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अधिसूचनाएं

साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता

भारिबैं/2014-15/405
बैंविवि.सं.सीआईडी.बीसी.60/20.16.056/2014-15

15 जनवरी 2015

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों एवं स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित)
अखिल भारतीय अधिसूचित वित्तीय संस्थाएं एवं
सभी साख सूचना कंपनियां

महोदय/महोदया

साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्‍तुत किए जाने हेतु डेटा फॉर्मेट की अनुशंसा करने के लिए गठित समिति (अध्‍यक्षः श्री आदित्‍य पुरी) की रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जारी की गई थी और समिति की सिफारिशों पर टिप्‍पणियां आमंत्रित की गई थीं। समिति की रिपोर्ट निम्नलिखित यूआरएल पर भी देखी जा सकती है: 
 (http://rbi.org.in/scripts/PublicationReportDetails.aspx?UrlPage=&ID=763)

2. अब तक, चार साख सूचना कंपनियों यथा- क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड, इक्यूईफैक्स क्रेडिट इनफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एकस्पेरियन क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनी आफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, तथा सीआरआईएफ हाई मार्क क्रेडिट इनफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है। साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए) की धारा 15 के अनुसार प्रत्येक ऋण देने वाली संस्था को कम से कम एक सीआईसी का सदस्य होना चाहिए। इसके अलावा  सीआईसीआरए की धारा 17 में अपेक्षा की गई है कि एक सीआईसी केवल अपने सदस्यों (ऋण देने वाली संस्था / सीआईसी) से ही क्रेडिट सूचना रिपोर्ट मंगा और प्राप्त कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप, सीआईसीआरए और साख सूचना कंपनी विनियमन, 2006 में परिभाषित किए गए अनुसार एक विनिर्दिष्ट उपयोगकर्ता जब किसी खास उधारकर्ता/ग्राहक के बारे में सीआईसी से क्रेडिट सूचना प्राप्त करता है तो उसे केवल वही सूचना प्राप्त होती है जो सीआईसी को उसके सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराई गई है। इसमें ऐसी गैर-सदस्य ऋण देने वाली संस्थाओं का क्रेडिट इतिहास शामिल नहीं होता है जिनके साथ उधारकर्ता / ग्राहक का मौजूदा एक्सपोजर है अथवा पहले रहा है। । अपर्याप्त/गलत क्रेडिट सूचना की इस समस्या का समाधान पाने के लिए रिपोर्ट में कुछ संभावित विकल्पों के गुण/दोषों पर  चर्चा की गई। इन विकल्पों के साथ-ही आईबीए तथा सीआईसी से प्राप्त सुझावों/ टिप्पणियों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विचार किया गया। यह निर्णय लिया गया है कि सर्वश्रेष्ठ विकल्प यही होगा कि सभी ऋण देने वाली संस्थाओं को सभी सीआईसी की सदस्यता लेने हेतु अधिदेश दिए जाएं और सदस्यता शुल्क तथा वार्षिक शुल्क को यथोचित  रूप से संतुलित किया जाए। इन अनुदेशों की समीक्षा यथासमय की जाएगी।

3.  दिनांक 15 जनवरी 2015 का निदेश बैंविवि. सं.सीईडी.बीसी.59/20.16.056/2014-15 संलग्न है।

भवदीय

(ए.के.पांडेय)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न: यथोक्त


बैंविवि सं.सीआईडी.बीसी.59/20.16.056/2014-15

 15 जनवरी 2015

साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता

साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005  की धारा 11 की उपधारा (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होते हुए कि ऐसा किया जाना आवश्यक और  जनहित में उपयोगी है,  एतदद्वारा निदेश देता है कि इन निदेशों को जारी किए जाने के तीन माह के भीतर,

(i) सभी ऋण देने वाली संस्थाएं (सीआई) सभी साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्य बन जाएंगी और उनको डेटा (ऐतिहासिक डेटा सहित) प्रस्तुत करेंगी। इसके अलावा, साख सूचना कंपनियां (सीआईसी)  और ऋण देने वाली संस्थाएं (सीआई)  उनके द्वारा एकत्रित / रखी गई वाली क्रेडिट सूचना को मासिक आधार अथवा साख सूचना कंपनियां विनियमन, 2006  के विनियम 10 (क) (i) तथा (ii)  के अनुसार सीआई तथा सीआईसी द्वारा आपसी सहमति से तय किसी छोटे अंतराल पर निरंतर अपडेट करती रहेंगी। 

(ii) उपर्युक्त (i) के परिणामस्वरूप, सीआईसी द्वारा सीआई से लिया जाने वाला एकबारगी सदस्यता शुल्क  10,000/- रुपए प्रति सदस्य से अधिक नहीं होगा। सीआईसी द्वारा सीआई से लिया जाने वाला वार्षिक शुल्क  5,000/- रुपए प्रति सदस्य से अधिक नहीं होगा।

(एन.एस.विश्वनाथन)
कार्यपालक निदेशक


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