Click here to Visit the RBI’s new website

प्रेस प्रकाशनी

(708 kb )
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 3-5 अगस्त 2022

05 अगस्त 2022

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
3-5 अगस्त 2022

वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (5 अगस्त 2022) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया जाए।

परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.15 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.65 प्रतिशत हो गई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

ये निर्णय, संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त की गई हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. जून 2022 में एमपीसी की बैठक के बाद से, वैश्विक आर्थिक और वित्तीय वातावरण, विश्व भर में मौद्रिक नीति की सख्ती और यूरोप में जारी युद्ध, जिससे मंदी का खतरा बढ़ गया है, के संयुक्त प्रभाव के कारण बिगड़ गया है। जोखिम से बचाव की जकड़न से, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और बड़ी बिकवाली में वृद्धि देखी गई है। अमेरिकी डॉलर सूचकांक जुलाई में दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई), दोनों ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्राओं को कमजोर होते देखा। ईएमई, पूंजी बहिर्वाह और आरक्षित निधि संबंधी हानि का सामना कर रहे हैं जो उनकी संवृद्धि और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम बढ़ा रहे हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. घरेलू आर्थिक गतिविधियां लचीली बनी हुई हैं। 4 अगस्त 2022 तक, दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा दीर्घावधि औसत (एलपीए) से 6 प्रतिशत अधिक थी। खरीफ की बुआई में तेजी आ रही है। औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतकों में सुधार हो रहा है। शहरी मांग मजबूत हो रही है, जबकि ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। वस्तु निर्यात में अप्रैल-जून 2022 के दौरान 24.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें जुलाई में कुछ कमी देखी गई। गैर-तेल गैर-सोने का आयात मजबूत था, जो मजबूत घरेलू मांग का संकेत देता है।

4. सीपीआई मुद्रास्फीति मई-जून 2022 के दौरान अप्रैल में 7.8 प्रतिशत से घटकर 7.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष, व-द-व) हो गई, हालांकि अभी भी यह ऊपरी सहन-सीमा बैंड से ऊपर बनी हुई है। विशेष रूप से खाद्य तेल की कीमतों में सौम्यता और दालों और अंडों में अपस्फीति को गहन बनाने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ कमी दर्ज की गई है। मुख्य रूप से एलपीजी और केरोसिन की कीमतों में वृद्धि के कारण ईंधन मुद्रास्फीति जून में दोहरे अंकों में वापस आ गई। जबकि 22 मई 2022 से प्रभावी पेट्रोल और डीजल पंप की कीमतों पर उत्पाद शुल्क में कटौती के पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण मई-जून में मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) में कमी आई, यह उच्च स्तर पर बनी हुई है।

5. जून-जुलाई के दौरान एलएएफ के अंतर्गत 3.8 लाख करोड़ के औसत दैनिक अवशोषण के साथ कुल प्रणाली चलनिधि अधिशेष में बनी हुई है। वाणिज्यिक बैंकों से मुद्रा आपूर्ति (एम 3) और बैंक ऋण में 15 जुलाई 2022 तक क्रमशः 7.9 प्रतिशत और 14.0 प्रतिशत की वृद्धि (व-द-व) हुई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 29 जुलाई 2022 तक 573.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

संभावना

6. भू-राजनीतिक आघातों से उत्पन्न स्पिलओवर से मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र में काफी अनिश्चितता बनी हुई हैं। हाल ही में, खाद्य और धातु की कीमतें अपने चरम पर आ गई हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में हाल के सप्ताहों में कमी आई है, लेकिन वैश्विक मांग के कमजोर होने के संभावनाओं के बावजूद आपूर्ति की चिंताओं पर यह उच्च और अस्थिर बनी हुई है। अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि, आयातित मुद्रास्फीति दबावों में परिलक्षित हो सकती है। खरीफ की बढ़ती बुवाई घरेलू खाद्य कीमतों की संभावनाओं के लिए शुभ संकेत है। तथापि, धान की बुआई में कमी पर बारीक नजर रखने की आवश्यकता है, हालांकि चावल का स्टॉक, बफर मानदंडों से काफी अधिक है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों में मतदान करने वाली फर्मों को उम्मीद है कि दूसरी छमाही में सभी क्षेत्रों में इनपुट लागत दबाव कम होगा। तथापि, लागत दबावों का तेजी से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उत्पादन कीमतों पर प्रसारित होने की उम्मीद है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और 2022 में सामान्य मानसून और कच्चे तेल की औसत कीमत (भारतीय बास्केट) 105 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के अनुमान पर, 2022-23 में मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है, जो दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत पर; तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत पर; और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत पर तथा जोखिम समान रूप से संतुलित रहने की उम्मीद है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.0 प्रतिशत पर अनुमानित है (चार्ट 1)।

7. संवृद्धि की संभावना पर, ग्रामीण खपत को बेहतर कृषि संभावनाओं से लाभान्वित होने की उम्मीद है। संपर्क-गहन सेवाओं की मांग और कारोबार तथा उपभोक्ता मनोभावों में सुधार से विवेकाधीन व्यय और शहरी खपत को आधार मिलना चाहिए। निवेश गतिविधि को सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि, बैंक ऋण में सुधार और क्षमता उपयोग में वृद्धि से समर्थन मिलने की उम्मीद है। रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण में मतदान करने वाली फर्मों को 2022-23 की दूसरी तिमाही में उत्पादन मात्रा में क्रमिक विस्तार और नए ऑर्डर की उम्मीद है, जिसकी चौथी तिमाही तक बने रहने की संभावना है। दूसरी ओर, प्रलंबित भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न उच्च जोखिम, वैश्विक वित्तीय बाजार की अस्थिरता में वृद्धि और वैश्विक वित्तीय स्थितियों में मजबूती का संभावना पर भारी प्रभाव जारी है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है, जो पहली तिमाही में 16.2 प्रतिशत पर; दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत पर; तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत पर; और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत पर, तथा जोखिम व्यापक रूप से संतुलित रहने की उम्मीद है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 6.7 प्रतिशत पर अनुमानित है (चार्ट 2)।

8. हेडलाइन मुद्रास्फीति हाल ही में शिथिल हुई है और वैश्विक आपूर्ति बाधाओं में कमी के कारण आपूर्ति संभावना में सुधार हो रहा है। हालांकि, एमपीसी ने यह पाया है कि 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के ऊपरी सहन सीमा से ऊपर रहने का अनुमान है, जिससे मुद्रास्फीति की उम्मीदों को अस्थिर करने और दूसरे दौर के प्रभावों को ट्रिगर करने का जोखिम है। मुद्रास्फीति के उच्च स्तर और घरेलू आर्थिक गतिविधि में लचीलेपन को देखते हुए, एमपीसी ने यह विचार किया कि मुद्रास्फीति के दबाव को नियंत्रित करने, हेडलाइन मुद्रास्फीति को लक्ष्य के करीब सहन-सीमा बैंड के भीतर वापस लाने और संवृद्धि को बरकरार रखने को सुनिश्चित करने हेतु मुद्रास्फीति के अनुमान को स्थिर रखने के लिए और अधिक सुविचारित मौद्रिक नीति कार्रवाई की आवश्यकता है। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

9. एमपीसी के सभी सदस्य – डॉ. शंशाक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया।

10. प्रो. जयंत आर. वर्मा को छोड़कर सभी सदस्यों अर्थात् डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मतदान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस भाग पर आपत्ति जताई।

11. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 19 अगस्त 2022 को प्रकाशित किया जाएगा।

12. एमपीसी की अगली बैठक 28-30 सितंबर 2022 के दौरान निर्धारित है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/650


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष