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एमएसएमई क्षेत्र को ऋण प्रवाह की समीक्षा के लिए स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की 30वीं बैठक

27 अक्तूबर 2025

एमएसएमई क्षेत्र को ऋण प्रवाह की समीक्षा के लिए स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की 30वीं बैठक

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को ऋण के प्रवाह की समीक्षा करने के लिए स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की 30वीं बैठक 27 अक्तूबर 2025 को कोयंबटूर में श्री स्वामीनाथन जे, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में आरबीआई के कार्यपालक निदेशकों, एमएसएमई मंत्रालय के अपर सचिव और वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव; अध्यक्ष, सिडबी; एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशकों, प्रमुख बैंकों और नाबार्ड के वरिष्ठ प्रबंधन; सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई), नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी), खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), भारतीय बैंक संघ (आईबीए), वित्त उद्योग विकास परिषद (एफ़आईडीसी) और एमएसएमई संघों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। एसएसी की पिछली दो बैठकें लखनऊ और अहमदाबाद में हुई थीं।

Standing Advisory Committee

अपने मुख्य भाषण में, उप गवर्नर ने भारत की आर्थिक संवृद्धि, रोज़गार और औद्योगिक तथा क्षेत्रीय विविधीकरण के मुख्य चालक के रूप में एमएसएमई क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। एमएसएमई के लिए ऋण पारितंत्र को और मज़बूत करने के रिज़र्व बैंक की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, उन्होंने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफ़ेस (यूएलआई), अकाउंट एग्रीगेटर ढांचा और विनियामक सैंडबॉक्स जैसी पहलों का उल्लेख किया, जो डेटा- आधारित और नकद- प्रवाह आधारित उधार को आसान बना रही हैं।

उन्होंने इस क्षेत्र की मुश्किलों को कम करने के लिए हाल के विनियामक उपायों के बारे में बताया, जिसमें लोगों और सूक्ष्म और लघु उद्यमों को दिए गए अस्थायी- दर ऋण पर पूर्व भुगतान प्रभार में छूट, और छोटे निर्यातकों और आयातकों के लिए अनुपालन का बोझ कम करने के लिए निर्यात और आयात डेटा संसाधन और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस/ आईडीपीएमएस) के तहत रिपोर्टिंग में छूट शामिल है।

जानकारी में अंतर, वित्तीय साक्षरता की कमी और भुगतान में विलंब जैसी चुनौतियों को देखते हुए, उप गवर्नर ने व्यापारिक प्राप्य- राशि भुनाई प्रणाली (टीआरईडीएस) जैसे डिजिटल समाधान को अधिक अपनाने, अन्य मूल्यांकन मॉडल को बढ़ावा देने और तनावग्रसित लेकिन व्यवहार्य इकाइयों के पुनर्वास को बढ़ावा देने के लिए सही, पारदर्शी और सहानुभूति वाले ऋण पद्धतियों को सुनिश्चित करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने एमएसएमई संघ से क्षमता निर्माण में और जानकारी की कमी को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाने की भी अपील की, ताकि कंपनियों को औपचारिक वित्तीय चैनल का बेहतर लाभ उठाने में मदद मिल सके।

बैठक के दौरान, एसएसी ने एमएसएमई को ऋण प्रवाह की समीक्षा की और अन्य मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्र के लिए ऋण अंतर से संबंधित मुद्दों को पाटने, बेहतर ऋण सहबद्धता के लिए नकद- प्रवाह आधारित उधार और डिजिटल समाधान, ट्रेड्स को अपनाने में तेजी लाने, क्रेडिट गारंटी योजनाओं के प्रयोग को बढ़ाने तथा एमएसएमई इकाइयों का पुनरुद्धार और पुनर्वास से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

संवादात्मक सत्र के दौरान, उद्योग संघ ने भू-राजनैतिक स्थिति से उत्पन्न हो रही अनिश्चितता से पैदा हो रही चुनौतियों पर ज़ोर दिया और सरकार, विनियामकों और बैंकों से हस्तक्षेप करने की मांग की। बैठक अधिकारियों के जवाब और इस भरोसे के साथ समाप्त हुई कि प्रतिक्रिया और सुझावों की जांच संबंधित हितधारकों द्वारा की जाएगी।

(ब्रिज राज)   
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1388


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