भा.रि.बैंक/2015-16/414
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.74
26 मई 2016
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक
महोदया/महोदय,
निर्यात डेटा प्रसंस्करण और निगरानी प्रणाली (EDPMS) - निर्यातकों की सतर्कता सूची के लिए अतिरिक्त मॉड्यूल, निर्यातों के लिए अग्रिम प्रेषण की रिपोर्टिंग और पुराने XOS डेटा का अंतरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों का ध्यान माल और सेवाओं के निर्यात के विषय पर 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.16 के पैरा सं. सी.2, सी.15, सी.20, सी.24 और सी.28 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. एकल प्लेटफार्म पर विवरणियां प्रस्तुत करने की क्रियाविधि के सरलीकरण और बेहतर निगरानी के उद्देश्य से यह निर्णय किया गया है कि (ए) सतर्कता सूची में सम्मिलित निर्यातकों के लिए पोतलदान बिलों के प्रबंधन; (बी) निर्यात के लिए प्राप्त अग्रिमों के लंबित उपयोग; और (सी) EDPMS, जो 1 मार्च 2014 से परिचालन में है, में बकाया निर्यात से संबंधित विवरणियों को एकीकृत किया जाए।
3. निर्यातकों को सतर्कता सूची में सम्मिलित करना/ से हटाना
3.1 क्रियाविधि को सरल बनाने के लिए निर्यातकों को अपने आप सतर्कता सूची में सम्मिलित किया/ से हटाया जाता है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक दैनिक आधार पर ईडीपीएमएस के माध्यम से निर्यातकों की अद्यतन सतर्कता सूची देख सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों को उनके पंजीकृत ई-मेल के माध्यम से भी सतर्कता सूची में सम्मिलित सभी निर्यातकों की सूची उपलब्ध की जाएगी। ईडीपीएमएस में निर्यातकों को सतर्कता सूची में सम्मिलित करने/ से हटाने के लिए निर्धारित मानदंड निम्नानुसार हैं :
i. ऐसे निर्यातकों को सतर्कता सूची में सम्मिलित किया जाएगा यदि उनके पास कोई पोतलदान बिल ईडीपीएमएस में दो वर्षों से अधिक बना रहता है बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक/ रिज़र्व बैंक द्वारा कोई अवधि विस्तार नहीं दिया गया है। वसूली अवधि की गणना के लिए पोतलदान की तारीख को ध्यान में रखा जाएगा।
ii. एक बार संबंधित बिलों की वसूली हो जाती है और उन्हें बंद किया जाता है या वसूली के लिए अवधि विस्तार दिया जाता है तब निर्यातक को अपने आप सतर्कता सूची में से हटाया जाएगा।
iii. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों की सिफारिश के आधार पर दो वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले भी निर्यातकों को सतर्कता सूची में सम्मिलित किया जा सकता है। सिफारिश ऐसे मामलों पर आधारित होगी जहां निर्यातक को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)/ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई)/ ऐसी किसी अन्य विधि प्रवर्तन एजेंसी द्वारा प्रतिकूल नोटिस प्राप्त हुई हो या जहां निर्यातक का पता नहीं लग सके या वह निर्यात आय की वसूली के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रहा हो। ऐसे मामलों में प्राधिकृत व्यापारी सतर्कता सूची में निर्यातक का नाम सम्मिलित करने की सिफारिश करते हुए अपने निष्कर्ष रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेज दें।
iv. रिज़र्व बैंक ऐसे मामलों में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों की सिफारिश के आधार पर निर्यातकों को सतर्कता सूची में सम्मिलित करेगा/ से हटाएगा।
3.2 प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों को चाहिए कि वे सतर्कता सूची में सम्मिलित निर्यातकों के संबंध में पोतलदान दस्तावेजों का प्रबंधन करते समय नीचे उल्लिखित क्रियाविधि का पालन करें :
ए) वे निर्यातकों को बकाया पोतलदान बिलों के ब्यौरे देते हुए सतर्कता सूची में उन्हें सम्मिलित किए जाने की सूचना देंगे। जब सतर्कता सूची में सम्मिलित निर्यातक बेचान/ खरीद/ डिस्काउंट /वसूली, आदि के लिए पोतलदान दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे तब प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक निम्नलिखित शर्तों पर दस्तावेज स्वीकार करें :-
i. संबंधित निर्यातकों को चाहिए कि वे प्राप्त अग्रिम भुगतान का प्रमाण या प्रस्तावित निर्यातों के संपूर्ण मूल्य को समाहित करने वाले उनके पक्ष में अप्रतिसंहरणीय साख-पत्र प्रस्तुत करें;
ii. मीयादी बिलों के मामले में संबंधित साख-पत्र में निर्यात का संपूर्ण मूल्य समाहित होना चाहिए और ऐसे आहरणों की अनुमति भी होनी चाहिए। इसके अलावा मीयादी बिल की अवधि भी पोतलदान की तारीख से वसूली के लिए निर्धारित अवधि के भीतर पूर्ण होनी चाहिए।
iii. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को चाहिए कि वे उपरोक्त 3.2 (क) (i) और (ii) में उल्लिखित स्थितियों को छोड़कर सतर्कता सूची में सम्मिलित निर्यातकों के पोतलदान दस्तावेजों का प्रबंधन न करें।
बी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों को चाहिए कि वे सतर्कता सूची में सम्मिलित निर्यातकों के लिए गारंटी जारी करने हेतु रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति प्राप्त करें।
4. निर्यातों के लिए अग्रिम प्रेषण की रिपोर्टिंग
4.1 वर्तमान में ईडीपीएमएस में केवल प्रणाली से जनित पोतलदान बिलों से निर्यात डेटा लिया जाता है। अब ऐसा निर्णय किया गया है कि ईडीपीएमएस में निर्यात के लिए प्राप्त अग्रिम प्रेषण के ब्यौरे लिए जाएं। अब से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों को ईडीपीएमएस में अग्रिम तथा साथ ही माल/ साफ्टवेयर के निर्यात के लिए प्राप्त पुराने बकाया आवक प्रेषणों सहित सभी आवक प्रेषण को रिपोर्ट करना होगा। साथ ही प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों के लिए आवश्यक है कि जहां कहीं आवक प्रेषणों के आधार पर एफआईआरसी जारी किए गए हैं वहां वे ईडीपीएमएस में इलेक्ट्रानिक एफआईआरसी रिपोर्ट करें ।
4.2 वर्तमान में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों द्वारा दिनांक 09 फरवरी 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.74 के अनुसार निर्यात के लिए प्राप्त अग्रिमों के उपयोग में विलंब के लिए तिमाही विवरणी प्रस्तुत की जाती है। यह निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक प्रणाली में सभी अतिदेय निर्यात अग्रिमों के ब्यौरे अपलोड करेंगे और अब से तिमाही विवरणी का प्रस्तुतीकरण बंद कर देंगे।
5. बकाया निर्यात विवरणी (एक्सओएस)
01 मार्च 2014 से सभी बकाया निर्यात बिलों के ब्यौरे ईडीपीएमएस से प्राप्त किए जा सकते हैं। तथापि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों से अपेक्षित है कि वे 01 मार्च 2014 से पहले की अवधि के पुराने बकाया बिलों को छमाही आधार पर प्रति वर्ष जून और दिसंबर के अंत में एक्सओएस में रिपोर्ट करें। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का रिपोर्टिंग भार कम करने के लिए निर्णय किया गया है कि दिसंबर 2015 को समाप्त छमाही के लिए प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा एक्सओएस में रिपोर्ट किया गया डेटा आगे से ईडीपीएमएस में अंतरित किया जाए और बाद की अवधियों के लिए एक्सओएस में अलग से रिपोर्ट करने को बंद किया जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों से अपेक्षित है कि वे 01 मार्च 2014 से पहले की अवधि से संबंधित एक्सओएस डेटा जब कभी राशि वसूल हो तब मार्क ऑफ/ बंद करें।
6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों के स्टाफ को EDPMS में प्रस्तावित उपरोक्त सुधारों की जानकारी दी गई थी और ई-मेल के माध्यम से उनके साथ आवश्यक पृष्ठ-भूमि दस्तावेज साझा भी किए गए थे। ईडीपीएमएस सुधारों से संबंधित सभी संदेश फार्मेट और दस्तावेज वेबसाइट (https://edpms.rbi.org.in/) पर भी उपलब्ध हैं।
7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक अपनी आईटी प्रणाली/ परिचालन क्रियाविधि में तत्काल यथोचित परिवर्तन करें।
8. EDPMS में उपरोक्त सुधार 15 जून 2016 से प्रभावी होंगे। संशोधित संदेश फार्मेट के अनुसार बाद के सभी लेनदेनों को ईडीपीएमएस में रिपोर्ट करना होगा।प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक यह नोट करें कि केवल EDPMS में परिलक्षित लेनदेनों को ही प्रोसेस करना है।
9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक अपने संबंधित ग्राहकों को में इस परिपत्र की विषयवस्तु से अवगत कराएं।
10. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 और दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.18/2015-16 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।
11. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल डाले बिना जारी किये गये हैं।
भवदीय
(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |