आरबीआई/2013-14/487
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 96/21.06.102/2013-14
11 फरवरी 2014
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को छोड़कर)
महोदया/महोदय,
समूह के भीतर लेनदेन और एक्सपोजरों के प्रबंधन पर दिशानिर्देश
बेहतर जोखिम प्रबंधन और ऋण संकेंद्रण से बचने के उद्देश्य से विवेकपूर्ण उपाय के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने एकल और समूह उधारकर्ताओं के प्रति बैंक के एक्सपोजरों पर विवेकपूर्ण सीमाएं निर्धारित की हैं। बैंकों से अपेक्षित है कि वे एकल और समेकित, दोनों स्तरों पर इन सीमाओं का अनुपालन करें। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंतर्समूह लेनदेनों पर कोई सीमाएं निर्धारित नहीं की हैं। अब यह निर्णय लिया गया है कि अन्य बातों के साथ- साथ अगस्त 2012 को जारी किए गए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर बैंकों के लिए समूह के भीतर लेनदेनों और एक्सपोजरों (आईटीई) पर दिशानिर्देश (अनुबंध में) निर्धारित किए जाएं। ये दिशानिर्देश अनन्य रूप से केवल बैंक के स्वयं के समूह से संबंधित हस्तियों (समूह हस्तियों) के साथ बैंक के लेनदेनों और एक्सपोजरों के लिए हैं। इन दिशानिर्देशों में वित्तीय आईटीई के लिए मात्रात्मक सीमाएं तथा वित्तेतर आईटीआई के लिए विवेकपूर्ण उपाय निहित हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बैंक सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से आईटीई में शामिल हों, ताकि आईटीई से उत्पन्न होने वाले संकेंद्रण और संक्रामक जोखिमों को रोका जा सके। इन उपायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बैंक अपने स्वयं के समूह की हस्तियों के साथ लेनदेन करते समय हर समय पर्याप्त दूरी बनाए रखें, समूह जोखिम प्रबंधन और समूह में व्याप्त निगरानी के संबंध में न्यूनतम अपेक्षाओं की पूर्ति करें तथा समूह के भीतर एक्सपोजरों पर विवेकपूर्ण सीमाओं का पालन करें।
2. ये दिशानिर्देश 01 अक्तूबर 2014 से प्रभावी होंगे। तदनुसार, 31 दिसंबर 2014 को समाप्त तिमाही से बैंकों को समूह के भीतर एक्सपोजरों पर आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) को प्रस्तुत करने चाहिए। यदि बैंक का समूह के भीतर चालू एक्सपोजर दिशानिर्देशों में निर्धारित सीमाओं से अधिक हो, तो उसे यथाशीघ्र, किंतु 31 मार्च 2016 से पहले कम करके सीमाओं के भीतर लाना होगा। 31 मार्च 2016 के बाद अनुमत सीमाओं से ज्यादा एक्सपोजर यदि कोई हो, तो उसे बैंक की सामान्य ईक्विटी टियर 1 पूंजी में से घटाया जाएगा।
3. बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति द्वारा जब भी आईटीई पर मार्गदर्शन जारी किया जाएगा, तब रिज़र्व बैंक इन दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा।
भवदीय
(चंदन सिन्हा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |