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अधिसूचनाएं

मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन

भारिबैंक/2013-14/452
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 95

17 जनवरी 2014

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती (intermediary) ट्रेड लेनदेनों से संबन्धित निर्देशों को समाहित करने वाले 19 जून 2003 और 19 जुलाई 2003 के क्रमश: ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.106 और 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है। निर्यातकों के लिए सेवाओं/ सुविधाओं संबंधी प्रक्रिया को और उदार तथा सरल बनाने संबंधी तकनीकी समिति (अध्यक्ष श्री जी॰ पद्मनाभन) की सिफारिशों के आलोक में मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों पर मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है। तदनुसार, मौजूदा दिशानिर्देशों को अधिक्रमित करते हुये संशोधित दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेन हेतु सेवा देते समय प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक निम्नलिखित दिशार्निर्देशों को ध्यान में रखें:

i) मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों में शामिल वस्तुएं वे हों जो निर्यात/आयात के लिए, संविदाएं करते समय, भारत की प्रचलित विदेशी व्यापार नीति के अनुसार निर्यात/आयात के लिए अनुमत हों तथा निर्यात (निर्यात घोषणा फार्म को छोड़कर) और आयात (बिल आफ एंट्री को छोड़कर) के संबंध में लागू सभी नियमों, विनियमों और निर्देशों का अनुपालन क्रमश: निर्यात लेग (export leg) और आयात लेग (import leg) के लिए किया जाए;

ii) मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों के दोनों लेग (leg) एक ही प्राधिकृत व्यापारी बैंक के मार्फत किए जाएं। बैंक दस्तावेजों जैसे इनवाइस, पैकिंग लिस्ट, ट्रांस्पोर्ट दस्तावेज़ और बीमा दस्तावेज़ का सत्यापन करें और ट्रेड की वास्तविकता के संबंध में स्वयं संतुष्ट हो लें ।

iii) मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों की पूरी प्रक्रिया 9 महीने की समग्र अवधि में पूरी की जानी चाहिए और विदेशी मुद्रा परिव्यय 4 माह से ऊपर नहीं होना चाहिए;

iv) मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों का प्रारम्भ, पोत लदान/एक्सपोर्ट लेग (leg) रसीद अथवा आयात लेग (leg) के भुगतान की तारीख में से जो भी पहले हो से, माना जाएगा। मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों का पूरा होना, पोत लदान/एक्सपोर्ट लेग (leg) रसीद अथवा आयात लेग (leg) के भुगतान की तारीख में से जो भी अंतिम हो से, माना जाएगा;

v) अल्पावधि उधार (क्रेडिट), चाहे आपूर्तिकर्ता द्वारा दिया गया उधार हो अथवा क्रेता द्वारा लिया गया उधार हो, मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेनों के लिए उपलब्ध होगा जिसमें आयात लेनदेन की भांति प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा निर्यात लेग (leg) साखपत्र की डिस्कांउंटिंग शामिल होगी;

vi) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को प्रत्येक मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड लेनदेन के संबंध में एक का एक से मिलान (one to one matching) करना चाहिए और किसी लेग में ट्रेडर द्वारा की गई चूक को रिजर्व बैंक के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय को, अर्धवार्षिक आधार पर, संलग्न फार्मेट में रिपोर्ट करना चाहिए। रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण की अंतिम तारीख प्रत्येक अर्धवर्ष की समाप्ति के अनुवर्ती 15 कैलेंडर दिन होगी। बार-बार की जाने वाली चूकों अर्थात वर्ष में तीन बार अथवा अधिक (चूकों) के मामले में प्राधिकृत व्यापारी को चाहिए कि वह मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड के और लेनदेन करने से ऐसे ट्रेडरों को रोके (restrain करे) और ऐसे ट्रेडरों को सचेतक सूची में शामिल करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक को सिफारिश भेजने पर विचार करे।

3॰ मर्चेंटिंग ट्रेडर वस्तुओं के वास्तविक (मौलिक) व्यापारी होने चाहिए, न कि केवल वित्तीय मध्यवर्ती। समुद्रपारीय क्रेताओं से उन्हें पक्के आदेश प्राप्त होने चाहिए। मेर्चेंटिंग ट्रेडर द्वारा आदेश के दायित्व को पूरा करने की क्षमता के प्रति प्राधिकृत व्यापारी को संतुष्ट हो लेना चाहिए। लेनदेनों से मेर्चंटिंग ट्रेडर को उचित लाभ होना चाहिए।

4. समुद्रपारीय क्रेता से आवक विप्रेषण अधिमानत: पहले प्राप्त होना चाहिए और समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता को जावक विप्रेषण बाद में किया जाना चाहिए। विकल्पत: क्रेता द्वारा मर्चेन्ट के पक्ष में अप्रतिसंहरणीय साखपत्र (एलसी) खोला जाना चाहिए। ऐसे साखपत्र (की शक्ति) के आधार पर, बदले में, मर्चेन्ट समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता के पक्ष में साखपत्र खोल सकता है। दोनों ही साखपत्रों के अंतर्गत भुगतान की शर्तें इस प्रकार की होनी चाहिए कि आयात साखपत्र के लिए भुगतान, निर्यात साखपत्र के भुगतान की प्राप्ति के बाद करना हो। निर्यात साखपत्र भारत में मूल मेर्चंटिंग ट्रेडर के पक्ष में जारी किया जाना चाहिए और आयात साखपत्र मूल आपूर्तिकर्ता के पक्ष में होना चाहिए। यदि निर्यात लेग (leg) संबंधी भुगतान अग्रिम प्राप्त होता है, तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक निर्यात साखपत्र खोलने पर ज़ोर न दें।

5. यदि मर्चेंटिंग ट्रेडर द्वारा निर्यात लेग (leg) के लिए अग्रिम प्राप्त कर लिया जाता है तो ऐसे अग्रिम भुगतान को अलग जमा/चालू खाते में विदेशी मुद्रा अथवा भारतीय रुपये में रखा जा सकता है। आयात लेग के लिए अपेक्षित राशि आयात के भुगतान तक चिन्हित रखी जाए और वह मर्चेंटिंग ट्रेडर को आयात के लिए भुगतान करने अथवा आयात के लिए भुगतान योग्य निधियों की सीमा तक अल्पावधि के लिए उसी प्राधिकृत व्यापारी के पास, अंत: अवधि के लिए, नियोजन को छोड़कर किसी अन्य उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं होनी चाहिए। यदि समुद्रपारीय बिक्रेता द्वारा आयात लेग के लिए अग्रिम की मांग की जाए तो उसे किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित बैंक की बैंक गारंटी पर अदा किया जाना चाहिए;

6. "आर" रिटर्न के समेकन के लिए मर्चेंटिंग अथवा मध्यवर्ती ट्रेड हेतु रिपोर्टिंग सकल आधार पर निम्नलिखित कूट संख्याओं (codes) के साथ की जाए;

ट्रेड

फेटर्स के अंतर्गत प्रयोजन कोड

ब्योरा

निर्यात

पी0108

मर्चेंटिंग के अंतर्गत बेची गई वस्तुएं/मर्चेंटिंग ट्रेड के निर्यात लेग के बदले प्राप्ति (receipt)

आयात

एस0108

मर्चेंटिंग के अंतर्गत अर्जित वस्तुएं/मर्चेंटिंग ट्रेड के आयात लेग के बदले किया गया भुगतान

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं और दिशानिर्देशों को कड़ाई के साथ अनुपालन के लिए नोट करें।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(सी॰डी॰ श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


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