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रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 1/2021: भारत में मौद्रिक नीति संचरण: फर्म-बैंक मिलान डेटा से नया साक्ष्य

5 जनवरी 2021

रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 1/2021:
भारत में मौद्रिक नीति संचरण: फर्म-बैंक मिलान डेटा से नया साक्ष्य

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत “भारत में मौद्रिक नीति संचरण: फर्म-बैंक मिलान डेटा से नया साक्ष्य" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा*। पेपर का लेखन सौरभ घोष, अभिनव नारायणन और प्रणव गर्ग ने किया है।

मौद्रिक नीति संचरण सभी केंद्रीय बैंकरों के बीच रुचि उत्पन्न करने वाला प्रमुख विषय बना हुआ है। आनुभविक रूप से हालांकि, कंपनियों के निवेश की मांग, बैंकों की ऋण आपूर्ति और उनके परस्पर क्रियाओं पर नीतिगत परिवर्तन के प्रभावों को अलग करना कठिन है। यह पेपर भारत से मौद्रिक नीति संचरण तंत्र में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए एक अद्वितीय फर्म-बैंक मिलान डेटा का उपयोग करता है। पेपर के निष्कर्षों से संकेत दर्शाता है कि मौद्रिक नीति संचरण बैंक ऋण देने के लिए एक अंतराल के साथ काम करता है। फर्मों के लिए, बाजार में कुल मांग की स्थिति निवेश की मांग को बढ़ा सकती है, जो बदले में, मौद्रिक नीति आसान चक्र के साथ सहसंबद्ध हो सकती है। हालांकि, बैंकों से अंतिम ऋण प्रवाह बैंकों की चलनिधि स्थिति पर निर्भर करता है जो फर्मों से जुड़ी होती हैं। ये निष्कर्ष मौद्रिक नीति संचरण की प्रभावकारिता में सुधार के लिए तुलन पत्र चैनल के अलावा बैंकों की चलनिधि के महत्व को इंगित करते है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/892


* रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।


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