26 दिसंबर 2018
आरबीआई ने आर्थिक पूंजी ढांचे पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड द्वारा 19 नवंबर 2018 को आयोजित अपनी बैठक में लिए गए निर्णयानुसार, आरबीआई ने भारत सरकार के परामर्श से, भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा करने के लिए आज एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति की संरचना इस प्रकार है :
1) |
डॉ. बिमल जालान पूर्व गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक |
अध्यक्ष
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2) |
डॉ. राकेश मोहन पूर्व उप गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक और पूर्व सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार |
उपाध्यक्ष |
3) |
श्री भरत दोशी निदेशक, केंद्रीय बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
4) |
श्री सुधीर मांकड
निदेशक, केंद्रीय बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
5) |
श्री सुभाष चंद्र गर्ग सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार |
सदस्य |
6) |
श्री एन.एस.विश्वनाथन
उप गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक |
सदस्य |
2. समिति के विचारार्थ विषय नीचे दिए गए हैं:
2.1 विशेषज्ञ समिति (i) ‘आमतौर पर बैंकरों द्वारा प्रदान किए जानेवाले’ प्रावधान तैयार किए जानेपर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 47 के तहत संवैधानिक जनादेश कि आरबीआई के लाभ को सरकार को हस्तांतरित किया जाए,और (ii) वित्तीय स्थिरता के महत्व के साथ आरबीआई की सार्वजनिक नीति बाध्यताओं, को ध्यान में रखते हुए:
(अ) वर्तमान में आरबीआई द्वारा प्रदान की जानेवाली विभिन्न प्रावधानों, रिज़र्व और बफ़र्स की स्थिति, आवश्यकता और औचित्य की समीक्षा करना ; और
(आ) केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट के अधीन जोखिमों के मूल्यांकन और प्रावधान के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनाई जा रही वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं की समीक्षा करना;
2.2 जोखिम प्रावधानीकरण के लिए पर्याप्त स्तर का सुझाव देना जिसे आरबीआई को बनाए रखने की आवश्यकता है ;
2.3 यह निर्धारित करना कि क्या आरबीआई प्रावधानों, रिज़र्व और बफ़र्स के आवश्यक स्तर के अनुसार अधिशेष / घाटे में, ऐसे प्रावधानों, रिज़र्व और बफ़र्स को धारण कर रहा है;
2.4 आरबीआई की सभी संभावित स्थितियों, जिसमें आवश्यकता से अधिक प्रावधान रखने की स्थिति और आरबीआई द्वारा आवश्यकता से कम प्रावधान रखने की स्थिति शामिल हो; को ध्यान में रखते हुए एक उपयुक्त लाभ वितरण नीति का प्रस्ताव करना,
2.5 वास्तविक लाभ से निर्मित, अधिशेष रिज़र्व के उपयोग सहित कोई भी अन्य संबंधित मामले जिनमें कोई निर्धारण किया जाना हो।
3. विशेषज्ञ समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से 90 दिनों की अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1468 |