आरबीआई/2012-2013/562
डीसीएम (एफएनवीडी) सं. 5840 /16.01.05/ 2012 -13
27 जून 2013
सभी अनुसुचित वाणिज्यिक बैंकों के
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
महोदया /महोदय
नकली नोटों की पहचान और रिपोर्टिंग
कृपया 3 मई , 2013 को वर्ष 2013-14 के लिए घोषित मौद्रिक नीति का पैराग्राफ 115 (उद्धरण संलग्न) देखें । उक्त में यह स्पष्ट किया गया है कि बैंकों द्वारा नकली नोटों की पहचान और रिपोर्टिंग की प्रोत्साहन योजना और साथ ही जाली नोटों को न पकड़ने तथा उसकी रिपोर्टिंग न करने पर दंड लगाने की योजना पर जून 2013 के अंत तक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे । साथ ही 17, अप्रैल 2013 को वर्ष 2012 -13 के लिए घोषित मौद्रिक नीति का पैराग्राफ 127 (उद्धरण संलग्न) देखें जहां पर स्पष्ट किया गया है कि बैंकों को अपनी व्यवस्था को इतना कारगर रखना होगा कि वे नकली नोटों के जोखिम को झेलने के लायक हों न कि आम आदमी पर इसका बोझ पड़े जिसके पास अनजाने में ऐसे नोट आ जाते हैं और 16 नवंबर 2012 का हमारा परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं.2165 /16.21.005/ 2012 -13 देखें जिसमें यह सूचित किया गया है कि बैंकों के स्तर पर पता लगाये गये जाली नोटों की जब्ती की असफलता पर यह माना जायेगा कि संबंधित बैंक जानबूझकर जाली नोटों के संचलन में लिप्त है और उचित दण्ड लगाया जायेगा ।
2. यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को उनके द्वारा ` 100 और उससे अधिक मूल्यवर्ग के जाली नोटों की पहचान और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा पुलिस प्राधिकारियों को सूचित करने पर इस संबंध में हुई हानि की 25% क्षतिपूर्ति की जाए ।
3. उपरोक्त निर्देशों को ध्यान में रखते हुए नकली नोटों की पहचान और रिपोर्टिंग एवं उससे संबंधित दंड प्रक्रियां की समीक्षा (अनुबद्ध में प्रस्तुत विस्तृत ब्योरे के अनुसार) की जा रही है । अन्य सभी निर्देश अपरिवर्तित रहेंगे ।
4. ये निर्देश जुलाई 1, 2013 से लागू होंगे और बैंकों को संलग्न फार्मेट के अनुसार आरबीआई को रिपोर्टिंग करना अगस्त 2013 से प्रारंभ करना होगा ।
5.कृपया प्राप्ति सूचना दें।
भवदीय
(बी.पी.विजयेन्द्र)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
अनु: यथोक्त
1. मौद्रिक नीति व्यक्तव्य 2012-2013 – उद्धरण
115. जाली नोटों के खतरे को समाप्त करने के लिए डीपीएससी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, अब यह निर्णय लिया गया है कि पकड़े गए जाली नोटों की रिर्पोटिंग करने हेतु बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए, बैंकों के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू की जाएगी। साथ ही साथ, जाली नोटों को न पकड़ने और उसकी रिर्पोटिंग न करने पर वर्तमान दंड पर भी गौर किया जा रहा है।
जून 2013 के अंत तक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
2. मौद्रिक नीति व्यक्तव्य 2012-2013 – उद्धरण
नकली नोटों की पहचान और रिपोर्टिंग व्यवस्था
127. यह पहले ही कहा गया है कि `.100 और इससे अधिक मूल्य -वर्ग के बैंक नोट रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करने वाली मशीनों से प्रोसेस करने के बाद काउंटरों पर एटीएमों के जरिये जारी किए जाएं। ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई है कि नकली नोट बैंक /ब्रांच स्तर पर ही पकड़ लिए जाएं, और इस प्रकार उन्हें दुबारा चलन में आने से रोका जा सके। यह भी पाया गया है कि उपर्युक्त कार्रवाइयों और इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) फाइल करने की प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने के बावजूद बैंकों द्वारा नकली नोटों को पकड़ने व तत्पश्चात उसकी रिपोर्टिंग पर्याप्त नहीं हो रही है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं क्योंकि रिज़र्व बैंक चलन में नकली नोटों की संख्या और अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभाव का आकलन कर पाने की स्थिति में नहीं है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए, बैंको को कहा जाता है कि :
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वे यह सुनिश्चित करें कि काउंटरों पर प्राप्त नोटों को फिर से चलन में तभी लाया जाए जब मशीनों द्वारा समुचित रूप से उनकी सत्यता जाँच ली गई हो; और
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अपनी व्यवस्था को इतना दुरुस्त रखें कि वे नकली नोटों के जोखिम को झेलने के लायक हों न कि आम आदमी पर इसका बोझ पड़े जिसके पास अनजाने में ऐसे नोट आ जाते हैं।
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