3 जनवरी 2022
भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऑफलाइन माध्यम से छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान को सुविधाजनक बनाने के
लिए फ्रेमवर्क जारी की
रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर 'ऑफ़लाइन माध्यम से छोटे मूल्य के डिजिटल भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए फ्रेमवर्क’ जारी की। इस फ्रेमवर्क में सितंबर 2020 से जून 2021 की अवधि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए ऑफलाइन लेनदेन संबंधी प्रायोगिक प्रयोगों से प्राप्त फीडबैक शामिल हैं।
एक ऑफ़लाइन डिजिटल भुगतान का अर्थ एक ऐसा लेनदेन है जिसके लिए इंटरनेट या दूरसंचार कनेक्टिविटी की आवश्यकता नहीं होती है। इस नए फ्रेमवर्क के अंतर्गत, इस तरह के भुगतान किसी भी चैनल या लिखत जैसे कार्ड, वॉलेट, मोबाइल डिवाइस आदि का उपयोग करके आमने-सामने (निकटता मोड) किए जा सकते हैं। इस तरह के लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (एएफ़ए) की आवश्यकता नहीं होगी। चूंकि लेनदेन ऑफ़लाइन हैं, इसलिए ग्राहक को एक समय अंतराल के बाद अलर्ट (एसएमएस और/या ई-मेल के माध्यम से) प्राप्त होंगे। यह लेनदेन ₹200 प्रति लेन-देन की सीमा और खाते में शेष राशि की पुनःपूर्ति होने तक सभी लेनदेन के लिए ₹2000 की समग्र सीमा के अधीन हैं। शेष राशि की पुनःपूर्ति केवल ऑनलाइन माध्यम से ही की जा सकती है।
ग्राहक की विशिष्ट सहमति प्राप्त करने के बाद ही भुगतान के ऑफ़लाइन माध्यम को सक्षम किया जा सकता है। ग्राहकों को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी (समय-समय पर यथासंशोधित) किए गए ग्राहक के दायित्व को सीमित करने वाले परिपत्रों के प्रावधानों के तहत संरक्षण का लाभ मिलेगा। ग्राहकों के पास शिकायत निवारण के लिए रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना का भी साधन है।
ऑफ़लाइन लेनदेन से खराब या कमजोर इंटरनेट या दूरसंचार कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में, विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। नई फ्रेमवर्क तत्काल प्रभाव से लागू है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1483 |