अधिसूचनाएं

उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत चालू और पूंजी खाता लेनदेनों को युक्तियुक्त बनाना

भारिबैंक/2014-15/620
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.106

1 जून 2015

सभी बैंक जो विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत हैं
सभी प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक (AMCs) / संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (FFMCs)

महोदया/ महोदय,

  1. निवासी व्यष्टियों (individuals) के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना – 125,000 अमरीकी डालर की सीमा बढ़ाकर 2,50,000 अमरीकी डालर की गई तथा चालू खातेगत लेनदेनों को युक्तियुक्त बनाना

  2. व्यष्टियों (individuals) से भिन्न अन्य व्यक्तियों (persons) के लिए विप्रेषण सुविधाएं

प्राधिकृत व्यक्तियों (persons) का ध्यान निवासी व्यष्टियों (individuals) के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना संबंधी 3 जून 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 138 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खातेगत लेनदेन) नियमावली, 2000 के अंतर्गत जारी मौजूदा दिशानिर्देशों की ओर आकृष्ट किया जाता है। यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा दिशानिर्देशों को और उदार तथा युक्तिययुक्त बनाया जाए।

उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत सीमा तथा सुविधाएं

2. प्राधिकृत व्यापारी बैंक अनुमत चालू अथवा पूंजी खाते अथवा दोनों के समिश्र लेनदेनों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष के दौरान अब किसी निवासी व्यष्टि (individual) को 250,000 अमरीकी डालर तक के विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। यदि किसी व्यष्टि (individual) ने उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत वित्तीय वर्ष के दौरान पहले ही कोई विप्रेषण किया होगा, तो मौजूदा 250,000 अमरीकी डालर की सीमा में से ऐसी पहले विप्रेषति राशि घटाकर जो राशि शेष रहेगी वही ऐसे व्यष्टि (individual) के लिए लागू सीमा होगी। उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत किसी व्यष्टि (individual) लिए अनुमत पूंजीखातेगत लेनदेन इस प्रकार हैं:

i) विदेश में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलना;
ii) विदेश में संपत्ति खरीदना;
iii) विदेश में निवेश करना;
iv) विदेशों में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों एवं संयुक्त उद्यमों में की स्थापना करना;
v) कंपनी अधिनियम, 2013 में यथा परिभाषित संबंधियों, जो अनिवासी भारतीय हैं, को भारतीय रुपए में ऋण सहित ऋण देना।

3. इसके अलावा, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खातेगत लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के पैरा 1 में निवासी व्यष्टियों (individuals) को उपलब्ध चालू खातेगत लेनदेनों के लिए मिलने वाली विदेशी मुद्रा/विप्रेषण संबंधी सभी सुविधाओं (निजी/व्यावसायिक दौरों सहित) के लिए लेनदेनों को सुगम बनाने हेतु उन्हें 250,000 अमरीकी डालर की समग्र सीमा में समाहित किया गया है। हालांकि, संलग्नक 1 के रूप में दिए गए अनुसूची III के पैरा 1 में क्रमांक (iv) [उत्प्रवास], (vii) [विदेश में चिकित्सा के संबंध में व्यय] और (viii) [विदेश में शिक्षा] के लिए व्यष्टि (individual) उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत विनिर्दिष्ट समग्र सीमा के अलावा भी विदेशी मुद्रा की सुविधा ले सकते हैं, यदि क्रमश: उत्प्रवास, चिकित्सा प्रदान करने वाले चिकित्सा संस्थान अथवा विश्वविद्यालय ने ऐसी अपेक्षा की हो। निवासी व्यष्टियों (individuals) द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 में यथा परिभाषित अनिवासी भारतीय रिश्तेदारों को भारतीय रुपए में दिए जाने वाले उपहार की राशि भी इस उदारीकृत विप्रेषण योजना में समाहित की जाएगी।

संशोधित अनुसूची III में अंतर्विष्ट 26 मई 2015 की अधिसूचना संलग्नक 1 के रूप में दी गई है।

4. अब तक की भांति, प्रतिबंधित अथवा गैर कानूनी गतिविधियों यथा मार्जिन ट्रेडिंग, लाटरी, आदि के लिए विप्रेषण करने हेतु इस योजना का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

