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भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 01/2019: परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं: क्या इनसे भारत में मजदूरी-कीमत डायनेमिक्स पर प्रभाव पड़ता है?

28 फरवरी 2019

परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं:
क्या इनसे भारत में मजदूरी-कीमत डायनेमिक्स पर प्रभाव पड़ता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत ‘परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं: क्या इनसे भारत में मजदूरी-कीमत डायनेमिक्स पर प्रभाव पड़ता है?’ शीर्षक से वर्किंग पेपर उपलब्ध कराया है। यह पेपर सितिकांत पटनायक, सिलु मुदुली तथा सौम्याजीत रे द्वारा लिखा गया है।

यह पेपर भारत में मुद्रास्फीति डायनेमिक्स के विश्लेषण में परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर सर्वेक्षण आधारित सूचना की उपयोगिता की जांच करता है। न्यू कींसियन फिलिप कर्व (एनकेपीसी) के मिश्रित रूपांतरणों का यह अध्ययन करने के लिए उपयोग किया गया है कि क्या मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान लगाने के लिए परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं पूर्वानुमान प्रत्याशाओं के प्रॉक्सी के रूप में कार्य करती हैं। तीन महीने आगे और एक वर्ष आगे की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं मुद्रास्फीति को स्पष्ट करने और इसका पूर्वानुमान लगाने के लिए सांख्यिकीय रूप से उल्लेखनीय कारक के रूप में उभरती हैं किंतु इस बात के चलते कि परिवार प्रत्याशाएं अनुकूल पायी जाती हैं, वे प्रभावी रूप से पिछली प्रत्याशाओं के एवजी के रूप में कार्य करती हैं। जब मजदूरी डायनेमिक्स के जरिए मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के मुद्रास्फीति में अंतरण का आकलन किया जाता है, सीपीआई मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले प्रत्याशा प्रेरित मजदूरी दबावों का कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलता है। लघुकालिक खाद्य और ईंधन आघात परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं में घट-बढ़ के बड़े हिस्से को स्पष्ट करते हैं। परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के मजदूरी और कीमतों में स्पिल-ओवर पर सीमित साक्ष्य के बावजूद, अवलोकित मुद्रास्फीति दृढ़ता के उच्च स्तर और खाद्य तथा ईंधन आघातों के प्रति मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं की उल्लेखनीय संवेदनशीलता से सुनियंत्रित मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं पर मौद्रिक नीति का संधारित दबाव आवश्यक बन जाता है।

* रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/2065


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