भारिबैं./2016-17/121
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.33/21.04.132/2016-17
10 नवंबर 2016
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर),
अखिल भारतीय मीयादी ऋणदात्री और पुनर्वित्त संस्थाएं
(एक्ज़िम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी तथा सिडबी)
प्रतिभूतिकरण कंपनियों/पुनर्निर्माण कंपनियों सहित
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
महोदय/महोदया,
दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना - संशोधन
कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 04 अक्तूबर 2016 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य का पैरा 6 देखें (उद्धरण संलग्न)। उसमें यह प्रस्ताव किया गया था कि ऋण का संवहनीय के रूप में निर्धारित भाग (दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना के अंतर्गत) को सभी मामलों में कतिपय शर्तों के अधीन "मानक" आस्ति के रूप में मानने की अनुमति दी जाए।
2. तदनुसार, दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना में अनुबंध में दर्शाए गए अनुसार आंशिक संशोधन किए गए हैं। योजना के अन्य सभी प्रावधान यथावत् रहेंगे।
भवदीय,
(अजय कुमार चौधरी)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध
दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना – संशोधन
दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना के अंतर्गत ऐसे मामलों में, जहां प्रवर्तकों में कोई परिवर्तन नहीं है, ऋणों के लिए आस्ति वर्गीकरण मानदंड दिनांक 13 जून 2016 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.103/21.04.132/2015-16 के पैरा 9(ख) में निर्धारित किए गए हैं। हितधारकों से प्राप्त फीडबैक तथा आस्ति वर्गीकरण मानदंडों के औचित्य के विश्लेषण के आधार पर अब यह निर्णय लिया गया है कि योजना के पैरा 9 (ख) (iii) तथा (iv) को निम्नानुसार संशोधित किया जाए:
(iii) संदर्भ तिथि को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किए गए खातों के संबंध में, मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार भाग ख के लिखत जब तक भाग ख में रहेंगे, तब तक ऐसे लिखतों को अनर्जक निवेशों के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। सभी बैंकों द्वारा समाधान योजना का कार्यान्वयन करने पर संवहनीय भाग (भाग क) को वैकल्पिक रूप से 'मानक' माना जाएगा, बशर्ते कि ऋणदाताओं द्वारा भाग ख में धारित राशि का कम से कम 50 प्रतिशत अथवा सकल बकाया राशि (भाग क और ख का जोड़) का 25 प्रतिशत में से जो भी अधिक हो, का पहले से प्रावधान किया जाए। इस प्रयोजन से खाते में पहले से धारित प्रावधानों को मान्यता दी जा सकती है।
(iv) सभी मामलों में, ऋणदाता भाग ख को मानक श्रेणी में अपग्रेड कर सकते हैं तथा भाग क के ऋणों के एक वर्ष के संतोषजनक कार्य-निष्पादन के बाद उससे संबद्ध बढ़ाए गए प्रावधानों को बदल सकते हैं। खाते में पहले से मौजूद किसी ऋण-स्थगन के मामले में ऐसे दीर्घतम ऋण-स्थगन के पूर्ण होने के एक वर्ष बाद इस अपग्रेड की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि इस अवधि के दौरान भाग क ऋण का कार्यनिष्पादन संतोषजनक रहा हो। तथापि, सभी मामलों में, भाग ख के लिखतों पर अपेक्षित एमटीएम प्रावधानों को हर समय बनाए रखा जाना आवश्यक है। हालंकि पैरा 9 (ख)(vi) के अनुसार संक्रमण का लाभ लिया जा सकता है।
2. वित्तीय आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना को लागू करने पर बैंक अपने वार्षिक वित्तीय विवरणों में परिशिष्ट में दिए गए प्रारूप के अनुसार प्रकटीकरण करेंगे। ये प्रकटीकरण ऊपर (iv) में विनिर्दिष्ट प्रेक्षण अवधि के अंतर्गत खातों संबंध में किए जाएंगे।
3. योजना के अन्य सभी दिशानिर्देश, जिन्हें यहां विनिर्दिष्ट रूप से संशोधित नहीं किया गया है, अपरिवर्तित रहेंगे।
परिशिष्ट
दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना योजना (एस4ए) पर प्रकटीकरण
दिनांक को
खातों की संख्या, जहां एस4ए लागू की गई है |
सकल बकाया राशि |
बकाया राशि |
धारित प्रावधान |
भाग क में |
भाग ख में |
मानक के रूप में वर्गीकृत |
XXXX |
XXXX |
XXXX |
XXXX |
एनपीए के रूप में वर्गीकृत |
XXXX |
XXXX |
XXXX |
XXXX |
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 04 अक्तूबर 2016 को जारी विकासात्मक और
विनियामक नीतियों पर वक्तव्य से उद्धरण
"6. दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना - रिज़र्व बैंक ने ऐसी संस्थाओं, जो वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रही हैं, तथा जिन्हें समन्वित गहन वित्तीय पुनर्रचना की आवश्यकता है, की वित्तीय संरचना को संशोधित करने के लिए एक मार्ग प्रदान करने हेतु दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना (एस4ए) लागू की है। यह योजना पुनर्रचना करने में लचीलापन प्रदान करती है, जिसमें एक विश्वसनीय ढांचे के अंतर्गत भारी मात्रा में ऋणों को बट्टे खाते में डालने तथा/अथवा भारी मात्रा में प्रावधान करना शामिल है। जिन बैंकों ने एस4ए के तहत समाधान के लिए मामलों को उठाया है, उन्होंने यह अभ्यावेदन किया है कि एस4ए के तहत आस्तियों के वर्गीकरण से संबंधित मानदंडों की समीक्षा इस योजना को अधिक प्रभावी करने के लिए की जाए। तदनुसार, यह प्रस्ताव किया गया है कि सभी मामलों में ऋण के संवहनीय माने जाने वाले भाग को कतिपय शर्तों के अधीन मानक आस्ति के रूप में मानने की अनुमति दी जाए। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश अक्तूबर 2016 के अंत तक जारी किए जाएंगे।" |