भारिबैंक/2012-13/419
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 84.
22 फरवरी 2013
सभी प्राधिकृत व्यक्ति
महोदया/महोदय,
अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने संबंधी मानक - धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियाँ
कृपया उल्लिखित विषय पर, समय-समय पर यथा संशोधित, 27 नवंबर 2009 के { ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.17 [ए.पी. (एफएल/आरएल सीरीज) परिपत्र सं. 04] } का पैराग्राफ 4.4 (ए) देखें।
2. धन शोधन निवारण नियमावली, 2005 के नियम 9 (1ए) में यह अपेक्षा की गयी है कि मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधि करने वाले प्रत्येक प्राधिकृत व्यक्ति को मुद्रा परिवर्तन संबंधी कारोबार करते समय लाभार्थी स्वामी (beneficial owner) की पहचान करनी चाहिए और उसकी पहचान सत्यापित करने के लिए सभी उचित कदम उठाने चाहिए। "लाभार्थी स्वामी" (beneficial owner) उस साधारण व्यक्ति (natural person) के रूप में परिभाषित किया गया है जो आखिरकार ग्राहक का स्वामित्व और नियंत्रण करता है और/अथवा ऐसा व्यक्ति, जिसकी ओर से लेनदेन किया जा रहा है, और इसमें ऐसा व्यक्ति समाविष्ट है जो विधिक व्यक्ति का आखिरकार नियंत्रण करता है। भारत सरकार ने अब मामले की जाँच की है और लाभार्थी स्वामी (beneficial owner) के निर्धारण के लिए क्रियाविधि विनिर्दिष्ट की है। भारत सरकार द्वारा सूचित की गयी क्रियाविधि निम्नवत है:
ए. यदि ग्राहक व्यक्ति (individual)l अथवा ट्रस्ट से भिन्न व्यक्ति हो, तो प्राधिकृत व्यक्ति निम्नलिखित जानकारी के जरिये ग्राहक के लाभार्थी स्वामियों (beneficial owners) की पहचान करेगा और ऐसे व्यक्तियों की पहचान सत्यापित करने/प्रामाणिकता के लिए सभी उचित कदम उठाएगा:
(i) साधारण व्यक्ति (natural person) की पहचान अकेले अथवा साथ में, अथवा एक अथवा अधिक विधिक व्यक्ति/व्यक्तियों के जरिये कार्य करने वाले उस व्यक्ति के रूप में की जाती है जो स्वामित्व के जरिये नियंत्रण करता है अथवा जिसका आखिरकार नियंत्रक स्वामित्व संबंधी हित होता है।
स्पष्टीकरण: नियंत्रक स्वामित्व संबंधी हित का अभिप्राय - विधिक व्यक्ति के कंपनी होने के मामले में उसके शेयर या पूँजी य़ा लाभ के 25 प्रतिशत से अधिक के स्वामित्व/की पात्रता से है; साझेदारी (फर्म) होने के मामले में, उसकी पूंजी या उसके लाभ के 15% से अधिक के स्वामित्व/की पात्रता से है; अथवा अनिगमित संघ या व्यक्तियों का निकाय होने के मामले में उसकी संपत्ति या पूंजी या लाभ के 15% से अधिक के स्वामित्व/की पात्रता से है।
(ii) ऐसे मामलों में जहां उपर्युक्त मद (i) के संबंध में संदेह हो कि नियंत्रक स्वामित्व हित वाला व्यक्ति लाभार्थी स्वामी है या नहीं अथवा जहां स्वामित्व हित के माध्यम से नियंत्रण रखनेवाला, कोई साधारण (नैचुरल) व्यक्ति न हो, वहां अन्य माध्यमों से विधिक व्यक्ति पर नियंत्रण रखने वाले साधारण (नैचुरल) व्यक्ति की पहचान की जाए।
स्पष्टीकरण: अन्य साधनों से नियंत्रण किया जा सकता है जैसे मताधिकार, करार, व्यवस्था (प्रबंधन), आदि ।
(iii) जहाँ उल्लिखित मद (i) अथवा (ii) के तहत साधारण (नैचुरल) व्यक्ति की पहचान नहीं की जा सकती है, वहाँ वरिष्ठ प्रबंध अधिकारी का पद धारण करने वाले व्यक्ति की पहचान संबंधित साधारण (नैचुरल)व्यक्तिकेरूपमेंकीजाएगी।
बी) जहां ग्राहक कोई ट्रस्ट है, वहां प्राधिकृत व्यक्ति ग्राहक के लाभार्थी स्वामियों (beneficial owners) की पहचान करेगा और ऐसे व्यक्तियों की पहचान सत्यापित करने के लिए उचित कदम उठाएगा जिनमें ट्रस्ट के व्यवस्थापक (settler), ट्रस्टी, संरक्षक, ट्रस्ट में 15% अथवा उससे अधिक हितों के लाभार्थी और नियंत्रण अथवा स्वामित्व की श्रृंखला के माध्यम से ट्रस्ट पर प्रभावी नियंत्रण रखने वाले अन्य व्यक्ति की पहचान शामिल है ।
सी) जहाँ ग्राहक अथवा नियंत्रक हित का/की स्वामी कोई कंपनी है जो स्टाक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध है, अथवा ऐसी ही किसी कंपनी द्वारा प्रमुख रूप से स्वामित्व धारित सहायक कंपनी है तो ऐसी कंपनियों के शेयरहोल्डर अथवा लाभार्थी स्वामी (beneficial owner) की पहचान करने और उसके सत्यापन की आवश्यकता नहीं है ।
3. प्राधिकृत व्यक्ति उल्लिखित अनुदेशों के मद्देनजर अपने ग्राहक को जानने (केवाइसी) संबंधी अपनी नीति की समीक्षा करें और उसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करें।
4. ये दिशानिर्देश प्राधिकृत व्यक्तियों के सभी एजेंटों/फ्रेंचाइज़ियों पर भी यथोचित परिवर्तनों सहित लागू होंगे तथा यह सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व फ्रेंचाइजरों का ही होगा कि उनके एजेंट/फ्रेंचाइजी भी इन दिशानिर्देशों का पालन करते हैं ।
5. प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करायें ।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) और धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और समय समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और मूल्य संबंधी अभिलेखों के रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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