5 अप्रैल 2024
गवर्नर का वक्तव्य: 5 अप्रैल 2024
इस सप्ताह की शुरुआत में 1 अप्रैल को, हमने भारतीय रिज़र्व बैंक का 90 वां स्मरणोत्सव मनाया। इस प्रतिष्ठित संस्थान की यात्रा का भारतीय अर्थव्यवस्था के उद्भव से गहरा संबंध है। इन नौ दशकों के दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटीं: रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण (1949), योजना युग, बैंक राष्ट्रीयकरण, युद्ध, सूखा, ब्रेटन वुड्स प्रणाली का पतन, तेल के झटके, भुगतान संतुलन की अनिश्चित स्थिति और उसके बाद के बाजार सुधार, एशियाई और वैश्विक वित्तीय संकट, टेपर टैंट्रम और अंततः कोविड-19 महामारी और हाल के वर्षों की भू-राजनीतिक शत्रुताएँ। इस यात्रा के दौरान, भारतीय वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था को स्थिरता की ओर ले जाने में, अपनी विकासात्मक और विनियामक भूमिकाओं को मिलाकर, रिज़र्व बैंक हमेशा सबसे आगे रहा। ऐसा करते हुए इसने अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी और व्यावसायिकता के साथ निर्वहन किया है।
2. कई अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में, रिज़र्व बैंक के पास कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो भारत जैसी आधुनिक और जटिल अर्थव्यवस्था की समष्टि -वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इन ज़िम्मेदारियों के बीच कार्यात्मक संपूरकताएँ हैं। एक पूर्ण-सेवा केंद्रीय बैंक होने के नाते, रिज़र्व बैंक वित्तीय क्षेत्र और बड़ी अर्थव्यवस्था के सामने आने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर समग्र दृष्टिकोण रखने और अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में उचित कदम उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। हम अपनी विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाते हुए लगातार सीखने, अनुकूलन और नवाचार करने का प्रयास करते हैं।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय और विचार-विमर्श
3. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 3, 4 और 5 अप्रैल 2024 को हुई। उभरती समष्टि- आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों और संभावना के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, इसने 5 से 1 के बहुमत से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से निर्णय लिया कि वह निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संवृद्धि का समर्थन करते हुए मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
4. अब मैं संक्षेप में इन निर्णयों का औचित्य बताऊंगा। पिछली नीति के बाद से, संवृद्धि -मुद्रास्फीति की गतिशीलता अनुकूल रही है। संवृद्धि ने सभी अनुमानों को पार करते हुए अपनी गति बरकरार रखी है। जनवरी और फरवरी 2024 के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1 प्रतिशत हो गई है, जो दिसंबर 2023 में 5.7 प्रतिशत थी, मूल मुद्रास्फीति पिछले नौ महीनों में लगातार गिरकर श्रृंखला में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है।1 सीपीआई का ईंधन घटक लगातार छह महीनों तक अपस्फीति में रहा।2 तथापि, फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ गया।3
5. आगे देखते हुए, मजबूत संवृद्धि संभावनाएं, नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और 4.0 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जगह प्रदान करती हैं। चूँकि खाद्य कीमतों में अनिश्चितताएँ लगातार चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही हैं, एमपीसी मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिमों के प्रति सतर्क बनी हुई है जो अवस्फीति के मार्ग को पटरी से उतार सकती हैं। इन परिस्थितियों में, मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने और पिछले कार्यों के पूर्ण संचरण को सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी रहना होगा। अतः, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने और निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ संरेखित रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी।
संवृद्धि और मुद्रास्फीति का आकलन
वैश्विक संवृद्धि
6. वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर संभावनाओं के साथ आघात- सह बनी हुई है, जैसा कि विभिन्न उच्च आवृत्ति संकेतकों में परिलक्षित होता है।4 2024 में वैश्विक व्यापार तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, हालांकि यह अपने ऐतिहासिक औसत से कमजोर है।5 मुद्रास्फीति लक्ष्य के करीब पहुंच रही है, लेकिन अवस्फीति का अंतिम पड़ाव चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। तंग श्रम बाज़ारों के बीच उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में सेवा मुद्रास्फीति स्थिर बनी हुई है। तदनुसार, केंद्रीय बैंक अपने संचार में सतर्क हैं, जिससे इस वर्ष के अंत में ब्याज दरों में कटौती के समय और परिमाण के बारे में बाजार की प्रत्याशाएं कम हो गई हैं। इक्विटी बाजारों में तेजी आई है जबकि बॉन्ड प्रतिफल और अमेरिकी डॉलर अस्थिर बने हुए हैं। निरंतर भू-राजनीतिक संघर्ष, व्यापार मार्गों में व्यवधान और उच्च सार्वजनिक ऋण बोझ से समग्र संभावनाओं को चुनौती दी गई है।
7. पिछले मौद्रिक नीति वक्तव्य में, मैंने उन्नत और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) दोनों में सार्वजनिक ऋण के उच्च स्तर के बारे में चिंता व्यक्त की थी। ये निष्क्रिय जोखिम हैं जो अचानक उत्पन्न हो सकते हैं। ऋण-जीडीपी अनुपात, जो महामारी के दौरान बढ़ा था, ऊंचा बना हुआ है और बढ़ते ब्याज बोझ और उधार लेने की लागत के साथ और बढ़ने का अनुमान है, जिससे ऋण स्थिरता संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं।6 उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में ऋण की बिगड़ती स्थिति, पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता के रूप में ईएमई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। सार्वजनिक ऋण के बढ़ते स्तर वाले ईएमई, विशेष रूप से, इन स्पिलओवर प्रभावों के प्रति संवेदनशील होंगे। संवृद्धि बढ़ाने वाले निवेश पर ध्यान केंद्रित करने वाली विश्वसनीय राजकोषीय समेकन योजनाएं, विशेष रूप से प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, इस चुनौती से निपटने के लिए आवश्यक होगी। हालाँकि, भारत अपने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण और तेज़ जीडीपी संवृद्धि के कारण एक अलग तस्वीर प्रस्तुत करता है।7
घरेलू संवृद्धि
8. निश्चित निवेश8 और वैश्विक माहौल में सुधार से समर्थित, घरेलू आर्थिक गतिविधि का तीव्र गति से विस्तार जारी है। दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई) ने 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 7.6 प्रतिशत रखी, जो 7 प्रतिशत या उससे अधिक संवृद्धि का लगातार तीसरा वर्ष है।9
9. आपूर्ति पक्ष की ओर से, विनिर्माण के कारण औद्योगिक गतिविधि ने अपनी गति जारी रखी।10 विनिर्माण के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) ने फरवरी-मार्च में निरंतर विस्तार प्रदर्शित किया, जो मार्च में 16 वर्ष के उच्चतम स्तर को छू गया।11 सेवा क्षेत्र ने व्यापक आधार वाली उछाल का प्रदर्शन किया और सभी क्षेत्रों ने मजबूत संवृद्धि दर्ज की।12 फरवरी-मार्च के दौरान पीएमआई सेवाएं 60 से ऊपर रही, जो निरंतर मजबूत विस्तार का संकेत देती है।13
10. ग्रामीण मांग बढ़ने से 2024-25 में खपत से आर्थिक संवृद्धि को समर्थन मिलने की आशा है।14 जैसा कि विभिन्न संकेतकों से स्पष्ट है, शहरी खपत में उछाल रहा।15 सीमेंट उत्पादन में आघात सहनीयता, स्टील की खपत तथा पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात में मजबूत वृद्धि के साथ, निवेश चक्र द्वारा और अधिक गति प्राप्त करने के लिए अच्छा संकेत है।16 2023-24 के दौरान बैंकों और अन्य स्रोतों से वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों का कुल प्रवाह ₹31.2 लाख करोड़ रहा जो पिछले वर्ष (₹26.4 लाख करोड़) की तुलना में काफी अधिक है। फरवरी में निर्यात में दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज होने के साथ बाह्य मांग में सुधार हुआ। तथापि, फरवरी में व्यापार घाटा बढ़ गया क्योंकि आयात भी बढ़ा।17
