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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ बड़ौदा पर मौद्रिक दंड लगाया

24 नवंबर 2023

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ बड़ौदा पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 2 नवंबर 2023 के आदेश द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 13 फरवरी 2014 के 'बड़े ऋणों पर सूचना का केंद्रीय रिपोज़िटरी (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन', के साथ पठित दिनांक 11 सितंबर 2013 के 'सभी बैंकों में बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय रिपोज़िटरी का निर्माण', 'ऋण और अग्रिम – सांविधिक और अन्य प्रतिबंध', तथा 'भारतीय रिज़र्व बैंक (जमाराशियों पर ब्याज दर) निदेश, 2016' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 4.34 करोड़ (चार करोड़ चौंतीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2021) किया गया। आईएसई 2021 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट, और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक द्वारा उपरोक्त निदेशों के इस सीमा तक अननुपालन का पता चला कि बैंक (i) कतिपय खातों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत बड़े एक्सपोज़र पर आंकड़ों की सटीकता और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने में विफल रहा, (ii) एक निगम को (ए) कतिपय परियोजनाओं के लिए परिकल्पित बजटीय संसाधनों के एवज में या स्थानापन्न करने के लिए; (बी) परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंकिंग सक्षमता पर समुचित सावधानी बरते बिना, यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व प्रवाह, ऋण चुकौती दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था; और (सी) जिसका पुनर्भुगतान/ चुकौती बजटीय संसाधनों से की गई थी, मीयादी ऋण स्वीकृत किया, (iii) सब्सिडी के माध्यम से सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के सापेक्ष एक निगम को कार्यशील पूंजी मांग ऋण स्वीकृत किया, और (iv) पहले से प्रकट की गई ब्याज दरों की अनुसूची के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों से स्वीकार की गई जमाराशियों पर ब्याज दर का भुगतान नहीं किया। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1354


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