5. विप्रेषण प्रक्रिया

विप्रेषक द्वारा अनुपालित की जाने वाली अपेक्षाएं

5.1 विपेषण करने का इच्छुक निवासी व्यष्टि (individual) विप्रेषण के प्रयोजन, संबंधित निधियां उससे संबंधित होने और उनका उपयोग उपर्युक्त पैरा 4 में दिए गए निषिद्ध प्रयोजनों के लिए नहीं किए जाने के उल्लेख वाला आवेदन-सह-घोषणापत्र संबंधित प्राधिकृत व्यापारी/संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक को संलग्नक 2 में दिए गए फार्मेट में प्रस्तुत करेगा। निवासी व्यष्टि (individual) निजी/व्यावसायिक दौरों (visits) के लिए संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक से भी विदेशी मुद्रा खरीद सकता है। संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक से इस प्रकार खरीदी गई विदेशी मुद्रा की गणना 250,000 अमरीकी डालर की समग्र उदारीकृत विप्रेषण सीमा में की जाएगी तथा उसकी घोषणा आवेदन-सह-घोषणापत्र में प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत की जाएगी।

प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा अनुपालित की जाने वाली अपेक्षाएं

5.2 निवासी व्यष्टियों (individuals) को सुविधा मुहैया कराते समय, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II एवं संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों सहित प्राधिकृत व्यक्तियों को विदेशी मुद्रा लेनदेन की अनुमति देते समय लागू "अपने ग्राहक को जानने" संबंधी दिशानिर्देशों एवं धन शोधन निवारण मानदण्डों की अपेक्षाओं का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा अनुपालित की जाने वाली अपेक्षाएं

5.3 यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंक इस योजना के तहत पूंजीखातेगत विप्रेषण हेतु निवासी व्यक्तियों को निधिक अथवा गैर निधिक सुविधाएं प्रदान नहीं करेंगे

5.4 पूंजीखातेगत विप्रेषण करने के लिए आवेदक ने कम से कम एक साल से बैंक में खाता खोल रखा हो एवं उसे बनाए (maintain कर) रखा हो। यदि विप्रेषक बैंक का नया ग्राहक हो तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक खाते के परिचालन एवं उसके बनाए रखने के संबंध में समुचित सावधानी उपाय संबंधी प्रक्रिया का पालन करें।

5.5 असहयोगी देशों एवं भू-क्षेत्रों के रूप में वित्तीय कार्रवाई कार्यदल द्वारा समय-समय पर अधिसूचित एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सभी संबंधितों को सूचित देशों को 250,000 अमरीकी डालर की विदेशी मुद्रा का कोई भी भाग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में विप्रेषित नहीं किया जाना चाहिए।

6. लेनदेनों की रिपोर्टिंग

प्राधिकृत व्यापारी बैंक उदारीकृत विप्रषण योजना के अंतर्गत विप्रेषक आवेदकों की संख्या एवं कुल राशि के संबंध में मासिक विवरण मुख्य महाप्रबंधक, बाह्य भुगतान प्रभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को आनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) में ही प्रस्तुत करें।

7. व्यष्टियों (individuals) से भिन्न के लिए सुविधाएं

7.1 संलग्नक 1 में दी गई अनुसूची III के पैरा 2 में किए गए उपबंधानुसार, व्यष्टियों (individuals) से भिन्न व्यक्ति (persons) उसमें विनिर्दिष्ट सीमाओं एवं शर्तों के तहत निम्नवत विप्रेषण कर सकते हैं:

  1. शैक्षिक संस्थाओं को दान;

  2. भारत में आवासीय फ्लैटों/कमर्शियल भू-खंडों (प्लाटों) की बिक्री हेतु विदेश में एजेंटों को कमीशन;

  3. परामर्शी सेवाओं के लिए विप्रेषण और

  4. निगमन पूर्व व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु विप्रेषण।

7.2 उपर्युक्त विप्रेषण करते समय, ऐसे व्यक्ति (persons) संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक की शाखा को इस आशय का घोषणापत्र प्रस्तुत करेंगे कि विप्रेषण संबंधी सीमाओं एवं शर्तों का अनुपालन किया गया है।

8. समुद्रपारीय विप्रेषण करने के लिए सभी अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी।

9. विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खातेगत लेनदेन) नियमावली, 2000 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पूंजी खातेगत लेनदेन) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा. सं. 1/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन क्रमश: 26 मई 2015 के जीएसआर सं. 426 (ई) तथा 26 मई 2015 के जीएसआर सं. 425 (ई) जरिए किए गए हैं।

10. प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।

11. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(ए. के. पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक


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