28 जनवरी 2022
उपभोक्ता जागरूकता - साइबर खतरा और धोखाधड़ी
भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में आया है कि अनैतिक तत्व, सोशल मीडिया तकनीकों, मोबाइल फोन कॉल आदि सहित नवीन कार्य-प्रणाली का उपयोग करके आम जनता को धोखा दे रहे हैं और उन्हें गुमराह कर रहे हैं। इसे देखते हुए, रिज़र्व बैंक आम जनता को आगाह करता है कि वे ऐसे कपटपूर्ण संदेशों, झूठे कॉल, अज्ञात लिंक्स, गलत अधिसूचनाओं, अनधिकृत क्यूआर कोड आदि से सावधान रहें, जो बैंकों और वित्तीय सेवा प्रदाताओं से किसी भी तरह से रियायतें प्राप्त करने/त्वरित प्रतिक्रिया प्राप्त करने में मदद का वादा करते हैं।
जालसाज, गोपनीय विवरण जैसे यूजर आईडी, लॉगिन / लेनदेन पासवर्ड, ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड), डेबिट / क्रेडिट कार्ड विवरण जैसे पिन, सीवीवी, समाप्ति तिथि और अन्य व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। जालसाजों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कुछ विशिष्ट कार्य-प्रणाली निम्नानुसार हैं –
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विशिंग- केवाईसी-अद्यतन, खाते/सिम-कार्ड को अनब्लॉक करने, नामे की गई राशि को जमा करने आदि के बहाने ग्राहकों को गोपनीय जानकारी साझा करने के लिए लुभाने हेतु बैंक/गैर-बैंक ई-वॉलेट प्रदाताओं/दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से होने का दिखावा करने वाले फोन कॉल।
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फिशिंग- नकली ईमेल और/या एसएमएस, जिन्हें ग्राहकों को धोखा देने के लिए ऐसे डिज़ाइन किया जाता है कि वे यह सोचे कि यह संचार उनके बैंक / ई-वॉलेट प्रदाता से आया है और जिनमें गोपनीय जानकारी प्राप्त करने वाले लिंक होते हैं।
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रिमोट एक्सेस- ग्राहक को अपने मोबाइल फोन/कंप्यूटर पर एक एप्लिकेशन डाउनलोड करने का लालच देकर, जो ग्राहक के उस डिवाइस पर ग्राहक के सभी डेटा तक पहुंचने में सक्षम होता है।
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धन प्राप्त करने के लिए 'अपना यूपीआई पिन दर्ज करें' जैसे संदेशों के साथ फर्जी भुगतान अनुरोध भेजकर यूपीआई की 'कलेक्ट रिक्वेस्ट’ सुविधा का दुरुपयोग करके।
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वेबपेजों/सोशल मीडिया पर और सर्च इंजन आदि द्वारा प्रदर्शित बैंकों/ई-वॉलेट प्रदाताओं के फर्जी नंबर।
आरबीआई आम जनता से किसी भी डिजिटल (ऑनलाइन / मोबाइल) बैंकिंग / भुगतान लेनदेन करते समय सभी उचित सावधानी बरतते हुए सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग का व्यवहार करने का आग्रह करता है। इनसे उन्हें होने वाले वित्तीय और/या अन्य नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1630 |