भा.रि.बैं/2014-15/395
सबैंविवि.केंका.बीपीडी (आरसीबी).परि.सं.11/13.05.001/2014-15
08 जनवरी 2015
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक
महोदया / महोदय,
स्वर्ण ऋण–एकबारगी चुकौती
कृपया 5 मार्च 2010 का परिपत्र सं.ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.60/07.37.02/2009-10 देखें जहां पर राज्य सहकारी बैंकों / केंद्रीय सहकारी बैंकों को एकबारगी चुकौती के विकल्प के साथ 1.00 लाख रुपये तक स्वर्ण ऋण की मंज़ूरी प्रदान करने की अनुमति दी गई थी।
2. समीक्षा के दौरान यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित शर्तों के अधीन योजना के तहत दी जाने वाली ऋण की मात्रा को 1.00 लाख से 2.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जाए :
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ऋण की अवधि मंज़ूरी की तारीख से 12 महीने से अधिक न हो।
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मासिक अंतराल पर ब्याज राशि प्रभारित की जाएगी लेकिन यह राशि मंज़ूरी की तारीख से 12 महीने की समाप्ति पर ही मूल धन के साथ भुगतान के लिए देय होगी।
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राज्य सहकारी बैंक / केंद्रीय सहकारी बैंकों को ऋण की शेष राशि पर लगातार 75% के ऋण का मूल्य (LTV) बनाए रखने होंगे, नहीं तो ऋण को गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
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स्वर्ण का मूल्यांकन 1 जुलाई 2014 के परिपत्र ग्राआऋवि.आरआरबी.आरसीबी.बीसी. सं.08/03.05.33/2014-15 के पैरा 3 में बताए गए अनुदेशों के अनुसार किया जाएगा।
भवदीया,
(सुमा वर्मा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |