आरबीआई/2013-14/586
शबैंवि.केंका.बीपीडी. पीसीबी.परि. सं.60/13.05.001/2013-14
9 मई 2014
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय/ महोदया,
स्वर्ण/चांदी आभूषणों की जमानत पर ऋण
कृपया 10 नवंबर 2008 का परिपत्र सं.शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.24/13.05.001/08-09 देखें जिसमें शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे स्वर्ण / चांदी आभूषणों के जमानत पर मंज़ूर किए गए ऋणों से संबद्ध अंतर्निहित जोखिमों को कम करने की दृष्टि से सुरक्षा उपायों को अपनाएं।
2. एक विवेकपूर्ण उपाय के रूप में यह निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है कि स्वर्ण आभूषणों की जमानत पर बैंक ऋण के लिए (स्वर्ण आभूषणों की जमानत पर बुलेट चुकौती ऋण समेत) मूल्य के प्रति ऋण अनुपात (एलटीवी) 75% से अधिक न हो। अत: भविष्य में शहरी सहकारी बैंकों द्वारा मंज़ूर किया गया ऋण, स्वर्ण आभूषण और जुवलरी के मूल्य के 75% से अधिक नहीं होना चाहिए।
3. मूल्य निर्धारण को मानकीकृत करने तथा उधारकर्ता के लिए इसे और पारदर्शी बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि जमानत/संपार्श्विक के रूप में स्वीकृत स्वर्ण आभूषण का मूल्य निर्धारण पूर्ववर्ती 30 दिनों के लिए 22 कैरेट सोने के उस बंद भाव के औसत पर किया जाएगा जो इंडिया बुलियन और ज्वेलर्स एसोसिएशन लि. [जिसे पहले बॉबे बुलियन एसोसिएशन लिमिटेड (बीबीए) के रूप में जाना जाता था] द्वारा उद्धृत किया गया हो। यदि स्वर्ण की शुद्धता 22 कैरेट से कम हो तो शहरी सहकारी बैंकों को संपार्श्विक को 22 कैरेट में परिवर्तित कर संपार्श्विक के सटीक भार का मूल्यांकन करना चाहिए। दूसरे शब्दों में कम शुद्धता वाले स्वर्ण के आभूषणों का मूल्य निर्धारण आनुपातिक रूप से किया जाएगा।
4. यह दुहराया जाता है कि शहरी सहकारी बैंकों को आवश्यक और सामान्य रक्षोपाय अपनाना जारी रखना चाहिए तथा अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से स्वर्ण आभूषण की जमानत पर ऋण देने के लिए उचित नीति बनानी चाहिए।
भवदीय,
(पी. के.अरोडा)
महाप्रबंधक |