकना पड़ सकता है।

  • चौथे, चालू खाते घाटे का वित्तपोषण प्रमुख चुनौती के रूप में बना रहेगा।

  • और अंततः, प्रोटीन बुहल खाद्यानों में संरचनागत असंतुलन जारी है और परिणामतः , खाद्यान्न मुद्रास्फीति पर दबाव बने रहने की संभावना है।

विकासात्मक और विनियामक नीतियां

30. चूंकि यह वार्षिक नीति है, अतः मानक प्रथा के अनुसार, इसमें विकासात्मक और विनियामक नीतियां भी शामिल रहती हैं। अब मैं इस संबंध में की गयी कुछ महत्वपूर्ण पहलों पर संक्षेप में बताना चाहूंगा।

31. मैं वित्तीय समावेशन से प्रारंभ करूंगा। 2000 से अधिक की आबादीवाले गांवों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब चुनौती देश के सभी बैंक रहित गांवों को इसमें समा लेने के विषय में है। तदनुसार, राज्य स्तरीय बैंकर समितियों के लिए 2000 से कम आबादीवाले सभी बैंकरहित गांवों को शामिल करते हुए रोड़ मैप तैयार करना अधिदेशात्मक बनाए जाने का और सांकेतिक रूप से ये गांव एक चरणबद्ध रूप से बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को आबंटित किए जाने का प्रस्ताव है।

32. रिज़र्व बैंक बैंकों में ग्राहक सेवा को बहुत अधिक महत्व देता है। इस नीति में इस संबंध में  निहित तीन उपाय निम्नानुसार हैं :

  • पहले, बैंकों को अपने सभी ग्राहकों को कतिपय न्यूनतम आम सुविधाओं के साथ और एक न्यूनतम शेष बनाए रखने की अपेक्षा के बिना 'मूलभूत बचत बैंक जमा खाता' सुविधा देने के लिए सूचित किया जा रहा है।

  • दूसरे, बैंकों के लिए अस्थिर (फ्लोटिंग) ब्याज दर आधार पर दिए जानेवाले आवास ऋणों पर अवधि पूर्व समाप्ति प्रभार अथवा पूर्व अदायगी दण्ड न लगाना अनिवार्य किया जाएगा।

  • तीसरे, बैंकों को अपने सभी ग्राहकों को एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कूट (यूसीआइसी) संख्या आबंटित करने की कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जा रहा है।

33. विनियमन और पर्यवेक्षण के संबंध में, मैं इस नीति में शामिल कुछ महत्वपूर्ण उपायों पर प्रकाश डालना चाहूंगा।

  • बासल III के संबंध में, पूंजी विनियमनों को लागू करने के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश अप्रैल 2012 के अंत तक जारी किए जाएंगे और चलनिधि जोखिम प्रबंधन तथा   चलनिधि मानकों के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश मई 2012 के अंत तक जारी किए  जाएंगे।

34. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा स्वर्ण की जमानत पर ऋण हाल की अवधि में उल्लेखनीय रूप से बढ़ गए हैं, जिसके कारण चिंता के कई विषय उभरे हैं। इस नीति में इसे और विनियमित करने संबंधी तीन उपाय दिए गए हैं :

  • पहले, बैंकों को अपनी कुल वित्तीय आस्तियों के 50 प्रतिशत या अधिक की मात्रा तक के स्वर्ण ऋणोंवाले एकल एनबीएफसी पर उनके विनियमकारी एक्सपोजर की उच्चतम सीमा को वर्तमान के बैंकों की पूंजी निधियों के 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर देना चाहिए।

  • दूसरे, बैंकों को अपने ऐसे सभी एनबीएफसी के लिए एक आंतरिक उप-सीमा रखनी होगी। जिनके स्वर्ण ऋण कुल मिलाकर अपनी कुल आस्तियों के 50% या अधिक है।

  • अंततः, रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण की मांग, स्वर्ण मूल्यों की प्रवृत्तियों तथा स्वर्ण की जमानत पर एनबीएफसी द्वारा दिए जानेवाले ऋणों का विस्तृत अध्ययन करने के लिए एक कार्यकारी दल गठित किया है।

35. हमने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संबंधित दो उपायों की घोषणा की है।

  • पहला, अप्रैल 2012 के अंत तक कोर निवेश कंपनियों (सीआइसी) द्वारा समुद्रपारीय निवेश पर प्रारूप दिशानिर्देश जनता के अभिमतों के लिए रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाएंगे ।

  • दूसरा, उषा थोरात कार्यकारी दल की सिफारिशों के आधार पर जून 2012 के अंत तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए विनियामक ढाँचे पर प्रारूप दिशानिर्देश को जारी करने का निर्णय लिया गया है।

36. हाल की अवधि में, बैंकों की अनर्जक आस्तियाँ बढ़ी हैं। हम बैंकों के लिए विपदा के संकेतों की समयपूर्व पहचान करने और निवारक उपाय करने के लिए एक मज़बूत व्यवस्था बनाना अनिवार्य कर रहे हैं।

37. प्रतिभूतिकरण पर अंतिम दिशानिर्देश अप्रैल 2012 के अंत तक जारी किए जाएंगे ।

38. अंततः, मैं मुद्रा प्रबंधन से संबंधित दो उपायों का उल्लेख करना चाहूँगा।

  • पहला, संचलन में विद्यमान जाली नोटों का उपाय करने के संबंध में बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया गया कि काउंटरों पर प्राप्त नोटों को केवल मशीनों के माध्यम से उनका उचित प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने के बाद ही पुनःसंचलन में लाया जाए।

  • दूसरा, बैंक शाखा नेटवर्क के बढ़े भौगोलिक विस्तार और प्रौद्यागिकी की सहायता को ध्यान में रखते हुए, हमने केवल मुद्रा तिजोरियों और बैंक शाखाओं के माध्यम से करेंसी और सिक्कों को वितरित करने का निर्णय लिया है।

39. इन उपायों की विस्तृत जानकारी तथा उन उपायों की जानकारी के लिए जिनका उल्लेख मैंने यहाँ नहीं किया है, कृपया आप रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध संपूर्ण नीति वक्तव्य देखें।

40. अब मैं हमारी समष्टि आर्थिक चिंताओं का सार - संक्षेप प्रस्तुत करते हुए अपना वक्तव्य समाप्त करना चाहता हूं। हालांकि मुद्रास्फीति हाल के महीनों में धीमी हुई है, वृद्धि में मंदी आने पर भी यह अभी भी कड़ी है और सहिष्णता स्तर से ऊपर है । राजकोषीय घाटा, चालू खाता घाटा और बड़े पैमाने पर घटती आस्ति गुणवत्ता की चिंताजनक परिस्थिति में ये प्रवृत्तियां उभर रही हैं। इस प्रकार वृद्धि और अन्य अस्थिरताओं के जोखिमों के प्रति संवेदनशील रहते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की सतर्कता बरतना मौद्रिक नीति के लिए एक चुनौती है।

41. आपके सहयोग के लिए धन्यवाद ।

आर.आर.सिन्हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/ 1658


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