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अधिसूचनाएं

शहरी सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग समाधान लागू करने के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करने की योजना

आरबीआई/2015-16/368
डीसीबीआर.केंका.पीसीबी.परि.सं.14/09.18.300/2015-16

24 चैत्र 1938
13 अप्रैल 2016

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय,

शहरी सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग समाधान लागू करने के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करने की योजना

दिनांक 05 अप्रैल 2016 के प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति विवरण 2016-17 (प्रतिलिपि संलग्‍न) में घोषित किए गए अनुसार यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों में सीबीएस लागू करने के लिए मानक और बेंचमार्क निर्धारित किए जाएं और ऐसे शहरी सहकारी बैंकों को जिन्‍होंने आंशिक रूप से सीबीएस लागू किया है या अभी तक सीबीएस लागू नहीं किया है, को बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विकास और अनुसंधान संस्‍थान (आईडीआरबीटी) के माध्‍यम से वित्‍तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाए।

2. जैसाकि आप जानते हैं शहरी सहकारी बैंकों पर राज्‍य सरकार/ केंद्र सरकार के साथ किए गए समझौता ज्ञापन के भाग के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों को सूचना प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने की सहमति दी थी। शहरी सहकारी बैंकों में मानकीकृत सीबीएस लागू करने के उद्देश्‍य से यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंको में सीबीएस के लिए मानक और बेंचमार्क निर्धारित किए जाएं और बैंकिंग प्रौद्योगिकी में विकास और अनुसंधान संस्‍थान (आईडीआरबीटी) के माध्‍यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाए।

3. तदनुसार, शहरी सहकारी बैंकों के लिए सीबीएस लागू करने के उद्देश्‍य से आईडीआरबीटी के साथ परामर्श करके एक योजना तैयार की गई है और आईडीआरबीटी/ भारतीय वित्‍तीय प्रौद्योगिकी और सबंद्ध सेवाएं (आईएफटीएएस) (आईडीआरबीटी की सहायक संस्‍था) द्वारा इस योजना का कार्यान्‍वयन किया जाएगा। भारतीय रि़ज़र्व बैंक द्वारा आईएफटीएएस को 4 लाख की प्रारंभिक-राशि अदा की जाएगी। तदनंतर प्रत्‍येक शाखा के लिए प्रत्‍येक माह में आवर्ती आधार पर लगने वाले 15,000/- की लागत शहरी सहकारी बैंक वहन करेगा। शहरी सहकारी बैंकों में सीबीएस लागू करने के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान करने की दृष्टि से शुरू की गई इस योजना का विवरण अनुबंध में दिया गया है।

4. ऐसे शहरी सहकारी बैंक जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए के अंतर्गत जारी किए गए निदेश के अधीन नहीं हैं और जिन्‍होंने अपने बैंक में सीबीएस लागू नहीं किया है या आंशिक रूप से लागू किया है, वे इस योजना के अंतर्गत वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने के लिए पात्र हैं। इस प्रकार के शहरी सहकारी बैंक उक्‍त योजना का लाभ उठाने के लिए आईडीआरबीटी/ आईएफटीएएस से संपर्क करें।

भवदीया,

(सुमा वर्मा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

संलग्‍नक : यथोक्‍त


प्रथम द्विमासिक मौद्रिक नीति विवरण 2016-17 के उद्धरण

34. शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए प्रौद्योगिकी सहायता: यूसीबी पर राज्य सरकारों/केंद्रीय सरकार के साथ समझौता ज्ञापन के भाग के रूप में रिज़र्व बैंक शहरी सहकारी बैंकों को प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने के लिए सहमत हो गया था जिसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन और मानकीकृत कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना था। यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों में सीबीएस के लिए मानक और बेंचमार्क निर्धारित किए जाएं और बैंकिंग प्रौद्योगिकी विकास और अनुसंधान संस्थान (आईडीआरबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए। इस संबंध में प्रारंभिक स्थापित करने संबंधी लागत रिज़र्व बैंक द्वारा वहन की जाएगी जबकि आवृत्ति लागत शहरी सहकारी बैंक द्वारा वहन की जाएगी। इस संबंध में परिपत्र अलग से जारी किया जा रहा है।


अनुबंध

शहरी सहकारी बैंकों को कोर बैंकिंग समाधान के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु योजना

शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के संबंध में राज्य सरकारों के साथ सहमति ज्ञापन के भाग के रूप में, रिज़र्व बैंक, शहरी सहकारी बैंकों को सूचना प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने के लिए सहमत है। इसके अनुवर्तन में रिज़र्व बैंक, शहरी सहकारी बैंकों द्वारा आसानी से ऑफ साइट निगरानी डाटा की ऑन लाइन प्रस्तुति के लिए, आवश्यक तकनीकी सुविधा प्रदान की है तथा शहरी सहकारी बैंकों के स्टाफ सदस्यों को प्रशिक्षण दिया है। शहरी सहकारी बैंकों में सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित परिचालन को बढ़ावा देने के वृहद उद्देश्य के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों में सीबीएस हेतु बेंचमार्क और मानक को निर्धारित किया जाए तथा गैर सीबीएस वाले शहरी सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) के कार्यान्वयन के लिए शहरी सहकारी बैंकों को बैंकिंग प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास संस्थान (आईडीआरबीटी) के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाए और इस संबंध में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति आईडीआरबीटी को की जाए।

1. पात्रता

ऐसे शहरी सहकारी बैंक जिन्होंने अभी तक सीबीएस कार्यान्वित नहीं किया है अथवा आंशिक रूप से सीबीएस कार्यान्वित किया है वे इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे। ऐसे शहरी सहकारी बैंक जिन्हे बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सामितियों पर यथा लागू) की धारा 35ए के तहत निदेश जारी किया गया है वे इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होंगे।

2. कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी

पात्र शहरी सहकारी बैंकों में सीबीएस लागू करने के लिए आईडीआरबीटी कार्यान्‍वयन एजेंसी (आईए) होगी।

3. कार्यान्वयन में शामिल चरण

i. पात्र शहरी सहकारी बैंक सीबीएस कार्यान्वयन हेतु आईडीआरबीटी से संपर्क कर सकते है। शहरी सहकारी बैंक तथा कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी के बीच एक गैर-प्रकटीकरण करार (एनडीए) हस्ताक्षर करना होगा जिसमें प्रक्रिया को प्रारम्भ करने संबंधी सभी आवश्यक सूचनाएं शामिल होंगी।

ii. मौजूदा अवस्था (सेट-अप) को समझने के लिए कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा मौजूदा सीबीएस की स्थिति अथवा बैंक में उपलब्ध वर्तमान अन्य बैंकिंग समाधान का प्रारम्भिक अध्यन करना होगा तथा यदि आवश्यक है तो, स्थानीय डेस्कटॉप के परिवेश को परिवर्तित करने की सिफ़ारिश कर सकते है। बैंक के सम्पूर्ण डाटा को माइग्रेशन टूल के माध्यम से रन किया जाएगा ताकि समग्रता की पुष्टि की जा सके।

iii. नए सीबीएस परिवेश में डाटा पोर्टिंग के लिए कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा डाटा की पुष्टि और संशोधन तत्परता से करना होगा।

iv. परियोजना को संचालित करने वाले स्टाफ सदस्यों हेतु प्रशिक्षण कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा प्रदान किया जाएगा।

v. उपयोगकर्ता स्वीकृति जांच (यूएटी) संचालित किया जाएगा तथा उसके बाद डाटा को नए एप्लीकेशन में अंतरित किया जाएगा।

vi. सीबीएस का कार्यान्वयन करते समय मौजूदा डेस्कटॉप परिवेश सख्ती से यूएसबी/ मास स्टोरेज डिवाइज़ के एक्सेस के लिए इनकार किया जाएगा तथा कम्प्युटर में अप्राधिकृत प्रोग्राम को इनस्टाल करने से रोका जाएगा।

vii. अंतरण का कार्यान्वयन करने वाले समूह के द्वारा शहरी सहकारी बैंक के स्टाफ सदस्यों को इसके परिचालन से परिचय कराया जाएगा।

4. कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ

सीबीएस के अंतरण की अभिकल्पना, विकास और आपूर्ति कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके बाद इसका रख-रखाव और परिवर्तन संबंधी अनुरोध कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी द्वारा किया जाएगा।

5. पैकेज की लागत

बैंक के लिए सीबीएस में अंतरण का लागत 4 लाख होगा। इसके बाद प्रति शाखा प्रति माह आवर्ती लागत 15,000/- होगा तथा इस लागत में अतिरिक्त (रिडन्डन्ट) नेटवर्क कनेक्टीवीटी भी शामिल है। आवर्ती लागत समय-समय पर की गई समीक्षा के अधीन होगी।

6. भारतीय रिज़र्व बैंक से प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता की मात्रा

भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी सहकारी बैंकों का सीबीएस में अंतरण का लागत मूल्य 4 लाख की प्रतिपूर्ति कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी को प्रारंभिक अध्ययन और डाटा मान्यकरण को सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद की जाएगी। प्रति शाखा प्रति माह का आवर्ती लागत 15,000/- का वहन शहरी सहकारी बैंक द्वारा किया जाएगा।


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