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प्रेस प्रकाशनी

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गवर्नर का वक्तव्य: 10 अगस्त 2023

10 अगस्त 2023

गवर्नर का वक्तव्य: 10 अगस्त 2023

जैसा कि हम कुछ ही दिनों में भारत का 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं, मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि हाल के वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर आघातों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ज्यादा मजबूत और स्थिर बनी हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था पर्याप्त गति से बढ़ रही है, विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है1 और वैश्विक संवृद्दि में लगभग 15 प्रतिशत का योगदान दे रही है। हमने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारे बैंक ऐतिहासिक रूप से उच्च पूंजी स्तर, अनर्जक आस्तियों के घटते स्तर और बढ़ती लाभप्रदता के साथ एक दशक से भी अधिक समय से मजबूत बने हुए हैं। न्यूनतर लीवरेज, ऋण चुकौती क्षमता में सुधार और मजबूत लाभप्रदता के साथ कॉर्पोरेट तुलन-पत्र मजबूत हैं। न्यूनतर चालू खाता घाटा और पर्याप्त पूंजी प्रवाह ने हमारे बाह्य क्षेत्र को मजबूती प्रदान की है। विदेशी आरक्षित निधियों में परिणामी वृद्धि ने बाह्य आघातों के प्रति एक बफर प्रदान किया है। कुल मिलाकर, भारत के मजबूत समष्टि आर्थिक मूल तत्वों ने धारणीय संवृद्धि की नींव रखी है।

2. ऐसे समय में, हमें अपनी संवृद्धि को और अधिक सहारा प्रदान करते हुए समष्टि-वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के अपने प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता है। भू-राजनीतिक पुनर्निर्धारण और तकनीकी नवोन्मेषों के मद्देनजर वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे परिवर्तनकारी बदलावों से भारत विशिष्ट रूप से लाभ की स्थिति में है। बृहद घरेलू मांग, अप्रयुक्त संसाधनों और जनसांख्यिकीय लाभ के साथ आगे बढ़ती एक बड़ी अर्थव्यवस्था से भारत विश्व के लिए नया संवृद्धि इंजन बन सकता है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय और विचार-विमर्श

3. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8, 9 और 10 अगस्त 2023 को हुई। सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, इसने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उत्तरोत्तर लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

4. अब मैं नीतिगत दर और रुख पर इन निर्णयों के लिए एमपीसी के तर्क के बारे में बताता हूँ। हेडलाइन मुद्रास्फीति, मई 2023 में 4.3 प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद, जून में बढ़ी और सब्जियों की कीमतों के कारण जुलाई-अगस्त के दौरान बढ़ने की आशा है। तथापि, सब्जियों की कीमत का आघात जल्द ही कम हो सकता है, लेकिन अब तक के विषम दक्षिण-पश्चिम मानसून की पृष्ठभूमि में वैश्विक खाद्य कीमतों के साथ-साथ संभावित अल नीनो मौसम की स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है। ये घटनाक्रम उभरते मुद्रास्फीति प्रक्षेप पथ पर कड़ी निगरानी की मांग करते हैं। एमपीसी द्वारा की गई 250 आधार अंकों की संचयी दर वृद्धि अर्थव्यवस्था में अपना काम कर रही है। तथापि, कमजोर बाहरी मांग के बावजूद घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है और इसकी गति बरकरार रहने की संभावना है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, एमपीसी ने सतर्क रहने और उभरती स्थिति का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया। तदनुसार, एमपीसी ने आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रहने के साथ नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। एमपीसी मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने और मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को स्थिर करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है।

5. इसके अलावा, मौद्रिक संचारण अभी भी हो रहा है2 और हेडलाइन मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक बनी हुई है, एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उत्तरोत्तर लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति का आकलन

वैश्विक संवृद्धि

6. वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ी हुई मुद्रास्फीति, ऋण के उच्च स्तर, सख्त और अस्थिर वित्तीय स्थिति, निरंतर भू-राजनीतिक तनाव, विखंडन और चरम मौसम स्थिति की कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहले की आशंकाओं को झुठलाते हुए, कई अर्थव्यवस्थाओं ने उल्लेखनीय आघात-सहनीयता का प्रदर्शन किया है और कठोर अवतरण (हार्ड लैंडिंग) की गंभीर संभावनाएं कम होती दिख रही है। फिर भी, आईएमएफ द्वारा 2023 के लिए वैश्विक संवृद्धि पूर्वानुमान में बढ़ोतरी3 के बावजूद, चालू वर्ष और अगले कुछ वर्षों में वैश्विक संवृद्धि ऐतिहासिक मानकों से कम रहने की संभावना है। डब्ल्यूटीओ द्वारा विश्व पण्य व्यापार की मात्रा की संवृद्धि 2022 में 2.7 प्रतिशत से घटकर 2023 में 1.7 प्रतिशत होने का अनुमान है। हेडलाइन मुद्रास्फीति सभी देशों में असमान रूप से कम हो रही है और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। यद्यपि मौद्रिक सख्ती की गति कम कर दी गई है, लेकिन नीतिगत दरें लंबे समय तक ऊंची रह सकती हैं। वित्तीय बाजार, जो मौद्रिक सख्ती के चक्र के शीघ्र समाप्त होने की प्रत्याशा से उत्साहित थे, हालिया रेटिंग की घटना और आगामी आंकड़ों के कारण बड़े पैमाने पर दो-तरफा उतार-चढ़ाव के साथ अस्थिर हो गए हैं।

घरेलू संवृद्धि

7. ये बाहरी कारक, अधिकांश प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की संभावनाओं पर असर डाल सकती है। तथापि, आशा है कि भारत कई अन्य देशों की तुलना में इन बाह्य प्रतिकूल परिस्थितियों का कहीं बेहतर ढंग से सामना करेगा।

8. भारत में समग्र आर्थिक गतिविधि की गति सकारात्मक बनी हुई है। आपूर्ति पक्ष पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून में निरंतर प्रगति के साथ फसल की बुआई में तेजी आई है।4 तथापि, मानसून का अस्थायी और स्थानिक वितरण असमान रहा है। जैसा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), मूल उद्योग उत्पादन और विनिर्माण के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई)5 पर नवीनतम आंकड़ों से स्पष्ट है, औद्योगिक गतिविधि मजबूत हो रही है। ई-वे बिल, टोल संग्रह, रेलवे माल ढुलाई और सेवा पीएमआई में अच्छी वृद्धि से उत्साहजनक सेवा गतिविधि परिलक्षित होती है।6 दूसरी ओर, वाणिज्यिक वाहन की बिक्री और घरेलू हवाई माल यातायात में 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान गिरावट आई।

9. सकल मांग की स्थितियाँ उत्साहजनक बनी हुई हैं। शहरी मांग संकेतकों में, घरेलू हवाई यात्री यातायात, यात्री वाहन की बिक्री और परिवारों का ऋण निरंतर संवृद्धि प्रदर्शित कर रहा है। ग्रामीण मांग के मामले में, जून में ट्रैक्टर और उर्वरक की बिक्री में सुधार हुआ, जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री में कमी आई। कृषि ऋण में उच्च संवृद्धि और प्रमुख शीघ्र विक्रेय उपभोक्ता वस्तु (एफएमसीजी) कंपनियों की बिक्री की मात्रा में सुधार से ग्रामीण मांग में शुरुआती सुधार का संकेत मिलता है, जो कि खरीफ संभावनाओं में सुधार से मजबूत होगा।

