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प्रेस प्रकाशनी

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गवर्नर का वक्तव्य

8 जून 2022

गवर्नर का वक्तव्य

दिनांक 4 मई 2022 के अपने वक्तव्य में, मैंने उल्लेख किया था कि जैसे-जैसे हम इस कठिन दौर से गुजरते हैं, नई वास्तविकताओं के प्रति संवेदनशील होना और उन्हें अपने विचारों में शामिल करना आवश्यक है। यूरोप में युद्ध जारी है और हम हर गुजरते दिन नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो वर्तमान आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को और बढ़ा रहीं है। परिणामस्वरूप, भोजन, ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हुई हैं। विश्व के सभी देश दशकीय उच्च मुद्रास्फीति और निरंतर मांग-आपूर्ति असंतुलन का सामना कर रहे हैं। युद्ध ने मुद्रास्फीति का वैश्वीकरण कर दिया है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों को पुनर्निर्देशित और पुनः कैलिब्रेट कर रहे हैं। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) को बढ़ी हुई बाजार की उथल-पुथल, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) की मौद्रिक नीति में परिवर्तन और उसके प्रभाव-विस्तार से बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ईएमई में आर्थिक बहाली की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है।

2. इन कठिन और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, मजबूत समष्टि आर्थिक तत्वों और बफर द्वारा समर्थित, भारतीय अर्थव्यवस्था आघात-सह बनी हुई है। महामारी और युद्ध के बावजूद बहाली में तेजी आई है। दूसरी ओर, मुद्रास्फीति उच्च सहन स्तर से बहुत अधिक बढ़ गई है। मुद्रास्फीति में वृद्धि का एक बड़ा भाग मुख्य रूप से युद्ध से जुड़े आपूर्ति आघातों की श्रृंखला के कारण है। इन परिस्थितियों में, हमने महामारी के दौरान स्थापित असाधारण निभाव को धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से वापस लेना शुरू कर दिया है।

3. कोविड-19 महामारी से होने वाली आर्थिक क्षति को सीमित करने के लिए हमारे दृढ़ और समयबद्ध कार्यों की तरह, रिज़र्व बैंक हमारी अर्थव्यवस्था पर आने वाले भू-राजनीतिक संकट के परिणामों को कम करने में सक्रिय और निर्णायक बना रहेगा। हमने संवृद्धि की जरूरतों से ध्यान हटाये बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने हेतु अपनी नीतियों को पहले ही प्राथमिकता दे दी है। हमारा दृष्टिकोण एक कैलिब्रेटिड तरीके से सामान्य मौद्रिक स्थितियों की ओर बढ़ने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। हम मुद्रास्फीति को लक्ष्य के करीब लाने और समष्टि आर्थिक स्थिरता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित रहेंगे।

मौद्रिक नीति समिति के निर्णय और विचार-विमर्श

4. इस पृष्ठभूमि के सापेक्ष, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 6, 7 और 8 जून 2022 को हुई। समष्टि आर्थिक स्थिति और संभावना के मूल्यांकन के आधार पर, एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने के लिए मतदान किया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत; और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ़) दर और बैंक दर 5.15 प्रतिशत पर समायोजित हो गई है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे संवृद्धि का समर्थन करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

5. अब मैं एमपीसी के नीतिगत दर पर निर्णयों और रुख के औचित्य के बारे में बताता हूँ। यूरोप में लंबे समय से चले युद्ध और उसके साथ लगे प्रतिबंधों ने वैश्विक कमोडिटी की कीमतों को उच्च रखा हुआ है। यह कई अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से परे उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति पर निरंतर ऊर्ध्वगामी दबाव डाल रहा है। जारी युद्ध भी वैश्विक व्यापार और संवृद्धि के लिए एक अवरोध बन रहा है। प्रणालीगत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) द्वारा किए गए मौद्रिक नीति सामान्यीकरण की तेज गति से वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है। यह प्रमुख इक्विटी बाजारों में तेज सुधार, सॉवरेन बॉन्ड प्रतिफल में बड़े उतार-चढ़ाव, अमेरिकी डॉलर में बढ़ोत्तरी , ईएमई और कुछ एई से भी पूंजी बहिर्वाह से परिलक्षित होता है। ईएमई में भी अपनी मुद्राओं का मूल्यह्रास देखा जा रहा है। वैश्विक स्तर पर, स्टेगफ्लेशन चिंताएं बढ़ रही हैं और वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता को बढ़ा रही हैं। यह वास्तविक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और आगे की संभावना को धूमिल कर रहा है।

6. एमपीसी ने इस बात पर ध्यान दिया है कि ऐसे चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण में, घरेलू आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है, जबकि मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ गया है। अप्रैल और मई 2022 की नीतियों में उल्लिखित मुद्रास्फीति के ऊर्ध्वगामी जोखिम समय और परिमाण दोनों के संदर्भ में अनुमान से पहले ही आ गए हैं। मुद्रास्फीति के दबाव व्यापक हो गए हैं और मुख्य रूप से प्रतिकूल आपूर्ति आघातों से प्रेरित हैं। निविष्टि लागतों के बिक्री कीमतों में उच्च पास-थ्रू के संकेत बढ़ रहे हैं। एमपीसी के ध्यान में आया है कि वर्ष 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के ऊपरी सहन स्तर से ऊपर रहने की संभावना है।

7. इस संदर्भ में, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए आपूर्ति पक्ष के उपायों के साथ-साथ अन्य उपायों से मुद्रास्फीति के दबाव को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी। एमपीसी ने यह भी स्वीकार किया कि निरंतर उच्च मुद्रास्फीति मुद्रास्फीति प्रत्याशा को अस्थिर कर सकती है और दूसरे दौर के प्रभाव को उत्पन्न कर सकती है। अतः, यह निर्णय लिया गया कि मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को स्थिर करने के लिए अतिरिक्त मौद्रिक नीति उपाय आवश्यक हैं। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए यह भी सुनिश्चित करने के लिए निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया। इस संदर्भ में यह ध्यान देने योग्य है कि रेपो दर अभी भी अपने पूर्व-महामारी स्तर से नीचे बनी हुई है।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति का मूल्यांकन

संवृद्धि

8. दिनांक 31 मई 2022 को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनंतिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी का स्तर महामारी पूर्व (2019-20) के स्तर से अधिक हो गया है। आपूर्ति पक्ष पर, प्रमुख श्रेणियों ने भी 2019-20 के स्तर को पार कर लिया।

9. अप्रैल और मई 2022 के लिए उपलब्ध जानकारी से संकेत मिलता है कि घरेलू आर्थिक गतिविधि में बहाली स्थिर है, जिसमें संवृद्धि की गति तेजी से व्यापक हो रही है। मई के लिए विनिर्माण एवं क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) गतिविधि के और विस्तार की ओर इशारा करते हैं। इसकी रेल भाड़ा और बंदरगाह यातायात, घरेलू हवाई यातायात, जीएसटी संग्रह, इस्पात खपत, सीमेंट उत्पादन और बैंक ऋण में वृद्धि द्वारा भी पुष्टि की जाती है। जहां शहरी मांग में बहाली हो रही है, वहीं ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। व्यापार, होटल और परिवहन से संबंधित संपर्क-गहन सेवाओं में वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में बहाली हुई है। हमारे सर्वेक्षणों के शुरुआती परिणामों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग (सीयू) वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में बढ़कर 74.5 प्रतिशत हो गया, जो वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में 72.4 प्रतिशत था। वर्ष 2022-23 में क्षमता उपयोग में और वृद्धि होने की संभावना है। इस प्रकार निवेश गतिविधि के मजबूत होने की आशा है, जो कि क्षमता के बढ़ते उपयोग, सरकार के पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने और डीलीवरेज कॉर्पोरेट तुलन पत्र से प्रेरित है। निवेश गतिविधि में सुधार, बैंक ऋण की मांग में वृद्धि और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में निरंतर संवृद्धि में भी परिलक्षित होता है। पण्य निर्यात मई में लगातार पंद्रहवें महीने के लिए दोहरे अंकों की वृद्धि के साथ उच्च रहा है, जबकि गैर-तेल गैर-स्वर्ण के आयात की उच्च संवृद्धि, घरेलू मांग की स्थिति में सुधार का संकेत है।

10. आगे, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद, अप्रैल 2022 एमपीसी संकल्प की तर्ज पर व्यापक रूप से विकसित होने की उम्मीद है । सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान से खरीफ की बुवाई और कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इससे ग्रामीण खपत में मदद मिलेगी। संपर्क-गहन सेवाओं में वृद्धि शहरी खपत को बनाए रखने की आशा है। हमारे सर्वेक्षण एक वर्ष आगे की संभावना के लिए उपभोक्ता विश्वास और पारिवारिक इकाइयों की अपेक्षाओं में और सुधार का सुझाव देते हैं। हमारे सर्वेक्षणों के शुरुआती परिणामों के अनुसार कारोबारी रुख आशावादी है। तथापि, भू-राजनीतिक तनावों से नकारात्मक प्रभाव-विस्तार; अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि; बढ़ती निविष्टि लागतों; वैश्विक वित्तीय स्थितियों के सख्त होने; और विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी का संभावना पर प्रभाव जारी है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखी गई है, जिसमें पहली तिमाही 16.2 प्रतिशत पर; दूसरी तिमाही 6.2 प्रतिशत पर; तीसरी तिमाही 4.1 प्रतिशत पर; और चौथी तिमाही 4.0 प्रतिशत पर है, जिसमें जोखिम व्यापक रूप से संतुलित हैं।

मुद्रास्फीति

11. अप्रैल में सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति ने 7.8 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज की। यह लगातार चौथा महीना था जब मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के ऊपरी सहन स्तर को छू गई या इससे ऊपर थी। हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि सभी प्रमुख श्रेणियों में देखी गई।

12. वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति अस्थिर बनी हुई है और कमोडिटी बाजार बढ़त पर बने हुए हैं, जिससे घरेलू मुद्रास्फीति की संभावना में अनिश्चितता बढ़ गई है। हाल के सप्ताहों में कीमतों में कुछ सकारात्मक घटनाक्रम कुछ हद तक तीव्र मूल्य दबाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इनमें सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून और खरीफ फसल की आशा; सरकार द्वारा हाल ही में किए गए आपूर्ति पक्ष के उपाय और उनके प्रभाव; इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात प्रतिबंध को हटाना; और वैश्विक औद्योगिक धातु मूल्य सूचकांकों में नरमी के संकेत शामिल हैं। दिनांक 21 मई 2022 को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद किया गया शहरी पारिवारिक इकाइयों पर हमारा त्वरित सर्वेक्षण, उनकी मुद्रास्फीति प्रत्याशा में एक बड़ी गिरावट दर्शाता है: उनकी तीन महीने आगे की प्रत्याशा में 190 आधार अंकों की गिरावट और एक वर्ष आगे की प्रत्याशा में 90 आधार अंकों की गिरावट। ऐसे परिदृश्य में, देश भर में पेट्रोल और डीजल पर राज्य वैट में और कमी, निश्चित रूप से मुद्रास्फीति के दबावों के साथ-साथ अपेक्षाओं को कम करने में योगदान कर सकती है।

13. इन सकारात्मक घटनाक्रमों के बावजूद, मुद्रास्फीति के लिए ऊर्ध्वगामी जोखिम बना हुआ है। ये जोखिम कमोडिटी की ऊंची कीमतों; कई राज्यों में बिजली दरों में संशोधन; उच्च घरेलू पोल्ट्री और पशु चारा लागत; सतत व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं; विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में कीमतों की बिक्री के लिए इनपुट लागत का बढ़ता पास-थ्रू; टमाटर की कीमतों में हालिया वृद्धि जो खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ा रही है; और सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से उत्पन्न हो रहे हैं। वर्ष 2022 में सामान्य मानसून और कच्चे तेल की औसत कीमत (भारतीय बास्केट) 105 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की धारणा के साथ, मुद्रास्फीति अब वर्ष 2022-23 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें पहली तिमाही 7.5 प्रतिशत पर; दूसरी तिमाही 7.4 प्रतिशत पर; तीसरी तिमाही 6.2 प्रतिशत पर; और चौथी तिमाही 5.8 प्रतिशत पर है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित है। यह ध्यान देने योग्य है कि मुद्रास्फीति अनुमानों में वृद्धि का लगभग 75 प्रतिशत खाद्य समूह से प्रेरित माना जा सकता है। इसके अलावा, वर्ष 2022-23 के लिए 6.7 प्रतिशत का आधारभूत मुद्रास्फीति अनुमान आज की गई मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखता है।

14. फरवरी से अप्रैल के बीच हेडलाइन मुद्रास्फीति में करीब 170 आधार अंक की वृद्धि हुई है। युद्ध का कोई समाधान नजर नहीं आने और मुद्रास्फीति के लिए ऊर्ध्वगामी जोखिम के साथ, विवेकपूर्ण मौद्रिक नीति उपायों से यह सुनिश्चित होगा कि अर्थव्यवस्था पर आपूर्ति पक्ष के आघातों के दूसरे दौर के प्रभाव सीमित हों और दीर्घावधि मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं मजबूती से स्थिर बनी रहें और मुद्रास्फीति धीरे-धीरे लक्ष्य के करीब आए। निभाव को वापस लेने सहित मौद्रिक नीति की कार्रवाइयों को, क्रियाशील आर्थिक बहाली की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए कैलिब्रेट किया जाएगा।

चलनिधि और वित्तीय बाजार मार्गदर्शन

15. अब मैं चलनिधि और वित्तीय बाजार की स्थितियों पर बात करना चाहूंगा। यह याद किया जा सकता है कि अप्रैल में हमने 3.75 प्रतिशत की ब्याज दर पर स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) को चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) गलियारे के तल के रूप में प्रस्तुत किया था। यह प्रभावी रूप से 3.35 प्रतिशत के नियत दर प्रतिवर्ती रेपो पर 40 आधार अंकों की वृद्धि थी। परिणामस्वरूप, भारित औसत मांग मुद्रा दर (डब्ल्यूएसीआर) - मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य - मार्च 2022 में 3.32 प्रतिशत के औसत से 8-30 अप्रैल के दौरान 3.54 प्रतिशत हो गया। 4 मई को रेपो दर में 40 बीपीएस की वृद्धि के बाद, डब्ल्यूएसीआर में और वृद्धि हुई है, जो 5-31 मई के दौरान औसतन 4.07 प्रतिशत है।

16. अप्रैल और मई के एमपीसी संकल्पों में व्यक्त निभाव को उत्तरोत्तर वापस लेने पर जोर देने के अनुरूप, हाल की अवधि में प्रणालीगत चलनिधि में कमी आई है। अधिशेष चलनिधि, जैसा कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत औसत दैनिक अवशोषण में परिलक्षित होता है - अर्थात, 14 दिनों और 28 दिनों के एसडीएफ और परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) के तहत अवशोषण - 4 मई-31 मई के दौरान 5.5 लाख करोड़ रुपए था जो, 8 अप्रैल - 3 मई 2022 के दौरान 7.4 लाख करोड़ से कम था। तथापि, अतिरिक्त चलनिधि की अधिकता के परिणामस्वरूप रातोंरात मुद्रा बाजार दरें, औसतन, नीतिगत रेपो दर से नीचे कारोबार कर रही हैं। मुद्रा बाज़ार मीयादी ढांचे के लंबे छोर में, 91-दिवसीय खज़ाना बिल, वाणिज्यिक पत्र (सीपी) और जमा प्रमाणपत्र (सीडी) पर ब्याज दरें, मई में दरों में बढ़ोतरी के बाद मजबूत हुईं। एएए रेटिंग वाले 5 वर्षीय कॉरपोरेट बॉन्ड पर प्रतिफल भी बढ़ा है। दर में वृद्धि ने भी बैंकों द्वारा बेंचमार्क उधार दरों में एक ऊपर की ओर समायोजन को ट्रिगर किया। बैंकों की सावधि जमा दरों में वृद्धि हुई है और बढ़ती ऋण मांग के बीच स्थिर वित्त पोषण संसाधनों में वृद्धि होगी।

17. आगे बढ़ते हुए, एक बहु-वर्ष की समय सीमा में महामारी संबंधी असाधारण चलनिधि निभाव को सामान्य करते हुए, रिज़र्व बैंक अर्थव्यवस्था की उत्पादक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त चलनिधि की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। रिज़र्व बैंक सरकार के उधार कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

18. भू-राजनीतिक तनावों का सीधा नतीजा और एई द्वारा नीति सामान्यीकरण की तीव्र गति, अधिकांश ईएमई से पोर्टफोलियो पूंजी प्रवाह का पलायन है। इस प्रकार कई ईएमई मुद्राओं को मूल्यह्रास दबावों का सामना करना पड़ा है। अमेरिकी डॉलर के लिए सुरक्षित आश्रय की मांग में वृद्धि हुई है। इन सब के बीच, भारतीय रुपया एक व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ा है और चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2.5 प्रतिशत तक मूल्यह्रास हुआ है - अपने कई ईएमई साथियों की तुलना में काफी बेहतर है।

19. भारतीय बैंकिंग प्रणाली भी मजबूत बनी हुई है और हाल के वर्षों में इसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है जैसा कि प्रमुख संकेतकों - पूंजी पर्याप्तता, आस्ति गुणवत्ता, प्रावधानीकरण कवरेज और लाभप्रदता में परिलक्षित होता है। हाल के महीनों में बैंक ऋण उठाव में धीरे-धीरे सुधार हुआ है, जो बैंकिंग प्रणाली के लचीलेपन और आर्थिक गतिविधियों के प्रगतिशील सामान्यीकरण दोनों द्वारा समर्थित है। बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती और डिलीवरेज कॉरपोरेट तुलन पत्रों से हमें आर्थिक सुधार को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

बाह्य क्षेत्र

20. प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में कमजोर सुधार के बावजूद भारत के निर्यात ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। पेट्रोलियम, तेल और ल्यूब्रिकेंटस (पीओएल) आयात बिल पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को आंशिक रूप से पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात से ऑफसेट किया गया है, जिसे हाल के महीनों में बेहतर मूल्य प्राप्तियों से भी लाभ हुआ है। माल और सेवाओं तथा प्रेषण दोनों के निर्यात पर आशावाद से चालू खाता घाटे (सीएडी) को एक धारणीय स्तर पर नियंत्रित करने में मदद मिलनी चाहिए, जिसे सामान्य पूंजी प्रवाह द्वारा वित्तपोषित किया जा सकता है। 3 जून 2022 तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 601.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास था, जिसे आगे भारतीय रिज़र्व बैंक की निवल वायदा आस्तियों के बेहतर स्तर द्वारा पूरक किया गया है।

अतिरिक्त उपाय

21. अब मैं कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करूंगा, जिनका विवरण मौद्रिक नीति वक्तव्य के विकासात्मक और विनियामक नीतियों (भाग-बी) पर वक्तव्य में दिया गया है। अतिरिक्त उपाय निम्नानुसार हैं।

नियामक उपायों – सहकारी बैंकों

22. समावेशी विकास को बढ़ावा देने में सहकारी बैंकों के महत्व को ध्यान में रखते हुए सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए तीन उपायों की घोषणा की जा रही है:

  1. घरों की बढ़ती कीमत को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) और ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी - राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों) द्वारा दी जा रही व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा, जिसे क्रमशः 2011 और 2009 में निर्धारित किया गया था, को 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर संशोधित किया जा रहा है। इससे आवास क्षेत्र को ऋण के बेहतर प्रवाह की सुविधा मिलेगी।

  2. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) और शहरी सहकारी बैंकों के लिए उपलब्ध व्यवस्था के अनुरूप, अब ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबी - राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों) को उनकी कुल संपत्ति के 5% के मौजूदा कुल आवास वित्त सीमा के भीतर 'वाणिज्यिक अचल संपत्ति-आवासीय घर’ (अर्थात आवासीय घर परियोजनाओं के लिए ऋण) के लिए वित्त प्रदान करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। यह उपाय सहकारी बैंकों से आवास क्षेत्र में ऋण प्रवाह को और बढ़ाएगा।

  3. यह भी निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को अपने ग्राहकों को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाए। यह शहरी सहकारी बैंकों को अपने ग्राहकों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।

गैर-केंद्रीय रूप से समाशोधित डेरिवेटिव्स (एनसीसीडी) के लिए मार्जिन आवश्यकताएं

23. ओटीसी डेरिवेटिव बाजार की आघात-सहनीयता को मजबूत करने के उद्देश्य से और जी20 सुधारों के अनुरूप, रिज़र्व बैंक गैर-केंद्रीय रूप से समाशोधित ओटीसी डेरिवेटिव के लिए मार्जिन आवश्यकताओं को तैयार कर रहा है। पहले चरण में, हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, एनसीसीडी के लिए भिन्नता मार्जिन (वीएम) के विनिमय पर निदेश 1 जून 2022 को जारी किए गए थे। दूसरे चरण में, अब ऐसे डेरिवेटिव के लिए प्रारंभिक मार्जिन (आईएम) के एक्सचेंज की आवश्यकताओं को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। इन आवश्यकताओं पर हितधारकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए, एनसीसीडी के लिए प्रारंभिक मार्जिन के विनिमय पर निदेश का मसौदा शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

आवर्ती भुगतानों के लिए कार्डों पर ई-अधिदेश - सीमा में वृद्धि

24. उपयोगकर्ताओं को सुविधा, हिफाजत और सुरक्षा संबंधी लाभों को ध्यान में रखते हुए, रिज़र्व बैंक द्वारा ई-अधिदेश आधारित आवर्ती भुगतान के प्रोसेसिंग के लिए ढांचा जारी किया गया था। इस ढांचे के अंतर्गत, बड़ी संख्या में घरेलू और 3,400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों के पक्ष में 6.25 करोड़ से अधिक अधिदेश पंजीकृत किए गए हैं। ढांचे के अंतर्गत बड़े मूल्य के सदस्यता, बीमा प्रीमियम, शिक्षा शुल्क आदि जैसे आवर्ती भुगतानों को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, सीमा को 5,000 से बढ़ाकर 15,000 प्रति लेनदेन किया जा रहा है। यह ढांचे के अंतर्गत उपलब्ध लाभों को और अधिक लीवरेज प्रदान करेगा और ग्राहक की सुविधा में वृद्धि करेगा।

एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) - रुपे क्रेडिट कार्ड को लिंक करना

25. 26 करोड़ से अधिक विशिष्ट उपयोगकर्ताओं और प्लेटफॉर्म पर 5 करोड़ व्यापारियों के साथ यूपीआई भारत में भुगतान का सबसे समावेशी तरीका बन गया है। केवल मई 2022 में, यूपीआई के माध्यम से 10.4 लाख करोड़ की राशि के लगभग 594 करोड़ लेनदेन किए गए। वर्तमान में, यूपीआई उपयोगकर्ताओं के डेबिट कार्ड के माध्यम से बचत / चालू खातों को जोड़कर लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। अब यूपीआई प्लेटफॉर्म पर क्रेडिट कार्डों को लिंक करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। सबसे पहले रुपे क्रेडिट कार्डों को यूपीआई प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। यह उपयोगकर्ताओं को अतिरिक्त सुविधा प्रदान करेगा और डिजिटल भुगतान के दायरे को बढ़ाएगा।

भुगतान अवसंरचना विकास निधि योजना की समीक्षा

26. भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना का संचालन रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2021 में किया गया था, ताकि टियर -3 से 6 केंद्रों और उत्तर पूर्वी राज्यों में भौतिक प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस), एमपीओएस (मोबाइल पीओएस), क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के नियोजन को प्रोत्साहित किया जा सके। अगस्त 2021 में टियर -1 और 2 केंद्रों में पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को शामिल किया गया था। अप्रैल 2022 के अंत तक, योजना के तहत 1.18 करोड़ से अधिक नए स्पर्श बिंदु नियोजित किए गए हैं, जबकि 90 लाख स्पर्श बिंदुओं को तीन वर्षों में (2023 के अंत तक) नियोजित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब सब्सिडी की राशि बढ़ाकर, सब्सिडी दावा प्रक्रिया को सरल बनाकर और अन्य कदम उठाकर पीआईडीएफ योजना में संशोधन करने का प्रस्ताव है। यह लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के नियोजन में और तेजी लाएगा और इसे बढ़ाएगा।

समापन टिप्पणी

27. अनुभव हमें सिखाता है कि स्थायी संवृद्धि और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मूल्य स्थिरता को बनाए रखना सबसे अच्छी गारंटी है। हमारे आज के कार्य हमारे मध्यम अवधि के मुद्रास्फीति लक्ष्य को और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करेंगे, जो कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे का केंद्रीय सिद्धांत है। भारत में तेजी से सुधार हो रहा है, जिससे हमें एक व्यवस्थित नीतिगत बदलाव का अवसर मिल रहा है। जबकि हम अपनी प्रतिक्रियाओं को तैयार करने के लिए उभरती स्थिति का लगातार आकलन करेंगे, हमारे कार्यों में मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं को नियंत्रण में रखने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होनी चाहिए। अतः, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, उचित नीति पथ का निर्धारण करने के लिए मुद्रास्फीति के दबावों की निगरानी और मूल्यांकन और संवृद्धि की तुलना में जोखिमों को संतुलित करना महत्वपूर्ण होगा।

28. हाल के दिनों में हमने जो राह तय की है, वह वास्तव में बहुत कठिन रही है, लेकिन हमने इस सफर में विश्वास, ध्यान और दृढ़ता एकत्र की। आज का हमारा कार्य उन उपायों के क्रम में है जो हाल ही में मूल्य स्थिरता प्राप्त करने के लिए किए गए हैं। वर्तमान की उच्च अनिश्चितताओं को देखते हुए, हम रूढ़ियों और परंपराओं से बंधे रहने के बजाय गतिशील और व्यावहारिक बने हुए हैं। जैसा कि रिज़र्व बैंक समष्टि-वित्तीय स्थिरता की खोज में अथक प्रयास करता है, मुझे महात्मा गांधी ने बहुत पहले जो कहा था, वह याद आ रहा है: "अगर हम तड़कने वाले तूफान से आगे निकलना चाहते हैं, तो हमें पूरी तरह से आगे बढ़ने का साहसिक प्रयास करना चाहिए”।1

धन्यवाद। सुरक्षित रहें। स्वस्थ्य रहें। नमस्कार।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/335


1 स्रोत: द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (इलेक्ट्रॉनिक बुक), नई दिल्ली, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार, 1927, खंड 40।


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