आरबीआई/2015-16/396
डीपीएसएस.सीओ.एडी.सं.2627/02.27.005/2015-16
12 मई 2016
प्रति,
भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के तहत अधिकृत सभी संस्थाएं
महोदय / महोदया,
भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) द्वारा प्राधिकार प्रमाण पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण के लिए दिशानिर्देश
जैसा कि आपको ज्ञात है, कि भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) की धारा 4 के अंतर्गत देश में भुगतान प्रणाली आरंभ या परिचालित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (बैंक) से प्राधिकार प्राप्त करना अनिवार्य है। पीएसएस अधिनियम की धारा 8 बैंक को यह शक्ति प्रदान करती है कि वह इसमें वर्णित परिस्थितियों में इस तरह के प्राधिकरण को रद्द कर सकता है।
2. हमें कई भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) नामत: प्रीपेड भुगतान लिखत (पीपीआई) जारीकर्ताओं और धन अंतरण सेवा स्कीम (एमटीएसएस) – ओवरसीज़ प्रिंसिपल्स की ओर से स्वैच्छिक आधार पर प्राधिकार प्रमाण पत्र (सीओए) के समर्पण और परिणामस्वरूप रद्द करने के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे थे। अब तक प्राप्त अनुभव के आधार पर, बैंक पीएसएस अधिनियम, 2007 के तहत प्राधिकृत ऐसी संस्थाओं द्वारा सीओए के स्वैच्छिक समर्पण के लिए यह दिशा-निर्देश जारी कर रहा है।
3. प्रयोज्यता
प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण के लिए ये दिशानिर्देश भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों, अर्थात् भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के अंतर्गत प्राधिकृत प्रीपेड भुगतान लिखत (पीपीआई) जारीकर्ताओं और धन अंतरण सेवा स्कीम (एमटीएसएस) – ओवरसीज़ प्रिंसिपल्स पर लागू हैं। प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण का यह विकल्प केवल उन संस्थाओं के लिए उपलब्ध है जिन्होंने या तो,
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भुगतान प्रणाली परिचालन आरंभ नहीं किया है, या
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इस तरह के परिचलनों को बंद करने का इरादा रखते हैं।
4. पीएसओ के द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया :
I. कंपनी ने पीएसओ परिचालन का कार्य आरंभ कर दिया है:
1. एक ऐसी कंपनी को भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी:
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उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा लिखित रूप में एक अनुरोध और उसके साथ अपने बोर्ड के हाल ही के संकल्प की एक प्रति जिसमें इस प्रकार के प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण का इरादा और कारण दर्शाया गया हो।
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बकाया प्रीपेड भुगतान लिखतों की संख्या और राशि के संबंध में अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित एक विवरण। इस प्रकार के विवरण में स्वयं के एस्क्रो खाते के विवरण, बकाया एस्क्रो राशि और व्यापारियों के प्रति देनदारियों के बारे में भी दर्शाया जाना चाहिए।
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अन्य बातों के साथ-साथ 'प्रक्रिया संबंधी ज्ञापन (एमओपी)' जिसमें ग्राहक / व्यापारियों द्वारा देनदारियों को समाप्त करने / चुकाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को दर्शाया गया था। इसमें ग्राहक / व्यापारियों द्वारा देनदारियों को समाप्त करने के लिए प्रक्रियाओं और समय सीमा को भी शामिल करना चाहिए।
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धन अंतरण सेवा स्कीम (एमटीएसएस) – ओवरसीज़ प्रिंसिपल्स के मामले में, ग्राहकों और भारतीय एजेंटों के प्रति देनदारियों के संबंध में उक्त प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
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प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित वचनबंध (अंडरटेकिंग) जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया हो कि, भुगतान प्रणाली के परिचलनों के आहरण के कारण होने वाली गिरावट की इस प्रक्रिया के दौरान कोई नई देयता उत्पन्न नहीं होगी।
2. मामले के गुण के आधार पर, बैंक ऐसे अनुरोधों को प्रोसेस करेगा और कंपनी को सूचित करेगा कि वह जो भी लागू हो उसके अनुसार निम्नलिखित प्रक्रियाएं आरंभ करे:
i. अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषा में एक सार्वजनिक नोटिस प्रिंट / दृश्य मीडिया में, तीन अलग-अलग मौकों पर जारी करे और ग्राहकों / व्यापारियों को अपनी भुगतान प्रणाली के परिचालन को बंद करने की इच्छा से अवगत कराए। इस तरह की सार्वजनिक सूचना में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें होंगी,
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ग्राहक या तो अपने प्रीपेड भुगतान लिखत में शेष राशि का उपयोग कर सकते हैं अथवा एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर बैंक खाते में क्रेडिट करने हेतु कंपनी से अनुरोध कर सकते हैं।
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मोचन के लिए इस तरह के अनुरोधों को प्राप्त करने का तरीका।
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नाम, संपर्क का पता, फोन नंबर और एक नोडल अधिकारी की ईमेल आईडी जिसे ग्राहक द्वारा ऐसे अनुरोध भेजे जा सकें।
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ग्राहक से अनुरोध प्राप्त होने के बाद बकाया राशि के मोचन हेतु कंपनी द्वारा निर्धारित समय सीमा।
ii. ग्राहक / व्यापारी देनदारियों को समाप्त करने के संबंध में हुई प्रगति के बारे में बैंक को मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ऐसी रिपोर्ट का प्रारूप दिनांक 27 दिसंबर 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.ओएसडी.सं. 1381/06.08.001/2010-11 में निर्धारित प्रारूप के अनुरूप होगा।
3. प्राधिकृत धन अंतरण सेवा स्कीम (एमटीएसएस) – ओवरसीज़ प्रिंसिपल्स के मामले में उक्त प्रक्रिया, यथा लागू, ग्राहकों और भारतीय एजेंटों के प्रति देनदारियों के संबंध में पालन की जानी चाहिए।
4. पीपीआई जारीकर्ता के ग्राहकों के लिए धन वापसी के लिए, बैंक संबंधित एस्क्रो खाता बैंक को भी सूचित करेगा ताकि पीपीआई धारक के बैंक खातों में एक बार शेष राशि की धन वापसी की अनुमति प्रदान की जा सके।
5. ग्राहकों / व्यापारियों के प्रति देयताओं को समाप्त करने की प्रक्रिया को समाप्त करने पर कंपनी को बैंक के समक्ष अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट से एक 'कोई देयता नहीं' प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
6. प्रस्तुत जानकारी के आधार पर, बैंक ऐसे प्राधिकार प्रमाण –पत्र को रद्द करने के अनुरोध पर कार्रवाई करेगा।
7. प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण के लिए अनुरोध की स्वीकृति के बारे में बैंक से सूचना प्राप्त होने पर, कंपनी मूल प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) को रद्द करने के लिए इसे मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को प्रस्तुत करेगी।
II. कंपनी ने पीएसओ के रूप में परिचालन आरंभ नहीं किया है:
1. ऐसी कंपनी को निम्नलिखित दस्तावेज भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई को प्रस्तुत करने होंगे:
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उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा लिखित रूप में एक अनुरोध और उसके साथ अपने बोर्ड के हाल ही के संकल्प की एक प्रति जिसमें इस प्रकार के प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण का इरादा और कारण दर्शाया गया हो।
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ऐसे स्वैच्छिक समर्पण के इरादे के समर्थन में कोई अन्य दस्तावेज (जैसे कि संबद्ध परियोजना का रद्द होना, इत्यादि)।
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कंपनी द्वारा किसी भी भुगतान प्रणाली के परिचालन न करने के संबंध में अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट से एक प्रमाण पत्र।
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कंपनी के नवीनतम लेखा परीक्षित तुलन – पत्र की एक प्रति।
2. प्रस्तुत जानकारी के आधार पर, बैंक ऐसे प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) को रद्द करने के अनुरोध पर कार्रवाई करेगा।
3. प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) के स्वैच्छिक समर्पण के लिए अनुरोध की स्वीकृति के बारे में बैंक से सूचना प्राप्त होने पर, कंपनी मूल प्राधिकार प्रमाण-पत्र (सीओए) को रद्द करने के लिए इसे मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को प्रस्तुत करेगी।
5. ये दिशानिर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बैंक द्वारा जारी किए जा रहे हैं।
भवदीया
(नन्दा एस. दवे)
मुख्य महाप्रबंधक |