10. सरकारी पूंजीगत व्यय7, बढ़ती कारोबारी प्रत्याशा और कतिपय प्रमुख क्षेत्रों में निजी पूंजीगत व्यय में बहाली के कारण निवेश गतिविधि में और तेजी आई।8 पूंजीगत वस्तुओं के आयात और उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस प्रवृत्ति की पुष्टि करती है। सीमेंट उत्पादन और इस्पात की खपत में मजबूत संवृद्धि से संकेत मिलता है कि पहली तिमाही के दौरान विनिर्माण गतिविधि भी मजबूत रहीं। विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग 76.3 प्रतिशत (और मौसमी रूप से समायोजित आधार पर 74.1 प्रतिशत) दीर्घकालिक औसत 73.7 प्रतिशत से ऊपर रहा।9 बैंकों और अन्य स्रोतों से वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों का कुल प्रवाह वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान अब तक (28 जुलाई तक) 7.5 लाख करोड़ बढ़ गया है, जबकि एक वर्ष पहले यह 5.7 लाख करोड़ था।10 नकारात्मक पक्ष में, पण्य निर्यात और गैर-तेल गैर-स्वर्ण के आयात में जून में और गिरावट आई और बाह्य मांग में कमी के कारण सेवा निर्यात में संवृद्धि कम हो गई।

11. आगे, इन अंतर्निहित गतिविधियों और आगामी त्यौहारी सीज़न से निजी उपभोग और निवेश गतिविधि को समर्थन मिलने की आशा है। तथापि, कमजोर बाह्य मांग और दीर्घावधि भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न होने वाले प्रभाव-विस्तार, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 8.0 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत के साथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.6 प्रतिशत अनुमानित है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

मुद्रास्फ़ीति

12. 2023-24 की पहली तिमाही में हेडलाइन मुद्रास्फीति का 4.6 प्रतिशत तक कम होना जून एमपीसी बैठक में निर्धारित अनुमानों के अनुरूप था। खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी के कारण जून में हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 4.8 प्रतिशत हो गई। सकारात्मक पक्ष पर, खाद्य और ईंधन (मुख्य मुद्रास्फीति) को छोड़कर मुद्रास्फीति जनवरी 2023 में अपने हालिया उच्चतम स्तर से 100 आधार अंक से अधिक कम हो गई है। जुलाई के महीने में मुख्य रूप से सब्जियों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि देखी गई है। टमाटर की कीमतों में बढ़ोत्तरी तथा अनाज और दालों की कीमतों में वृद्धि ने इसमें योगदान दिया है। परिणामस्वरूप, निकट अवधि में हेडलाइन मुद्रास्फीति में बड़ी वृद्धि होगी।

13. पिछली प्रवृत्ति को देखते हुए, कुछ महीनों के बाद सब्जियों की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है। मॉनसून की प्रगति में सुधार के कारण ख़रीफ़ फ़सलों की संभावनाएँ उज्ज्वल हो गई हैं। तथापि, अगस्त और उसके बाद अचानक मौसम की घटनाओं और संभावित अल नीनो स्थितियों के कारण घरेलू खाद्य कीमत की संभावना अनिश्चितता बनी हुई है। वैश्विक खाद्य कीमतें भी नवीकृत भू-राजनीतिक तनाव पर सख्त पूर्वाग्रह प्रदर्शित कर रही हैं। हाल के सप्ताहों में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है और इसकी संभावना पर मांग-आपूर्ति अनिश्चितताओं के बादल छाए हुए हैं।

14. मुद्रास्फीति के भावी प्रक्षेप पथ का आकलन एक सतत प्रक्रिया है। हमारे पास बेहतर मार्गदर्शन के हित में, यदि आवश्यक हो, एमपीसी की प्रत्येक बैठक में अपने मुद्रास्फीति अनुमानों को संशोधित करने का विकल्प है; या बार-बार बदलाव से बचें और प्रस्तुति की सरलता के लिए उन्हें कम अवसरों पर ही संशोधित करें। निरंतर अनिश्चितताओं को देखते हुए, 2023-24 के लिए हमारा नवीनतम सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान, सामान्य मानसून की कल्पना करते हुए, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत के साथ 5.4 प्रतिशत पर संशोधित किया गया है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

15. 2023-24 की दूसरी तिमाही के लिए हेडलाइन मुद्रास्फीति अनुमान को काफी हद तक ऊर्ध्वगामी संशोधित किया गया है, जिसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों का आघात है। इन आघातों की संभावित अल्पकालिक प्रकृति को देखते हुए, मौद्रिक नीति कुछ समय के लिए ऐसे आघातों के कारण होने वाली उच्च मुद्रास्फीति प्रिंट को अनदेखा कर सकती है। तथापि, बार-बार होने वाली खाद्य कीमतों के आघात की घटनाएं मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को स्थिर करने के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं, जो सितंबर 2022 से जारी है। निरंतर और समय पर आपूर्ति पक्ष के मध्यक्षेप की भूमिका, ऐसे आघातों की गंभीरता और अवधि को सीमित करने में महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में, मूल्य स्थिरता के लिए उभरती प्रवृत्तियों और जोखिमों के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है। यदि आवश्यक हो तो हमें नीतिगत लिखतों का प्रयोग करने के लिए अर्जुन की नजर से परे जाने के लिए तैयार रहना होगा। मैंने अपने जून के नीतिगत वक्तव्य में जो कहा था उसे दोहराता हूं: हेडलाइन मुद्रास्फीति को सहन स्तर बैंड के भीतर लाना पर्याप्त नहीं है; हमें मुद्रास्फीति को 4.0 प्रतिशत के लक्ष्य से संरेखित करने पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

चलनिधि और वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ

16. बैंकिंग प्रणाली में 2000 के बैंक नोटों की वापसी, आरबीआई द्वारा सरकार को अधिशेष अंतरण, सरकारी व्यय में बढ़ोत्तरी और पूंजी प्रवाह के कारण हाल के महीनों में प्रणाली में अधिशेष चलनिधि का स्तर बढ़ गया है। चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत समग्र दैनिक अवशोषण जून में 1.7 लाख करोड़ और जुलाई 2023 में 1.8 लाख करोड़ था।

17. इतनी अधिशेष चलनिधि के बावजूद, रिज़र्व की 14-दिवसीय परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) नीलामी पर बाजार की प्रतिक्रिया फीकी रही; इसके बजाय, बैंकों ने अपनी अधिशेष चलनिधि को कम लाभकारी स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) में रखना पसंद किया। हालाँकि, इस अवधि के दौरान 1-4 दिनों की परिपक्वता वाली परिमार्जित वीआरआरआर नीलामियों को बाज़ार से बेहतर प्रतिक्रिया मिली11, लेकिन यह मुख्य परिचालन के अंतर्गत बड़ी निधि को पार्क करने के लिए अनिवार्य रूप से बैंकों के बीच अधिक जोखिम विमुखता को दर्शाता है। इस संदर्भ में, यह दोहराना जरूरी है कि विशेष या असाधारण स्थितियों से निपटने के लिए परिमार्जित परिचालन (एक दिवसीय और 13 दिनों तक) किए जाते हैं और यह नियम नहीं बन सकते।

18. हाल के वर्षों में, चलनिधि पर हमारा घोषित रुख, अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि बनाए रखना है। दूसरी ओर, अत्यधिक चलनिधि, मूल्य स्थिरता और वित्तीय स्थिरता के लिए भी जोखिम उत्पन्न कर सकती है। अतः, कुशल चलनिधि प्रबंधन के लिए अधिशेष चलनिधि के स्तर के निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता होती है ताकि अतिरिक्त चलनिधि के तत्व को अवरुद्ध करने के लिए आवश्यक होने पर अतिरिक्त उपाय किए जा सकें। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि 12 अगस्त, 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से, अनुसूचित बैंक 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच अपनी शुद्ध मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का वृद्धिशील आरक्षित नकदी निधि अनुपात (आई-सीआरआर) बनाए रखेंगे। इस उपाय का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में 2000 के नोटों की वापसी सहित पहले उल्लिखित विभिन्न कारकों से उत्पन्न अधिशेष चलनिधि को अवशोषित करना है। चलनिधि की अधिकता के प्रबंधन के लिए यह पूरी तरह से एक अस्थायी उपाय है। इस अस्थायी अवरुद्धता के बाद भी, अर्थव्यवस्था की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि बनी रहेगी। त्योहारी मौसम से पहले अवरुद्ध निधि को बैंकिंग प्रणाली में वापस करने की दृष्टि से आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर 2023 या उससे पहले की जाएगी। मुझे यह जोड़ना होगा कि मौजूदा आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगा।

वित्तीय स्थिरता

19. भारतीय वित्तीय क्षेत्र स्थिर और लचीला रहा है, जैसा कि बैंक ऋण में निरंतर संवृद्धि, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के निम्न स्तर और पर्याप्त पूंजी और चलनिधि बफर में परिलक्षित होता है।12 ऋण जोखिम के लिए समष्टि दबाव परीक्षणों से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) गंभीर दबाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का अनुपालन करने में सक्षम होंगे। हालाँकि, आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि शांत और अच्छे समय के दौरान भेद्यता आ सकती हैं। इसलिए, इन अवधियों के दौरान बफ़र्स का निर्माण सबसे अच्छा होता है। मूल्य स्थिरता और निरंतर संवृद्धि के लिए एक स्थिर वित्तीय प्रणाली का होना बहुत आवश्यक है। यह एक साझा जिम्मेदारी है जिसमें बैंक, एनबीएफसी और अन्य जैसी विनियमित संस्थाएं महत्वपूर्ण हितधारक हैं। अपनी ओर से, रिज़र्व बैंक वित्तीय प्रणाली को उभरती और संभावित चुनौतियों से सुरक्षित रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। हम विनियमित संस्थाओं से भी यही उम्मीद करते हैं।

बाहरी क्षेत्र

20. भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.0 प्रतिशत था, जबकि 2021-22 में यह 1.2 प्रतिशत था। 2023-24 की पहली तिमाही में निर्यात में संकुचन की तुलना में आयात में संकुचन में बढ़ोत्तरी के कारण वस्तु व्यापार घाटा कम हो गया है। हालाँकि, सेवा निर्यात और विप्रेषण से चालू खाता घाटे को राहत मिलने की उम्मीद है। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भी सीएडी काफी हद तक प्रबंधनीय बना रहेगा।

21. वित्तपोषण पक्ष पर, 2023-24 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह में उछाल बना हुआ है। 8 अगस्त 2023 तक निवल एफपीआई अंतर्वाह 20.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है जो 2014-15 के बाद से सबसे अधिक है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ था। बाह्य वाणिज्यिक उधार के अंतर्गत अंतर्वाह में भी बदलाव देखा गया, जिसमें अप्रैल-जून 2023 के दौरान 6.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह हुआ, जबकि एक वर्ष पहले इसमें 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह हुआ था। दूसरी ओर, भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्रवाह अप्रैल-मई 2023 के दौरान एक वर्ष पहले के 10.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से गिरकर 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो एफडीआई प्रवाह में वैश्विक मंदी को दर्शाता है। नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में विदेशी ऋण अनुपात मार्च 2022 के अंत में 20.0 प्रतिशत की तुलना में सुधरकर मार्च 2023 के अंत में 18.9 प्रतिशत हो गया।

22. जनवरी 2023 से भारतीय रुपया स्थिर बना हुआ है। विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। छत्र ने और ताकत इकट्ठी कर ली है; और मैं यह बात मानसूनी बारिश के सन्दर्भ में नहीं कह रहा हूँ!13

अतिरिक्त उपाय

23. अब मैं कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करता हूँ।

वित्तीय बेंचमार्क प्रशासकों के लिए विनियामकीय ढांचे की समीक्षा

24. जून 2019 में जारी मौजूदा विनियमों को संशोधित करने और वित्तीय बेंचमार्क के संचालन के लिए एक व्यापक, जोखिम-आधारित ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसमें विदेशी मुद्रा, ब्याज दरें, मुद्रा बाजार और सरकारी प्रतिभूतियों से संबंधित सभी बेंचमार्क शामिल होंगे। संशोधित निदेश, वित्तीय बेंचमार्क की सटीकता और सत्यनिष्ठा के बारे में अधिक आश्वासन प्रदान करेंगे।

अवसंरचना उधार निधि- एनबीएफसी (आईडीएफ-एनबीएफसी) के लिए विनियामकीय ढांचे की समीक्षा

25. वर्तमान में, अवसंरचना उधार निधि (आईडीएफ) अवसंरचना क्षेत्र में ऋणदाताओं के लिए पुनर्वित्त सुविधाएं प्रदान करते हैं। आईडीएफ के लिए मौजूदा नियामक ढांचे को संशोधित किया गया है। संशोधित ढांचे में मुख्य परिवर्तन हैं: (i) आईडीएफ के लिए प्रायोजक रखने की आवश्यकता को वापस लेना; (ii) आईडीएफ को प्रत्यक्ष ऋणदाताओं के रूप में टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की अनुमति देना; (iii) आईडीएफ को ईसीबी के माध्यम से निधि जुटाने की अनुमति देना; और (iv) पीपीपी परियोजनाओं के लिए त्रिपक्षीय करारों को वैकल्पिक बनाना। इन बदलावों से देश में अवसंरचना के वित्तपोषण की क्षमता में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

समान मासिक किस्त (ईएमआई) आधारित अस्थिर ब्याज वाले ऋणों की ब्याज दर पुनर्निर्धारण में अधिक पारदर्शिता

26. अस्थिर ब्याज वाले ऋणों पर ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण के लिए एक पारदर्शी ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव है। ढांचे के लिए विनियमित संस्थाओं को (i) अवधि और/या ईएमआई को पुनर्निर्धारित करने के लिए उधारकर्ताओं के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करने; (ii) नियत दर वाले ऋणों पर स्विच करने या ऋणों को पहले बंद करने का विकल्प प्रदान करने; (iii) विकल्पों के प्रयोग से संबंधित विभिन्न शुल्कों का खुलासा करने; और (iv) उधारकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी देना सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी। ये उपाय उपभोक्ता संरक्षण को और सुदृढ़ करेंगे।

पर्यवेक्षी डेटा प्रस्तुति करने के लिए निर्देशों का समेकन और सामंजस्य

27. रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा पर्यवेक्षी विवरणी प्रस्तुत करने संबंधी कतिपय दिशानिर्देश जारी किए हैं। अनुपालन बोझ को कम करने और पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए व्यापार करने में अधिक आसानी को बढ़ावा देने के लिए ऐसे दिशानिर्देशों को एक ही मास्टर निदेश में समेकित करने और सुसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है।

यूपीआई पर संवादात्मक भुगतान और ऑफ-लाइन क्षमता; छोटे मूल्य के ऑफ-लाइन डिजिटल भुगतान की लेनदेन सीमा में वृद्धि

28. उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल भुगतान अनुभव में सुधार करने हेतु नई तकनीकों का उपयोग करने के उद्देश्य से, यह प्रस्तावित है कि (i) यूपीआई पर "संवादात्मक भुगतान" को सक्षम किया जाए, जो उपयोगकर्ताओं को भुगतान करने के लिए एआई-संचालित प्रणालियों के साथ बातचीत में शामिल होने में सक्षम बनाएगा; (ii) 'यूपीआई-लाइट' ऑन-डिवाइस वॉलेट के माध्यम से नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का उपयोग करके यूपीआई पर ऑफ़लाइन भुगतान शुरू करना; और (iii) प्रति भुगतान लिखत 2000 की समग्र सीमा के भीतर ऑफ-लाइन मोड में छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान के लिए लेनदेन सीमा को 200 से बढ़ाकर 500 कर दिया जाए। ये पहल देश में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग को और गहन बनाएगा।

घर्षण रहित क्रेडिट के लिए सार्वजनिक तकनीकी मंच

29. रिज़र्व बैंक ने, रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) के सहयोग से, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण से शुरू करते हुए, एंड-टू-एंड डिजिटल प्रक्रियाओं के माध्यम से घर्षण रहित क्रेडिट वितरण के लिए सितंबर 2022 में एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की। केसीसी ऋण के लिए प्रायोगिक कार्यक्रम वर्तमान में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, यूपी और महाराष्ट्र के चुनिंदा जिलों में शुरू किया गया है। हाल ही में गुजरात के चुनिंदा जिलों में दुग्ध ऋण को प्रायोगिक परियोजना में शामिल किया गया है। प्रायोगिक परियोजना से मिली सीख के आधार पर और एंड-टू-एंड डिजिटल ऋण प्रक्रियाओं के दायरे का विस्तार करने के लिए, आरबीआईएच द्वारा घर्षण रहित ऋण वितरण के लिए एक सार्वजनिक तकनीकी मंच विकसित किया जा रहा है। इस मंच को एक सुविचारित तरीके से प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू करने का इरादा है। इसमें एक खुला आर्किटेक्चर और खुला एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (एपीआई) और मानक होंगे, जिससे सभी वित्तीय क्षेत्र के प्लेयर निर्बाध रूप से जुड़ सकते हैं। इस पहल से अब तक वंचित क्षेत्रों में ऋण की पहुंच में तेजी आएगी और वित्तीय समावेशन और गहन होगा।

निष्कर्ष

30. हमने भारत की संवृद्धि गति को बनाए रखने में अच्छी प्रगति की है। हालांकि मुद्रास्फीति कम हो गई है, लेकिन काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। अस्थिर अंतरराष्ट्रीय खाद्य और ऊर्जा की कीमतों, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और मौसम संबंधी अनिश्चितताओं के बीच मुद्रास्फीति का जोखिम बना हुआ है। मौद्रिक नीति की दिशा तय करने में, हम निरंतर अपने पिछले कार्यों के प्रभाव, उभरती मुद्रास्फीति की गतिकी और आर्थिक संभावना के लिए प्राप्त आंकड़ों का आकलन करते हैं। मैं टिकाऊ आधार पर सीपीआई मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराता हूं। हम विशिष्ट आघातों पर भी ध्यान रखते हैं, लेकिन यदि ऐसी विलक्षणताएं सततता के लक्षण दिखाती हैं, तो हमें कार्रवाई करनी होगी। जैसे ही हम स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी करते हैं, वातावरण आशा और प्रतिबद्धताओं से भर जाता है। मैं महात्मा गांधी के भविष्यसूचक शब्दों को याद करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं "...मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारा देश दुनिया के देशों के बीच सबसे अधिक ऊंचाई तक पहुंचेगा।"14

धन्यवाद। नमस्कार।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/725


1 बाजार विनिमय दर पर जीडीपी के संदर्भ में।

2 मौद्रिक नीति के निभावकारी चरण के दौरान, अर्थात फरवरी 2019 से मार्च 2022 तक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की नए जमाराशि पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) और नए ऋणों पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में रेपो दर में 250 आधार अंकों की कटौती के कारण क्रमशः 259 आधार अंक और 232 आधार अंक की गिरावट आई थी। हाल की सख्ती के चरण में, अर्थात मई 2022 से जून 2023 तक, रेपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि हुई है, जो सहजता चरण में की गई कटौती की पूरी तरह से भरपाई करती है। तथापि, नयी जमाराशि पर डब्ल्यूएडीटीडीआर और ताज़ा ऋण पर डब्ल्यूएएलआर में क्रमशः 231 आधार अंक और 169 आधार अंक की वृद्धि, निभावकारी चरण के दौरान इन दरों में हुई गिरावट से कम है।

3 आईएमएफ के अनुसार, 2000 से 2019 के दौरान वार्षिक औसत वैश्विक संवृद्धि दर 3.8 प्रतिशत थी।

4 4 अगस्त 2023 को खरीफ फसलों के अंतर्गत बोया गया कुल क्षेत्रफल एक वर्ष पहले की तुलना में 0.4 प्रतिशत अधिक था। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान संचयी वर्षा 9 अगस्त 2023 तक दीर्घकालिक औसत के समान थी। 3 अगस्त को प्रमुख जलाशयों में भंडारण पूर्ण क्षमता का 56 प्रतिशत था, जो दशकीय औसत 50 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन एक वर्ष पहले के 60 प्रतिशत से कम है।

5 औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) मई में 5.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि जून में मूल बुनियादी ढांचा उत्पादन 8.2 प्रतिशत बढ़ा। विनिर्माण के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) जुलाई में 57.7 था।

6 मजबूत मांग और नए कारोबारी लाभ के कारण पीएमआई सेवाएं जून के 58.5 से बढ़कर जुलाई में 62.3 हो गईं, जो जून 2010 के बाद से उत्पादन में सबसे तेज विस्तार का संकेत है।

7 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में 59.1 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि हुई। 20 राज्यों के लिए उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान उनका पूंजीगत व्यय 74.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ गया, जबकि एक वर्ष पहले इसमें 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

8 धातु, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल, रसायन, लोहा और इस्पात, सीमेंट और खाद्य और पेय पदार्थ।

9 76.3 प्रतिशत 2022-23 की चौथी तिमाही से संबंधित है; दीर्घकालिक औसत 2020-21 की पहली तिमाही को छोड़कर 2008-09 की पहली तिमाही से 2022-23 की चौथी तिमाही तक से संबंधित है।

10 संसाधनों के प्रवाह पर आंकड़े में एक गैर-बैंक के बैंक के साथ विलय के प्रभाव शामिल नहीं हैं।

11 पांच 14-दिवसीय वीआरआरआर नीलामियों का औसत बोली-कवर अनुपात 38.4 प्रतिशत था और 1-4 दिनों की परिपक्वता वाली 11 फाइन-ट्यूनिंग वीआरआरआर नीलामियों का औसत बोली-कवर अनुपात 46.2 प्रतिशत था।

12 मार्च 2023 में एससीबी का जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) और सामान्य इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) पूंजी अनुपात क्रमशः 17.1 प्रतिशत और 13.9 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर था। एससीबी की सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात में गिरावट जारी रही और मार्च 2023 में यह 10 वर्ष के निचले स्तर 3.9 प्रतिशत पर आ गया, जबकि निवल अनर्जक आस्ति(एनएनपीए) अनुपात घटकर 1.0 प्रतिशत हो गया।

13 पूंजी प्रवाह मजबूत होने पर आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि जमा किया जाता है। इसी तरह, जब विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह के कारण भारतीय रुपये की विनिमय दर में अत्यधिक अस्थिरता होती है, तो आरबीआई अस्थिरता को रोकने और पर्याप्त विदेशी मुद्रा चलनिधि सुनिश्चित करने के लिए बाजार में अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति करता है। इस प्रकार, विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि बरसात के दिनों में उपयोग में लायी जाने वाली एक छतरी की तरह है (कृपया देखें: "बैंकिंग बियॉन्ड टुमॉरो"; बैंक ऑफ बड़ौदा के वार्षिक बैंकिंग सम्मेलन, जुलाई 2022 में रिज़र्व बैंक गवर्नर का भाषण)।

14 महात्मा गांधी के संकलित कार्य, खंड 95; 30 अप्रैल-6 जुलाई, 1947।


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