आरबीआई/2013-14/274
बैंपविवि. सं. बीएपीडी. बीसी 54/22.01.001/2013-14
19 सितंबर 2013
सभी देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदया/महोदय
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 23 -
शाखा प्रधिकरण नीति में छूट
कृपया 4 सितंबर 2013 को कार्यग्रहण करते समय गवर्नर महोदय द्वारा दिया गया वक्तव्य (उद्धरण संलग्न – अनुबंध 1) देखें, जिसमें यह प्रस्ताव था कि देश के हर हिस्से में सुप्रबंधित देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को शाखाएं खोलने की पूरी आजादी दी जाए, बशर्ते वे शहरी क्षेत्रों में अपने शाखा प्रसार के अनुपात में अल्प बैंकिंग सुविधा वाले क्षेत्रों में कतिपय समावेशन संबंधी मानदंड पूरा करें।
2. ग्रामीण और अर्ध- शहरी इलाकों में बैंकिंग प्रसार में वृद्धि करने के लिए, देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को 1 सितंबर 2009 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल.बीसी. 65/22.01.001/ 2009-10 तथा 29 नवंबर 2011 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 60/22.01.001/ 2011-12 द्वारा क्रमश: टियर 1 से टियर 6 केंद्रों में तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों तथा सिक्किम में ग्रामीण, अर्ध शहरी तथा शहरी केंद्रों में, प्रत्येक मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति लेने की आवश्यकता के बिना, रिपोर्टिंग के अधीन, शाखाएं खोलने के लिए अनुमति दी गयी थी।
3. शाखा प्राधिकरण नीति को और अधिक उदार तथा युक्तिसंगत बनाने के उदेश्य से उपर्युक्त पैरा 2 में उल्लिखित सामान्य अनुमति अब देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के टियर 1 केंद्रों की शाखाओं के लिए भी दी जाती है, बशर्ते:
क) वित्त वर्ष के दौरान खोली गई कुल शाखाओं (नीचे पैरा 4 में बताए अनुसार प्रोत्साहन के रूप में टियर 1 केंद्रों की शाखाओं के लिए दी गई पात्रता को छोड़कर) में से कम-से-कम 25 प्रतिशत शाखाएं बैंक-रहित ग्रामीण केंद्रों (टियर 5 और टियर 6) में खोली जानी चाहिए, अर्थात् ऐसे केंद्रों में जहां ग्राहक आधारित बैंकिंग लेनदेन के लिए किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की कोई इमारती संरचना न हो।
ख) वित्त वर्ष के दौरान टियर 1 केंद्रों में खोली गई कुल शाखाएं (नीचे पैरा 4 में बताए अनुसार प्रोत्साहन के रूप में टियर 1 केंद्रों की शाखाओं के लिए दी गई पात्रता को छोड़कर) टियर 2 से 6 के केंद्रों में और पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम में स्थित सभी केंद्रों में खोली गई कुल शाखाओं से अधिक नहीं हो सकती।
4. चूंकि अधिक समरूप स्थानिक वितरण सुनिश्चित करने के लिए कम बैंक सुविधा वाले राज्यों के कम बैंक सुविधा वाले जिलों में अधिक शाखाएं खोलने की सतत आवश्यकता है, इसलिए बैंकों को ऐसी शाखाएं खोलने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। तदनुसार, बैंक उपर्युक्त पैरा 3(क) और (ख) में दी गई अपनी पात्रता के अतिरिक्त टियर 1 के केंद्रों में उतनी शाखाएं खोल सकते हैं जितनी उन्होंने कम बैंक सुविधा वाले राज्यों के कम बैंक सुविधा वाले जिलों के टियर 2 से टियर 6 केंद्रों में खोली हैं। इस गणना में बैंक-रहित ग्रामीण केंद्रों में खोली गई ऐसी ग्रामीण शाखाएं शामिल नहीं हैं जो उपर्युक्त पैरा 3(क) में दर्शायी गई अपेक्षा के अनुपालन में कम बैंक सुविधा वाले राज्यों की कम बैंक सुविधा वाले जिलों में स्थित हो सकती हैं।
5. बैंक यह सुनिश्चित करें कि किसी वित्त वर्ष के दौरान खोली गई सभी शाखाओं में ऊपर दिए गए मानदंडों का अनुपालन किया गया है। यदि कोई बैंक उपर्युक्त पैरा 3 और 4 के अनुसार अपनी पात्रता के अनुरूप टियर 1 के केंद्रों में सभी शाखाएं खोलने में असमर्थ हो, तो वह परवर्ती दो वर्षों के दौरान ये शाखाएं खोल सकता है।
6. ऐसे बैंक, जो किसी कारणवश वित्त वर्ष के दौरान टियर 2 से 6 के केंद्रों में कुल शाखाएं अथवा बैंक-रहित ग्रामीण केंद्रों में (टियर 5 से 6 के केंद्र) में शाखाएं खोलने के अपने दायित्व को पूरा करने में असमर्थ हैं, वे अगले वित्त वर्ष में इस कमी को अवश्य दूर करें।
7. यह सामान्य अनुमति उपर्युक्त पैरा 3 एवं 4 में निर्दिष्ट मानदंडों के अनुपालन तथा अलग-अलग बैंकों के संबंध में विनियमन / पर्यवेक्षण संबंधी अनुकूलता के अधीन होगी। उपर्युक्त पैरा 3 एवं 6 में उल्लिखित दायित्वों को पूरा करने में असफल बैंकों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के साथ-साथ उपर्युक्त मानदंड पूरा न करने वाले बैंकों को अभी दी जा रही सामान्य अनुमति रोकने का विकल्प भारतीय रिज़र्व बैंक के पास होगा।
8. रिपोर्टिंग अपेक्षाओं तथा उपर्युक्त शर्तों को स्पष्ट करने वाले उदाहरण के साथ इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।
भवदीय
(प्रकाश चंद्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नः यथोक्त
अनुबंध 1
04 सितंबर 2013 को कार्यग्रहण के समय डॉ रघुराम राजन के वक्तव्य का उद्धरण
बैंकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा से भारतीय जनता को लाभ मिलेगा तथा निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता से बैंकों को लाभ मिलेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को देश के प्रत्येक भाग में शाखाएं खोलनेकी पूरी आजादी देने के लिए आवश्यक परिपत्र शीघ्र ही जारी करेगा। किसी भी सुप्रबंधित अनुसूचित देशी वाणिज्यिक बैंक को अब शाखा खोलने के लिए अनुमति हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं होगी। निश्चित ही हम अपेक्षा करेंगे कि बैंक, शहरी क्षेत्रों में अपने प्रसार के अनुपात में बैंकिंग सुविधा रहित क्षेत्रों में कतिपय समावेशी मानदंडों का पालन करें तथा उचित तरीके से प्रबंधित न किए गए बैंकों को हम विस्तार से तब तक रोकेंगे जब तक वे अपनी स्थिरता के संबंध में पर्यवेक्षकों को विश्वस्त नहीं करते। किंतु कुप्रबंधित बैंकों को छोड़कर सभी अनुसूचित देशी वाणिज्यिक बैंक स्वतंत्र रूप से शाखाएं खोल सकेंगे।
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