26 जुलाई 2024
भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचा
जारी किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचा जारी किया। पीसीए ढांचे के प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक ने कमज़ोर शहरी सहकारी बैंकों और वित्तीय तनाव का सामना कर रहे शहरी सहकारी बैंकों में वांछित सुधार लाने के लिए एक प्रारंभिक हस्तक्षेप उपकरण के रूप में पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़) जारी किया था। एसएएफ़ को अंतिम बार रिज़र्व बैंक के 6 जनवरी 2020 के परिपत्र1 के माध्यम से संशोधित किया गया था। यह पीसीए ढांचा एसएएफ़ की जगह लेगा।
पीसीए ढांचे की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
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इस ढांचे को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लागू समान ढांचे के अनुरूप सुसंगत बनाया गया है, जिसमें आनुपातिकता के अंतर्निहित सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त संशोधन किए गए हैं।
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पीसीए ढांचा मुख्यतः सिद्धांत-आधारित है, जिसमें पर्यवेक्षी सख्ती में किसी कमी के बिना एसएएफ की तुलना में मापदंड की संख्या कम हैं।
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संशोधित ढांचे का उद्देश्य मामला-दर-मामला आधार पर जोखिमों के आकलन के आधार पर इकाई-विशिष्ट पर्यवेक्षी कार्य योजना तैयार करने में लचीलापन प्रदान करना है।
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एसएएफ के तहत यूसीबी द्वारा पूंजीगत व्यय पर प्रतिबंध के लिए 25,000/- रुपये की हार्ड-कोडेड सीमा को समाप्त कर दिया गया है। संशोधित ढांचा पर्यवेक्षकों को प्रत्येक इकाई के अपने मूल्यांकन के आधार पर सीमा तय करने में सक्षम बनाती है।
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पीसीए ढांचा को सर्व समावेशी निदेशों (एआईडी) के अंतर्गत आने वाले यूसीबी को छोड़कर टियर 2, टियर 3 और टियर 4 के सभी2 यूसीबी पर लागू किया गया है।
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टियर 1 यूसीबी को फिलहाल पीसीए ढांचे से बाहर रखा गया है। तथापि, मौजूदा पर्यवेक्षी ढांचे के अंतर्गत उन पर कड़ी निगरानी जारी रहेगी।
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संशोधित ढांचे से बड़े यूसीबी पर अधिक ध्यान दिया जाना है, जिन्हें पर्यवेक्षी संसाधनों के इष्टतम उपयोग द्वारा अधिक गहन निगरानी की आवश्यकता है।
(पुनीत पंचोली)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/778
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