24 नवंबर 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इण्डियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 31 अक्तूबर 2023 के आदेश द्वारा इण्डियन ओवरसीज़ बैंक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘ऋण और अग्रिम- सांविधिक और अन्य प्रतिबंध’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.00 करोड़ (एक करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया। आईएसई 2022 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक द्वारा उपरोक्त निदेशों का अननुपालन इस सीमा तक किया गया कि बैंक ने (1) दो कॉर्पोरेट संस्थानों को (i) कतिपय परियोजनाओं के लिए परिकल्पित बजटीय संसाधनों के एवज में या स्थानापन्न करने के लिए; (ii) परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंकिंग सक्षमता पर समुचित सावधानी बरते बिना,यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व प्रवाह ऋण चुकौती दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था; और (iii) जिसका पुनर्भुगतान/ चुकौती बजटीय संसाधनों से की गई थी, मियादी ऋण स्वीकृत किया, और (2) अन्य कॉर्पोरेट संस्थान को (i) परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंकिंग सक्षमता पर समुचित सावधानी बरते बिना,यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व प्रवाह ऋण चुकौती दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था; और (ii) जिसका पुनर्भुगतान/ चुकौती बजटीय संसाधनों से की गई थी, मियादी ऋण स्वीकृत किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अननुपालन का उपरोक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1356
|