11. आगे बढ़ते हुए, सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की आशा के कारण, रबी गेहूं की अच्छी फसल और खरीफ फसलों की बेहतर संभावनाओं के साथ, कृषि और ग्रामीण गतिविधि की संभावना उज्ज्वल है।18 ग्रामीण मांग के मजबूत होने, रोजगार की स्थिति और अनौपचारिक क्षेत्र की गतिविधि में सुधार19, मुद्रास्फीति के दबाव को कम होने तथा विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में निरंतर गति से निजी खपत को बढ़ावा मिलना चाहिए। हमारे सर्वेक्षण के अनुसार, एक वर्ष आगे का उपभोक्ता विश्वास एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया। निजी पूंजीगत व्यय चक्र के लगातार व्यापक होने;20 निरंतर और मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय; बैंकों और कॉरपोरेट्स के मजबूत तुलन-पत्र; बढ़ते क्षमता उपयोग;21 और कारोबारी आशावाद के मजबूत होने जैसा कि हमारे सर्वेक्षणों में परिलक्षित होता है, से निवेश गतिविधि की संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में हमारे बढ़ते एकीकरण के साथ-साथ वैश्विक संवृद्धि और कारोबारी संभावनाओं में सुधार से वस्तुओं और सेवाओं की बाह्य मांग बढ़ने की आशा है। तथापि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार मार्गों में बढ़ते व्यवधान से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में भी 7.0 प्रतिशत के साथ 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
मुद्रास्फीति
12. मुद्रास्फीति की ओर आते हुए, खाद्य मूल्य अनिश्चितताएं आगे चलकर मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र पर दबाव डाल रही हैं। रबी गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन मूल्य दबाव को कम करने और बफर स्टॉक को फिर से भरने में मदद करेगा। इसके अलावा, सामान्य मानसून के शुरुआती संकेत ख़रीफ़ सीज़न के लिए अच्छे संकेत हैं। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य कीमतें भी नरम बनी हुई हैं।22 आने वाले महीनों में सामान्य से अधिक तापमान के पूर्वानुमान को देखते हुए, दालों की कतिपय श्रेणियों में सख्त मांग आपूर्ति की स्थिति और प्रमुख सब्जियों के उत्पादन परिणामों पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। आवर्ती और अतिव्यापी प्रतिकूल जलवायु आघात अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खाद्य कीमतों की संभावना के लिए महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न करते हैं।
13. कंपनियों के समक्ष आने वाले लागत दबाव में धारणीय नरमी की अवधि के बाद ऊर्ध्वगामी रुख रुझान देखा जा रहा है। मार्च में एलपीजी की कीमतों में कटौती के बाद निकट भविष्य में ईंधन में अवस्फीति के और गहन होने की संभावना है।23 मार्च के मध्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती24 के बावजूद, कच्चे तेल की कीमतों में हालिया वृद्धि पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता है। निरंतर भू-राजनीतिक दबाव भी कमोडिटी की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जोखिम उत्पन्न करता है। सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
मौद्रिक नीति के लिए इन मुद्रास्फीति और संवृद्धि की स्थितियों का क्या अर्थ है?
14. मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आई है लेकिन यह 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। खाद्य मुद्रास्फीति लगातार काफी अस्थिरता प्रदर्शित कर रही है जिससे चल रही अवस्फीति प्रक्रिया बाधित हो रही है।25 उच्च और निरंतर खाद्य मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर नियंत्रण, जो जारी है, को बिगाड़ सकती है।26 हमारा निरंतर प्रयास नीतिगत कार्रवाइयों का पूर्ण संचरण और घरेलू मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर नियंत्रण सुनिश्चित करना है। 2024-25 के लिए हमारे जीडीपी अनुमानों के साथ मजबूत संवृद्धि गति, हमें मूल्य स्थिरता पर अटूट रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए नीतिगत स्थान प्रदान करती है।
15. दो वर्ष पहले, लगभग इसी समय, जब अप्रैल 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, कमरे में हाथी (समस्या) मुद्रास्फीति थी। हाथी अब घूमने निकल गया है और जंगल की ओर लौटता हुआ दिख रहा है। हम चाहेंगे कि हाथी जंगल में लौट जाए और टिकाऊ आधार पर वहीं रहे। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में यह आवश्यक है कि सीपीआई मुद्रास्फीति कम हो और टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप हो। जब तक यह प्राप्त नहीं हो जाता, हमारा कार्य अधूरा है।
16. अवस्फीति प्रक्रिया में अब तक की सफलता से हमें आपूर्ति पक्ष के आवर्ती आघातों से मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र की सुभेद्यता से विचलित नहीं होना चाहिए। हमारा प्रयास स्थायी आधार पर मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना है, जिससे उच्च संवृद्धि की निरंतर अवधि का मार्ग प्रशस्त हो सके।
चलनिधि और वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ
17. फरवरी के मौद्रिक नीति वक्तव्य में, मैंने उल्लेख किया था कि चलनिधि की स्थिति बाह्य कारकों से प्रेरित है, जो निकट भविष्य में सही होने की संभावना थी। बढ़ते सरकारी व्यय, भारतीय रिज़र्व बैंक के बाज़ार परिचालन और यूएसडी-आईएनआर बिक्री खरीद स्वैप नीलामी के रिटर्न-लेग के मद्देनजर फरवरी और मार्च27 के दौरान चलनिधि की स्थिति में सुधार हुआ।28 विशेष रूप से, मार्च में चलनिधि स्थिति में सुधार हुआ और प्रणाली की चलनिधि पहले आधे महीने में धीरे-धीरे अधिशेष में बदल गई। इन परिस्थितियों में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनिरंतर अधिशेष चलनिधि को अवशोषित करने के लिए फरवरी में और मार्च की शुरुआत में चौदह परिष्कृत कार्य परिवर्ती दर प्रतिवर्ती रेपो (वीआरआरआर) परिचालन आयोजित किए।29
18. मार्च के अंत में चलनिधि की मौसमी सख्ती की आशंका को देखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने परिवर्ती दर रेपो (वीआरआर) परिचालन - दोनों मुख्य और परिष्कृत कार्य परिचालन के माध्यम से चलनिधि इंजेक्ट किया।30 परिणामस्वरूप, एमएसएफ विंडो के अंतर्गत औसत उधार में कमी आई।31 30 मार्च से चलनिधि की स्थिति पुनः अधिशेष हो गई है, जिससे 2 अप्रैल से वीआरआरआर नीलामी की आवश्यकता हुई।
19. चलनिधि संबंधी इन गतिविधियों को दर्शाते हुए, भारित औसत मांग दर (डब्ल्यूएसीआर) में नरमी का रुझान देखा गया और पिछली नीति बैठक से यह रेपो दर के आस पास बना रहा है।32 इसी क्रम में, मांग मुद्रा बाजार के संपार्श्विक खंड में दरें भी नरम हो गई हैं। वित्तीय स्थितियाँ अनुकूल रहीं जैसा कि जी-सेक बाजार में कम अवधि के स्प्रेड और बांड बाजार में स्थिर जोखिम प्रीमियम में परिलक्षित हुआ।33 ऋण बाजार में, मौद्रिक संचरण का कार्य प्रगति पर है।34
20. आगे चलकर, रिज़र्व बैंक, रेपो और प्रतिवर्ती रेपो दोनों में मुख्य और परिष्कृत कार्य (फाइन-ट्यूनिंग) परिचालन के माध्यम से अपने चलनिधि प्रबंधन में चुस्त और लचीला बना रहेगा। हम घर्षणात्मक और टिकाऊ चलनिधि दोनों को नियंत्रित करने के लिए लिखतों का एक उचित मिश्रण का इस्तेमाल करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रा बाजार की ब्याज दरें व्यवस्थित तरीके से विकसित हों और वित्तीय स्थिरता बनी रहे।
21. 2023-24 के दौरान भारतीय रुपया (आईएनआर) अपने उभरते बाजार समकक्षों और कतिपय उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी हद तक सीमित रहा है।35 इस अवधि के दौरान प्रमुख मुद्राओं में आईएनआर सबसे स्थिर था। पिछले तीन वर्षों की तुलना में, 2023-24 के दौरान आईएनआर में सबसे कम अस्थिरता देखी गई।36 आईएनआर की सापेक्ष स्थिरता भारत की मजबूत समष्टि-आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों, वित्तीय स्थिरता और बाहरी स्थिति में सुधार को दर्शाती है।
वित्तीय स्थिरता
22. दिसंबर 2023 के अंत तक के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की पूंजी और परिसंपत्ति गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक स्वस्थ बने हुए हैं।37 नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के वित्तीय संकेतक भी बैंकिंग प्रणाली के अनुरूप हैं।
23. मैं यहां इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि बैंकों, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थाओं को अभिशासन की गुणवत्ता और विनियामक दिशानिर्देशों के पालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी जारी रखनी चाहिए। वित्तीय क्षेत्र के प्लेयर्स, बड़े स्तर पर, सार्वजनिक धन उपयोग करते हैं - चाहे वह बैंकों और चुनिंदा एनबीएफसी के जमाकर्ताओं का हो या बांड और अन्य वित्तीय लिखतों में निवेशकों का हो। इस बात का उन्हें हमेशा ध्यान रखना चाहिए। रिज़र्व बैंक इस संबंध में वित्तीय संस्थाओं के साथ रचनात्मक रूप से संबंध बनाए रखेगा। यह जानने की जरूरत है कि वित्तीय स्थिरता सभी हितधारकों की संयुक्त जिम्मेदारी है।
24. रिज़र्व बैंक अपने विनियमों को सरल बनाने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए विनियमित संस्थाओं और विभिन्न हितधारकों के साथ भी बातचीत कर रहा है। इस प्रयास के अंतर्गत, रिज़र्व बैंक द्वारा गठित विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए 2.0) की सिफारिशों को बड़े स्तर पर लागू किया गया है। आरआरए 2.0 ने विनियामक और विनियमित संस्थाओं के बीच सार्थक संबंध के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया है।38 उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, अप्रचलित नियमों को तर्कसंगत बनाने, सरल बनाने और हटाने तथा रिपोर्टिंग पद्धति को सुव्यवस्थित करने के लिए 2023 में आंतरिक समीक्षा समूहों का गठन किया गया था। आरआरए 2.0 और आंतरिक समीक्षा समूहों की सिफारिशों के अनुसरण में, एक हजार से अधिक परिपत्र वापस ले लिए गए हैं। पर्यवेक्षी विवरणी को तर्कसंगत और सुसंगत बनाने के लिए एक मास्टर निदेश भी जारी किया गया है। रिज़र्व बैंक परामर्शी दृष्टिकोण अपनाना जारी रखेगा और उभरते वित्तीय स्थितियों के अनुरूप विनियमों की समीक्षा करेगा।
बाह्य क्षेत्र
25. 2023-24 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान, सेवाओं के निर्यात में मजबूत संवृद्धि और मजबूत विप्रेषण के साथ वस्तु व्यापार घाटे में कमी के कारण भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) काफी कम हो गया।39 2023-24 की चौथी तिमाही में भारत का माल और सेवा निर्यात अच्छी गति से बढ़ा है।40 भारत विश्व में विप्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है। विप्रेषण प्राप्त करने की लागत धीरे-धीरे कम हो रही है।41 कुल मिलाकर, 2024-25 के लिए सीएडी ऐसे स्तर पर बने रहने की उम्मीद है जो व्यवहार्य और अत्यधिक प्रबंधनीय दोनों है।
26. बाह्य वित्तपोषण पक्ष पर, भारत के विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह में 2023-24 में महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया। पिछले दो वर्षों में निवल बहिर्वाह (2021-22 में 14.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2022-23 में 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में 2023-24 के दौरान निवल एफपीआई अंतर्वाह 41.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह 2014-15 के बाद एफपीआई अंतर्वाह का दूसरा उच्चतम स्तर है।42 अप्रैल-जनवरी 2023-24 में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ़डीआई) एक वर्ष पहले के 25.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम होकर 14.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।43 बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और अनिवासी जमा में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया।44 2023-24 (फरवरी 2024 तक) के दौरान ईसीबी करारों की राशि में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।45 29 मार्च 2024 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 645.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। विभिन्न बाहरी भेद्यता संकेतकों पर नवीनतम डेटा भारत के बाहरी क्षेत्र की बेहतर आघात-सहनीयता का सुझाव देते हैं।46 हम इस बात से आश्वस्त हैं कि हम अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को आराम से पूरा कर सकते हैं।
अतिरिक्त उपाय
27. अब मैं कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करूंगा।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में सॉवरेन हरित बॉण्ड का व्यापार
28. सॉवरेन हरित बॉण्ड में व्यापक अनिवासी सहभागिता को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, आईएफएससी में इन बॉण्डों में निवेश और व्यापार के लिए एक योजना शीघ्र ही अधिसूचित की जाएगी।
आरबीआई रिटेल डायरेक्ट योजना - मोबाइल ऐप का शुभारंभ
29. आरबीआई रिटेल डायरेक्ट योजना का शुभारंभ नवंबर 2021 में किया गया था। अब रिटेल डायरेक्ट पोर्टल तक पहुंच के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने का प्रस्ताव है। इससे खुदरा निवेशकों को अधिक सुविधा होगी और जी-सेक बाजार गहन होगा।
चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) ढांचे की समीक्षा
30. तकनीकी विकास ने बैंक ग्राहकों को अपने बैंक खातों से तुरंत पैसे निकालने या अंतरित करने में सक्षम बनाया है। ग्राहक सुविधा में सुधार के साथ-साथ, इसने बैंकों के लिए संभावित स्थितियों से निपटने की चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं, जब कतिपय कारणों से बड़ी संख्या में जमाकर्ता तुरंत और एक साथ बैंकों से अपना पैसा निकालने का निर्णय लेते हैं। पिछले वर्ष कुछ क्षेत्रों में हुए घटनाक्रमों से पता चला कि ऐसी स्थितियों से निपटने में बैंकों के लिए कितनी कठिनाइयाँ हो सकती हैं। अतः, बैंकों के लिए एलसीआर ढांचे की व्यापक समीक्षा करने की आवश्यकता हो गई है। हितधारकों के परामर्श के लिए शीघ्र ही एक परिपत्र का मसौदा जारी किया जाएगा।
रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव उत्पादों में संव्यवहार- लघु वित्त बैंक
31. वर्तमान में, लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) को स्वपूंजी हेजिंग के लिए केवल ब्याज दर फ्यूचर्स (आईआरएफ) का उपयोग करने की अनुमति है। अब यह निर्णय लिया गया है कि एसएफबी को अनुमत रुपया ब्याज डेरिवेटिव उत्पादों के उपयोग करने की अनुमति दी जाए। इससे एसएफबी को अपने ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए और लचीलापन मिलेगा और उनकी आघात सहनीयता बढ़ेगी।
नकद जमा सुविधा के लिए यूपीआई को सक्षम बनाना
32. नकदी जमा मशीनों (सीडीएम) के माध्यम से नकदी जमा करना मुख्य रूप से डेबिट कार्ड के उपयोग के माध्यम से किया जा रहा है। एटीएम में यूपीआई का उपयोग करके कार्ड-रहित नकद निकासी से प्राप्त अनुभव को देखते हुए, अब यूपीआई का उपयोग करके सीडीएम में नकदी जमा करने की सुविधा भी प्रदान करने का प्रस्ताव है। यह उपाय ग्राहकों की सुविधा को और बढ़ाएगा और बैंकों में मुद्रा प्रबंधन प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाएगा।
तृतीय पक्ष ऐप्स के माध्यम से प्रीपेड पेमेंट लिखत (पीपीआई) के लिए यूपीआई एक्सेस
33. वर्तमान में, प्रीपेड पेमेंट लिखत (पीपीआई) से यूपीआई भुगतान केवल पीपीआई जारीकर्ता द्वारा प्रदान किए गए वेब या मोबाइल ऐप का उपयोग करके किया जा सकता है। अब पीपीआई वॉलेट से यूपीआई भुगतान करने के लिए तृतीय पक्ष के यूपीआई ऐप्स के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव है। इससे ग्राहक सुविधा में और वृद्धि होगी और छोटे मूल्य के लेनदेन के लिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा।
गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों के माध्यम से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का वितरण
34. सीबीडीसी पायलट वर्तमान में उपयोग के मामलों और प्रतिभागी बैंकों की बढ़ती संख्या के साथ परिचालित हैं। गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को सीबीडीसी वॉलेट प्रदान करने में सक्षम बनाकर सीबीडीसी-रिटेल को उपयोगकर्ताओं के व्यापक वर्ग के लिए सुलभ बनाने का प्रस्ताव है। इससे एकाधिक माध्यमों से लेनदेन करने के लिए सीबीडीसी प्लेटफॉर्म की लचीलेपन के परीक्षण की सुविधा भी मिलेगी।
निष्कर्ष
35. जैसे-जैसे हम RBI@100 की ओर आगे बढ़ रहे हैं, आने वाला दशक एक परिवर्तनकारी यात्रा होगी। रिज़र्व बैंक वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने और एक ऐसी प्रणाली को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा जो आर्थिक संवृद्धि का समर्थन करने के लिए मजबूत, आघात-सहनीय और भविष्य के लिए तैयार हो। मूल्य स्थिरता इस प्रयास का एक प्रमुख घटक होगा।
36. वर्तमान की ओर देखते हुए, मुद्रास्फीति घट रही है और सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर में उछाल है। इस समय, हमें अपनी सतर्कता कम नहीं करनी चाहिए बल्कि यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए कि मुद्रास्फीति टिकाऊ और स्थायी रूप से लक्ष्य के अनुरूप रहे। हमारा लक्ष्य सामने है और हमें सतर्क रहना चाहिए। हम महात्मा गांधी के गहन शब्दों से प्रेरित हैं: “...व्यक्ति को दृढ़ रहना चाहिए और धैर्य रखना चाहिए। सफलता ऐसे प्रयास का अपरिहार्य परिणाम है।”47
धन्यवाद, नमस्कार।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/41
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