आरबीआइ/2012-13/487
ग्राआऋवि.केका.प्लान. सं.72/04.09.01/2012-13
03 मई, 2013
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
[सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)]
महोदया/महोदय,
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण – सीमाओं में संशोधन
कृपया आप वर्ष 2013-14 के मौद्रिक नीति वक्तव्य का पैरा 65 देखें । प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत 1 अप्रैल 2013 से निम्नलिखित सीमाएं संशोधित की गई हैं ।
1. कृषि
(i) प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि, दोनों के अंतर्गत किसानों को कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी / दृष्टिबंधक रखकर दिए जानेवाले 12 माह की अनधिक अवधि के ऋणों की सीमा `25 लाख से बढ़ाकर `50 लाख कर दी गई है।
[20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव: पैरा III 1.1(iv) और पैरा 1.2.1(iv) तदनुसार संशोधित हो गए हैं]
(ii) उर्वरक, कीटनाशक दवाइयों, बीजों, पशु खाद्य, मुर्गी आहार, कृषि औजारों और अन्य निविष्टियों आदि के डीलरों/ विक्रेताओं को दिए जानेवाले ऋणों की सीमा प्रति उधारकर्ता `1 करोड़ से बढ़ाकर `5 करोड़ कर दी गई है।
[20 जुलाई 2012 के परिपत्र पर प्रभाव : पैरा III 1.2.2(i) तदनुसार संशोधित हो गया हैं]
2. माइक्रो और लघु उद्यम
सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में कार्यरत माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को दी जानेवाली बैंक ऋण सीमाएं प्रति उधारकर्ता/इकाई `2 करोड़ से बढ़ाकर ` 5 करोड़ कर दी गई हैं बशर्ते वे एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत परिभाषितानुसार उपस्कर हेतु निवेश मानदंड को पूरा करते हों।
[17 अक्तूबर 2012 के परिपत्र पर प्रभाव : पैरा 2 तदनुसार संशोधित हो गया है]
भवदीय,
(टी.वी.राव)
उप महाप्रबंधक
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