भारिबैं/2013-2014/523
गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.37/ एससीआरसी/26.03.001/2013-2014
19 मार्च 2014
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी पंजीकृत प्रतिभूतिकरण कंपनी/पुनर्निमाण कंपनी
महोदय,
एससी/आरसी द्वारा चूककर्ताओं से आस्तियों की वापसी खरीद तथा प्रायोजक बैंकों से एससी/आरसी द्वारा आस्तियों का अधिग्रहण
कृपया 23 अप्रैल 2003 का “प्रतिभूतिकरण कंपनी तथा पुनर्निमाण कंपनी (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश तथा निदेश, 2003” का अवलोकन करें (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा)।
2. 30 जनवरी 2014 के अर्थव्यवस्था में व्यथित आस्तियों को पुन: सशक्त करने हेतु संरचना में निहित प्रावधानों के परिणाम स्वरूप, यह निर्णय लिया गया कि मौजूदा दिशानिदेश में निम्नलिखित संशोधन किया जाए:
ए. एससी/आरसी को अपने प्रायोजित बैंकों से द्विपक्षीय आधार पर गैर निष्पादित आस्तियों के अधिग्रहण की अनुमति नहीं है, चाहे जो भी तर्क हो। तथापि, वे अपने प्रायोजित बैंकों द्वारा गैर निष्पादित आस्तियों की नीलामी में भाग ले सकती है बशर्ते इसका आयोजन पारदर्शी तरीके से, आर्म लेंथ आधार पर किया जाए और बाजार घटकों द्वारा मूल्य का निर्धारण किया जाए।
बी. चूककर्ता कंपनी/उधारकर्ता के प्रोमोटर्स अथवा गारेंटर को एससी/आरसी से अपनी आस्तियों की वापसी खरीद की अनुमति है बशर्ते वे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:
I. इस प्रकार के निपटान निम्नलिखित अवस्थाओं में सहायक हो सकते है:
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कानूनी विवाद की लागत तथा इस संबंध में हुई समय ह्रास को न्यून अथवा समाप्त करना ;
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प्रतिभूत आस्तियों के मूल्य ह्रास के नकरात्मक प्रभाव को अवरूद्ध करना जिससे एक बार आस्ति का परिचालन हीन बनते ही तेजी से मूल्य कम होता है;
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जहां वसूली/समाधान प्रक्रिया अनिश्चित लगता हो और;
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जहां ऐसे निपटान पुनर्निमाण के उद्देश्य के लिए लाभदायक हो।
II. निम्नलिखित घटकों में फैक्टरिंग करने के बाद एससी/आरसी द्वारा आस्ति के मूल्य को निकाला जाए
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प्रस्तावित निपटान का वर्तमान मूल्य (आस्ति का मूल्यांकन छ: माह से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए) के साथ साथ वसूली की वैकल्पिक समाधान प्रक्रिया के निवल वर्तमान मूल्य के संबंध में उसमें निहित घटना क्रम को ध्यान में रख कर विचार किया जाए।
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समय बीतने के कारण प्रतिभूत आस्तियों के मूल्य में संभावित सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिवर्तन ।
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सांविधिक बकाया, कर्मचारियों आदि के प्रति देनदारी के संग्रहण के कारण वसूली में ह्रास की संभावना।
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अन्य घटको, कोई हो तो,जिससे वसूली प्रभावित होती सकती है।
III. एआरसी अपने निदेशक मंडल से विधिवत मंजूरी से लेकर नीति बनाए, जिसमें समय समय पर अद्यतन किया गया एससी/आरसी (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश और निदेश, 2003 के खंड 7(5) में निहित के अलावा उक्त सभी तथ्य शामिल होने चाहिए।
भवदीय,
(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |