भारिबैं/2014-15/497
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.76/21.04.158/2014-15
11 मार्च 2015
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर)
महोदय,
बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाएं आउटसोर्स करने के संबंध में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर दिशानिर्देश
कृपया 03 नवंबर 2006 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.40/21.04.158/2006-07 देखें, जिसके साथ वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग करने पर यथालागू जोखिम प्रबंधन पर अंतिम दिशानिर्देश प्रेषित किए गए थे।
2. इन अनुदेशों का पालन न किए जाने के संबंध में उभरती हुई चिंताओं को देखते हुए हम यह दोहराते हैं कि बैंक द्वारा किसी कार्यकलाप को आउटसोर्स किए जाने पर बैंक, उसके बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन का दायित्व समाप्त नहीं हो जाता, जो आउटसोर्स किए गए कार्य के लिए अंतत: जवाबदेह हैं। बैंकों को सूचित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सेवा-प्रदाता उसी प्रकार ऊंचे मानकों और सावधानीपूर्वक सेवा का निष्पादन करें जैसा कि संबंधित क्रियाकलापों को आउटसोर्स न करके बैंक के भीतर ही किए जाने पर होता। इसके अलावा, बैंकों को इस प्रकार की आउटसोर्सिंग नहीं करनी चाहिए, जिसका असर उनके आंतरिक नियंत्रण, कारोबारी व्यवहार अथवा साख को संकट में डाले या कमजोर करे।
3. ऊपर उल्लिखित दिशानिर्देशों का अनुपालन न किए जाने के उदाहरण देखने में आए हैं जिनमें बैंक की पूर्वानुमति के बिना प्रमुख आउटसोर्स वेंडर द्वारा उप- ठेका दिए जाने तथा आउटसोर्स किए गए सेवा-प्रदाताओं द्वारा उप-ठेकेदारों को नियुक्त करना शामिल हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाएं आउटसोर्स करने से संबंधित जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर जारी दिशानिर्देश यथोचित परिवर्तनों सहित उप-ठेके पर दी गई गतिविधियों पर भी उसी प्रकार लागू होते हैं। आपका ध्यान उक्त दिशानिर्देशों के पैरा 5.5.1 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि आउटसोर्सिंग संविदा में सेवा-प्रदाता द्वारा आउटसोर्स की गई पूर्ण या आंशिक गतिविधि के लिए उप-ठेकेदारों का उपयोग करने पर बैंक की पूर्वानुमति/ सहमति का प्रावधान होना चाहिए। अपनी सहमति देने से पहले बैंकों को उप-ठेका व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित व्यवस्थाएं आउटसोर्सिंग पर विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार हैं।
4. नकदी प्रबंधन की आउटसोर्सिंग जैसे कुछ मामलों में बैंक, सेवा प्रदाता और उप-ठेकेदारों के बीच लेन-देनों का मिलान शामिल हो सकता है। ऐसे मामलों मे बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक और सेवा प्रदाता (तथा/अथवा उसके उप-ठेकेदारों) के बीच लेन-देनों का मिलान समयबद्ध तरीके से किया जाए। आउटसोर्स किए गए वेंडर के साथ मिलान के लिए लंबित प्रविष्टियों का एक अवधिवार विश्लेषण बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति (एसीबी) के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा बैंकों को उसमें से पुरानी बकाया मदों को यथाशीघ्र घटाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
5. आउटसोर्स की गई सभी गतिविधियों की आंतरिक लेखापरीक्षा के लिए एक सुदृढ़ प्रणाली तैयार करने के साथ ही बैंक की एसीबी द्वारा उसकी निगरानी भी की जानी चाहिए।
भवदीय,
(सुदर्शन सेन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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