5 दिसंबर 2025
गवर्नर का वक्तव्य: 5 दिसंबर 2025
सुप्रभात और नमस्कार। हम एक यादगार और चुनौतीपूर्ण वर्ष 2025 के अंतिम माह में हैं। जब हम पीछे मुड़कर इस वर्ष को देखते हैं, तो एक संतोष की अनुभूति होती है। अर्थव्यवस्था में मजबूत संवृद्धि और सौम्य मुद्रास्फीति देखी गई; बैंकिंग प्रणाली को और समेकित किया गया तथा वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने, व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाने और उपभोक्ता संरक्षण में सुधार करने के लिए विनियामक ढांचे में संशोधन किए गए। साथ ही, हम अर्थव्यवस्था को और अधिक समर्थन देने तथा प्रगति को तेज करने की आशा, ऊर्जा और दृढ़ता के साथ नए वर्ष में प्रवेश करेंगे।
2. अक्तूबर की नीति के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से अवस्फीति देखी गई है, जिसमें मुद्रास्फीति अभूतपूर्व रूप से निम्न स्तर पर पहुँच गई। लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) को अपनाए जाने के बाद पहली बार एक तिमाही के लिए औसत हेडलाइन मुद्रास्फीति, 2025-26 की दूसरी तिमाही में 1.7 प्रतिशत पर मुद्रास्फीति लक्ष्य (4 प्रतिशत) की निम्न सहन-सीमा बैंड (2 प्रतिशत) के नीचे गई। अक्तूबर 2025 में यह केवल 0.3 प्रतिशत तक गिरी। दूसरी ओर, त्योहारी समय में अत्यधिक व्यय के कारण वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत तक बढ़ गई, जिसे माल और सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाने से और भी सुगम बनाया गया। 2025-26 की पहली छमाही में 2.2 प्रतिशत पर सौम्य मुद्रास्फीति और 8.0 प्रतिशत की संवृद्धि एक दुर्लभ स्वर्णिम अवधि प्रस्तुत करती है।
3. पहले की अपेक्षाओं के विपरीत वैश्विक संवृद्धि अपेक्षाकृत मजबूत रही है। तथापि, उभरते हुए भू-राजनीतिक और व्यापार वातावरण संभावनाओं को प्रभावित कर रही हैं। मुद्रास्फीति पथ सर्वाधिक उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से ऊपर बनी हुई हेडलाइन मुद्रास्फीति के साथ भिन्न बने हुए हैं जबकि अधिकांश उभरते बाजारों में दबाव बना हुआ है, जो निभावकारी मौद्रिक नीति के लिए अवसर प्रदान करता है। एआई-आधारित आशावादिता से परस्पर दबाव और उच्च मूल्यन से संबंधित चिंताएं, वैश्विक इक्विटी बाजारों में चल रही हैं जबकि केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति प्रक्षेपवक्र में विचलन पूंजी प्रवाह और प्रतिफल स्प्रेड की अनिश्चितता में बढ़ोतरी कर रहा है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) और भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रमुख निर्णय
4. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 3, 4 और 5 दिसंबर को संपन्न हुई, जिसमें नीतिगत रेपो दर पर विचार-विमर्श करके निर्णय लिया गया। उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति और संभावना के विस्तृत मूल्यांकन के बाद एमपीसी ने तत्काल प्रभाव से नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों (बीपीएस) से घटाकर 5.25 प्रतिशत करने के लिए सर्वसम्मति से वोट किया। परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.00 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.50 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी। एमपीसी ने तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया।
5. इसके अलावा, उभरती चलनिधि स्थितियों और संभावना को देखते हुए, रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि इस माह में टिकाऊ चलनिधि उपलब्ध कराने के लिए ₹1,00,000 करोड़ की सरकारी प्रतिभूतियों का खुला बाज़ार परिचालन खरीद और 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर 3 वर्षीय यूएसडी/आईएनआर की खरीद-बिक्री स्वैप की जाए।
6. अब मैं एमपीसी के निर्णयों से संबंधित तर्क का संक्षेप में उल्लेख करूंगा।
7. एमपीसी ने इस बात पर ध्यान दिया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति काफी कम हो गई है और मुख्य रूप से असाधारण रूप से सौम्य खाद्य कीमतों के कारण पहले के अनुमानों की तुलना में इसके और सौम्य होने की संभावना है। इन अनुकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2025-26 और 2026-27 की पहली तिमाही में औसत हेडलाइन मुद्रास्फीति के अनुमानों को अधोगामी संशोधित किया गया है। मूल मुद्रास्फीति, जो 2024-25 की पहली तिमाही से लगातार बढ़ रही थी, 2025-26 की दूसरी तिमाही में थोड़ा कम हो गई और आगे चलकर नियंत्रित रहने की उम्मीद है। 2026-27 की पहली छमाही के दौरान हेडलाइन और मूल मुद्रास्फीति दोनों 4 प्रतिशत लक्ष्य तक या उससे कम रहने की उम्मीद है। अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव और भी कम है क्योंकि कीमती धातुओं की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव लगभग 50 आधार अंक (बीपीएस) है। संवृद्धि, जबकि सुदृढ़ बनी हुई है, कुछ सीमा तक मंद रहने की उम्मीद है।
8. इस प्रकार, संवृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन, विशेष रूप से हेडलाइन और मूल दोनों पर सौम्य मुद्रास्फीति संभावना, संवृद्धि की गति को समर्थन करने के लिए नीतिगत अवसर प्रदान करता है। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 25 बीपीएस से घटाकर 5.25 प्रतिशत करने के लिए सर्वसम्मति से वोट किया। एमपीसी ने तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया।
संवृद्धि और मुद्रास्फीति का मूल्यांकन
संवृद्धि
9. वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच सुदृढ़ घरेलू मांग के चलते 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की, जोकि छह तिमाही में उच्च है।1 आपूर्ति पक्ष पर, वास्तविक योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें सुदृढ़ औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की सहायता मिली। वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के दौरान आर्थिक गतिविधि, आयकर और माल और सेवा कर (जीएसटी) युक्तिकरण, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, प्रारंभिक (फ्रंट-लोडिंग) सरकारी पूंजीगत व्यय और सौम्य मुद्रास्फीति द्वारा समर्थित सुलभ मौद्रिक और वित्तीय स्थितियों से लाभान्वित हुई।
10. उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि घरेलू आर्थिक गतिविधि तीसरी तिमाही में सुदृढ़ बनी हुई है, यद्यपि कतिपय प्रमुख संकेतकों में कमजोरी के कुछ उभरते संकेत हैं।2 जीएसटी युक्तिकरण और त्यौहार से संबंधित व्यय ने अक्तूबर-नवंबर के दौरान घरेलू मांग का समर्थन किया। ग्रामीण मांग3 लगातार मजबूत बनी हुई है जबकि शहरी मांग धीरे-धीरे उबर रही है।4 खाद्य से इतर बैंक ऋण में विस्तार5 और उच्च क्षमता उपयोग6 के कारण निजी निवेश में तेजी7 आने के साथ निवेश गतिविधि स्वस्थ8 बनी हुई है। सौम्य सेवा निर्यात द्वारा समर्थित कमजोर बाह्य मांग के बीच अक्तूबर में वाणिज्यिक निर्यात में तेजी से गिरावट आई।9 आपूर्ति पक्ष पर, कृषि संवृद्धि को खरीफ फसल का स्वस्थ उत्पादन10, उच्च जलाशय स्तर11 और रबी फसल की बेहतर बुवाई12 का समर्थन मिला। विनिर्माण गतिविधि में सुधार जारी है जबकि सेवा क्षेत्र एक स्थिर गति बनाए रख रहा है।13
11. आगे चलकर, स्वस्थ कृषि संभावनाओं, जीएसटी युक्तिकरण का निरंतर प्रभाव, सौम्य मुद्रास्फीति, कॉरपोरेट्स के स्वस्थ तुलन-पत्र और अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थिति जैसे घरेलू कारकों को आर्थिक गतिविधि का समर्थन करना जारी रखना चाहिए। निरंतर सुधार पहल, संवृद्धि को और सुगम बनायेगी। बाह्य मोर्चे पर सेवा निर्यात मजबूत रहने की संभावना है जबकि वस्तुओं के निर्यात में कुछ विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। बाह्य अनिश्चितताएं, संभावनाओं के प्रति अधोगामी जोखिम उत्पन्न कर रही हैं, जबकि चल रहे विभिन्न व्यापार और निवेश वार्ताओं के त्वरित समापन से बढ़ोत्तरी की संभावना है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि दर 7.3 प्रतिशत होने का अनुमान है, जोकि तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; चौथी तिमाही में यह 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वर्ष 2026-27 पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
मुद्रास्फीति
12. अक्तूबर 2025 में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति अपने अभी तक के समय से सबसे कम हो गई।14 सितंबर-अक्तूबर माह के दौरान देखे गए सामान्य प्रवृत्ति की विपरीत मुद्रास्फीति में प्रत्याशित गिरावट से अधिक गिरावट का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में सुधार15 रहा। कीमती धातुओं द्वारा लगाए गए निरंतर मूल्य दबाव के बावजूद मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई हेडलाइन) सितंबर-अक्तूबर में मुख्य रूप से मंद रही।16 स्वर्ण को छोड़कर, मूल मुद्रास्फीति अक्तूबर में 2.6 प्रतिशत तक कम हो गई। कुल मिलाकर मुद्रास्फीति में गिरावट अधिक सामान्य हो गई है।17
13. मुद्रास्फीति संभावना के संबंध में, खरीफ उत्पादन में वृद्धि, स्वस्थ रबी बुवाई, जलाशय के पर्याप्त स्तर और अनुकूल मिट्टी की नमी के कारण खाद्य आपूर्ति की संभावनाओं में सुधार हुआ है। कुछ धातुओं को छोड़कर, अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतें आगे चलकर कम होने की संभावना है।18 कुल मिलाकर, मुद्रास्फीति अक्तूबर में लगाए गए अनुमान की तुलना में नरम होने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में गिरावट है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दर 2.0 प्रतिशत अनुमानित है, जोकि तीसरी तिमाही में 0.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2026-27 की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 4.0 प्रतिशत अनुमानित है। अंतर्निहित मुद्रास्फीति दबाव भी कम है क्योंकि कीमती धातुओं की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव लगभग 50 बीपीएस है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
बाह्य क्षेत्र
14. भारत का चालू खाता घाटा, सेवाओं के मजबूत निर्यात19 और मजबूत विप्रेषण20 के कारण, 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी के 2.2 प्रतिशत से घटकर 2025-26 की दूसरी तिमाही में 1.3 प्रतिशत हो गया। अक्तूबर 2025 में, पण्य निर्यात वर्ष-दर-वर्ष आधार पर संकुचित हुआ, जबकि पण्य आयात लगातार दूसरे महीने बढ़ता रहा, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा बढ़ा।21 मजबूत विप्रेषण प्राप्तियों के साथ मजबूत सेवा निर्यात से 2025-26 के दौरान सीएडी के मामूली रहने की आशा है।
15. बाह्य वित्तपोषण के मामले में, वर्ष की पहली छमाही के दौरान भारत में सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) मजबूत गति से बढ़ा। जावक एफडीआई में वृद्धि के बावजूद प्रत्यावर्तन में गिरावट के कारण निवल एफडीआई में भी काफी वृद्धि हुई।22 भारत में विदेशी संविभाग निवेश (एफपीआई) में इक्विटी खंड में बहिर्वाह के कारण 2025-26 में अब तक (अप्रैल-दिसंबर 03) 0.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह दर्ज किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में बाह्य वाणिज्यिक उधार और अनिवासी जमा खातों के प्रवाह में नरमी आई।23 28 नवंबर 2025 तक, भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 686.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो 11 महीने से अधिक का मजबूत आयात कवर प्रदान करती है। कुल मिलाकर, भारत का बाह्य क्षेत्र आघात सह बना हुआ है।24 हम अपनी बाह्य वित्तपोषण आवश्यकताओं को आराम से पूरा करने के लिए आश्वस्त हैं।
चलनिधि और वित्तीय बाजार की स्थिति
16. एलएएफ के अंतर्गत निवल स्थिति द्वारा मापी गई प्रणालीगत चलनिधि, अक्तूबर 2025 में एमपीसी की पिछली बैठक के बाद की अवधि के दौरान औसतन ₹1.5 लाख करोड़ के अधिशेष पर थी।25
17. पर्याप्त चलनिधि स्थितियों के बीच मुद्रा बाजार दरें काफी हद तक नीतिगत रेपो दर के अनुरूप बनी हुई हैं।26 पिछली नीति के बाद से जी-सेक प्रतिफल सीमाबद्ध बना हुआ है। नीतिगत रेपो दर में संचयी 100 बीपीएस कटौती के सापेक्ष, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में फरवरी-अक्तूबर 2025 के दौरान नए रुपया ऋणों के लिए 69 बीपीएस की कमी आई है (ब्याज दर प्रभाव27 78 बीपीएस है)। बकाया रुपया ऋणों की भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में कमी 63 बीपीएस तक रही है। संचारण सभी क्षेत्रों में व्यापक-आधारित रहा है। जमाराशियों के संबंध में, नई जमाराशियों पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) में 105 बीपीएस की गिरावट आई है, जबकि बकाया जमाराशियों पर इसी अवधि में 32 बीपीएस की नरमी आई है।
18. मैं दोहराना चाहूंगा कि हम बैंकिंग प्रणाली को पर्याप्त टिकाऊ चलनिधि प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम संचलनगत मुद्रा में परिवर्तन, विदेशी मुद्रा परिचालन और आरक्षित निधि अनुरक्षण के कारण बैंकिंग प्रणाली की टिकाऊ चलनिधि आवश्यकताओं का लगातार आकलन करते हैं। आगे भी, हम ऐसा करना जारी रखेंगे। चलनिधि स्थिति और संभावना की समीक्षा के बाद, हमने इस माह ₹1,00,000 करोड़ की सरकारी प्रतिभूतियों के खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) खरीद और 3 वर्ष की अवधि के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के यूएसडी/आईएनआर खरीद-बिक्री स्वैप करने का निर्णय लिया है। विस्तृत ब्योरा आज बाद में अलग से अधिसूचित किया जाएगा। ये उपाय प्रणाली में पर्याप्त टिकाऊ चलनिधि सुनिश्चित करेंगे और मौद्रिक संचारण को और अधिक सुविधाजनक बनाएंगे।
19. मैं इस अवसर का लाभ उठाते हुए यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि ओएमओ के अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद (बिक्री) तथा एलएएफ (वीआरआर या वीआरआरआर) के अल्पावधि परिचालनों के माध्यम से चलनिधि अंतर्वेशन (अवशोषण) के भिन्न - भिन्न उद्देश्य होते हैं। ओएमओ के अंतर्गत खरीद (बिक्री) का उद्देश्य स्थायी चलनिधि को प्रदान (अवशोषित) करना होता है, जबकि रेपो परिचालनों का उद्देश्य अल्पकालिक चलनिधि का प्रबंधन करना है ताकि परिचालन लक्ष्य – भारित औसत मांग दर (डब्ल्यूएसीआर) – नीतिगत रेपो दर के साथ संरेखित रहे। इसलिए, यह बिल्कुल संभव है कि हम एक ओर ओएमओ के अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से स्थायी चलनिधि का अंतर्वेशन करें, दूसरी ओर वीआरआरआर परिचालन के माध्यम से अल्पकालिक चलनिधि का अवशोषण करें।
20. मैं आगे यह दोहराना चाहूंगा कि मौद्रिक नीति का प्राथमिक लिखत नीतिगत रेपो दर है।28 यह अपेक्षित है कि अल्पावधि ब्याज दरों में परिवर्तन, विभिन्न दीर्घावधि दरों में प्रसारित होंगे। साथ ही, खुला बाज़ार परिचालन का प्राथमिक उद्देश्य पर्याप्त चलनिधि प्रदान करना है, न कि सीधे सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल को प्रभावित करना।
वित्तीय स्थिरता
21. सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के पूंजी पर्याप्तता, चलनिधि, आस्ति गुणवत्ता तथा लाभप्रदता से संबंधित प्रणाली-स्तरीय वित्तीय मापदंड अब भी मजबूत बने हुए हैं।29 इसी प्रकार, एनबीएफसी के प्रणाली-स्तरीय मापदंड भी मजबूत हैं, जिसमें पर्याप्त पूंजी स्थिति तथा बेहतर सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात30 शामिल हैं।
22. गैर-बैंक मध्यस्थता के अधिक योगदान के समर्थन से वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का कुल प्रवाह मजबूत हुआ है। वर्तमान वित्त वर्ष की अब तक की अवधि में, संसाधनों का कुल प्रवाह ₹20.1 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले वर्ष की संगत अवधि में यह ₹16.5 लाख करोड़ था। बैंक एवं गैर-बैंक स्रोतों से बकाया ऋण में वर्ष-दर-वर्ष 13 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई।
23. बैंक ऋण संवृद्धि भी हाल के महीनों में मजबूत हुई है।31 क्षेत्र-वार आंकड़े32 दर्शाते हैं कि यह संवृद्धि खुदरा और सेवा क्षेत्र खंडों को लगातार ऋण प्रदान करने के समर्थन से हुई। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमएसई) को मजबूत ऋण प्रवाह द्वारा समर्थित औद्योगिक ऋण वृद्धि में मजबूती आई। बड़े उद्योगों ने भी ऋण संवृद्धि में सुधार दर्ज किया।
अतिरिक्त उपाय
24. अपने भाषण के समापन से पूर्व, मैं एक अतिरिक्त उपाय की घोषणा करना चाहूंगा।
25. हम ग्राहक सेवाओं में सुधार पर निरंतर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस दिशा में हमने कई उपाय किए हैं। पुनः-केवाईसी, वित्तीय समावेशन और "आपकी पूंजी, आपका अधिकार" अभियान, अन्य हितधारकों के साथ किए गए प्रमुख प्रयासों में से हैं। इस वर्ष के आरंभ में हमने अपने नागरिक चार्टर की भी समीक्षा की है। हमने अपनी सभी सेवाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है। प्रत्येक माह की पहली तारीख को हम विभिन्न आवेदनों के मासिक निपटान एवं लंबितता का सारांश प्रकाशित कर रहे हैं। मुझे यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 99.8 प्रतिशत से अधिक आवेदन निर्धारित समय-सीमा के भीतर निपटाए गए हैं।
26. तथापि, हाल ही में, अन्य बातों के साथ-साथ, बड़ी संख्या में शिकायतों की प्राप्ति जैसे कारणों से, आरबीआई ओम्बड्समैन के पास लंबित शिकायतों की संख्या में वृद्धि हुई है। मैं सभी विनियमित संस्थाओं से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी नीतियों और परिचालन में ग्राहकों को केंद्र में रखें, ग्राहक सेवा में सुधार करें तथा शिकायतों में कमी लाएं। इसके अतिरिक्त, हम अगले वर्ष 1 जनवरी से दो माह का अभियान आयोजित करने का प्रस्ताव करते हैं, जिसका उद्देश्य आरबीआई ओम्बड्समैन के पास एक माह से अधिक समय से लंबित सभी शिकायतों का निपटान करना है। मैं इस प्रयास में सभी विनियमित संस्थाओं का समर्थन चाहता हूं।
समापन टिप्पणी
27. अब मैं अपने भाषण का समापन करता हूं। प्रतिकूल और चुनौतीपूर्ण बाह्य परिवेश के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय आघात सहनीयता दिखाई है और उच्च संवृद्धि दर्ज करने के लिए तैयार है। मुद्रास्फीति की संभावना द्वारा प्रदान की गई गुंजाइश ने हमें संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते रहने की अनुमति दी है। हम, समष्टि आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करते हुए, सक्रिय रूप से अर्थव्यवस्था की उत्पादन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते रहेंगे।
28. धन्यवाद। नमस्कार एवं जय हिंद।
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1634
|