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अधिसूचनाएं

भारत में व्हाइट लेबल एटीएम (डबल्यूएलए)-दिशानिर्देश

आरबीआई/2011-12/612
डीपीएसएस सीओ पीडी सं. 2298 /02.10.002/2011-2012

20 जून 2012

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
शहरी सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक
अधिकृत एटीएम नेटवर्क ऑपरेटर/कार्ड भुगतान नेटवर्क ऑपरेटर
भावी व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर

महोदय,

भारत में व्हाइट लेबल एटीएम (डबल्यूएलए)-दिशानिर्देश

मौजूदा नियमों/विनियमों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवल बैंकों को यह अनुमति प्राप्त है कि वे विस्तारित डिलिवरी चैनलों के रूप में स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) की स्थापना कर सकते हैं। एटीएम के प्रयोग को स्वीकार करने के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करने और वैयक्तिक बैंकिंग क्षेत्र में लोगों की सोच को बदलने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एटीएम में किया जाने वाला निवेश बैंकिंग उद्योग में ग्राहक को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने में सहायक रहा है और इसने प्राधिकृत सहभागी एटीएम नेटवर्क आपरेटरों /कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों द्वारा उपलब्ध कराए गए अन्तःप्रचालनीय प्लेटफार्मों के माध्यम से बैंकिंग कार्यक्षेत्र के दायरे को बढ़ाकर कभी भी, कहीं भी बैंकिंग कर दिया है।

2. यद्यपि एटीएम की संख्या में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि लगभग 23-25 प्रतिशत रही है (वर्तमान संख्या 90,000 से अधिक), किन्तु प्रमुख रूप से इन्हें टायर-I और टायर-II केन्द्रों में ही स्थापित किया गया है। आवश्यकता इस बात की है कि टायर-III से टायर-VI (भारत की 2011 की जन गणना के अनुसार केन्द्रों का वर्गीकरण) केन्द्रों में एटीएम की पहुँच बढ़ाई जाए। इस दिशा में बैंक द्वारा किए गए पथप्रदर्शक प्रयासों के बावजूद अभी भी काफी कुछ किया जाना है।

3. इस बात के मद्देनजर भारतीय रिज़र्व बैंक ने एटीएम संबंधी मौजूदा नीति की समीक्षा की है। नीति की समीक्षा करते समय रिज़र्व बैंक ने 14 फरवरी 2012 को बैंक की वेबसाइट पर डाले गए मसौदा दिशानिर्देशों के संबंध में बैंकों, प्राधिकृत एटीएम नेटवर्क आपरेटरों, गैर बैंकिंग कंपनियों और जनता के बीच से सदस्यों से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखा है ।

4. तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत निगमित गैर-बैंक संस्था को भारत में एटीएम स्थापित करने, उनका स्वामित्व रखने और परिचालन करने की अनुमति प्रदान की जाए। गैर-बैंक संस्थाएं जो एटीएम स्थापित करने, उनका स्वामित्व रखने और परिचालन करेंगी उन्हें “व्हाइट लेबल एटीएम आपरेटर” (डबल्यूएलएओ) कहा जाएगा और ऐसे एटीएम को “व्हाइट लेबल एटीएम” (डबल्यूएलए) कहा जाएगा। वे भारत में बैंकों के ग्राहकों को बैंकों द्वारा जारी किए गए कार्डों (डेबिट/क्रेडिट/प्रीपेड) के आधार पर बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराएंगे। डबल्यूएलएओ की भूमिका सभी बैंकों के ग्राहकों के लेनदेनों के अभिग्रहण तक सीमित होगी इसलिए उन्हें मौजूदा प्राधिकृत सहभागी एटीएम नेटवर्क आपरेटरों/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों के साथ तकनीकी संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता होगी।

5. गैर बैंकिंग संस्थाओं को भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम 2007 के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक से प्राधिकार प्राप्त कर लेने के बाद भारत में डबल्यूएलए स्थापित करने की अनुमति होगी। किसी गैर-बैंक संस्था के लिए एक भुगतान प्रणाली के संचालन के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम 2007 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने के लिए सामान्य दिशानिर्देश निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध हैं:
http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/86707.pdf। इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत डबल्यूएलए स्थापित करने वाली गैर-बैंक कंपनियाँ विशिष्ट प्राधिकार के लिए इन दिशानिर्देशों के जारी होने की तिथि से चार महीनों के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क कर सकती हैं, उसके पश्चात प्राधिकार प्राप्त करने के लिए संपर्क विंडो बंद कर दी जाएगी। ऐसी गैर-बैंक कंपनियों के पास नवीनतम वित्तीय वर्ष का लेखापरीक्षित तुलन-पत्र के अनुसार कम से कम 100 करोड़ रुपये की निवल मालियत (Net worth) होनी चाहिए, जिसे हमेशा कायम रखना होगा ।

6. विशिष्ट मानदंड और दिशानिर्देश जिनके आधार पर भावी डबल्यूएलए आपरेटरों को डबल्यूएलए परिचालित करने की अनुमति दी जाएगी उनकी सूची अनुबंध- क में दी गई है। हितधारकों की भूमिका और उत्तरदायित्व (डबल्यूएलएओ, प्रायोजक बैंक, नेटवर्क आपरेटर) और सामान्य शर्तें अनुबंध-ख में दर्शाई गई हैं। डबल्यूएलएओ द्वारा प्राधिकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत करते समय अपेक्षित अतिरिक्त जानकारी अनुबंध-ग में दी गई है।

भवदीय

(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध क

व्हाइट लेबल एटीएम (डबल्यूएलए) की स्थापना, उसका स्वामित्व और परिचालन करने के लिए भुगतान और निपटान अधिनियम 2007 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करने की इच्छा रखने वाली गैर बैंकिंग कंपनी के लिए विशिष्ट मानदंड और दिशानिर्देश
(दिनांक 20 जून 2012 के डीपीएसएस सीओ पीडी सं. 2298 / 02.10.002 / 2011-2012 का संदर्भ लें)

1. डबल्यूएलए आपरेटरों (डबल्यूएलएओ) के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड होंगे:

  • आवेदन करने वाली संस्था के बहिर्नियमों (एमओए) में प्रस्तावित डबल्यूएलए संचालन की गतिविधि अवश्य शामिल होनी चाहिए।

  • प्राधिकार प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाली संस्था में किसी भी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ़डीआई) होने की स्थिति में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में समेकित नीति और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के अंतर्गत बनाए गए विनियमों के अंतर्गत औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा अधिसूचित नीति के तहत समर्थ प्राधिकारी से आवश्यक अनुमोदन प्रस्तुत करना अपेक्षित है।

  • गैर बैंक संस्था के पास पिछले लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार कम से कम 100 करोड़ रुपये की निवल मालियत होनी चाहिए।

  • कम से कम 100 करोड़ रुपये की निवल मालियत हमेशा होनी चाहिए।

2. प्राधिकृत गैर- बैंकिंग कंपनी (इसके बाद से डबल्यूएलए आपरेटर अथवा डबल्यूएलएओ कहा जाएगा) के पास डबल्यूएलए के स्थान को चुनने की स्वतन्त्रता होगी।

3. प्रस्तावित दिशानिर्देशों के अंतर्गत डबल्यूएलए परिचालन स्थापित करने के लिए प्राधिकार प्रारम्भ में एक वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा। आवेदन करते समय स्कीम और स्थापित किए जाने वाले डबल्यूएलए की संख्या दर्शाई जानी चाहिए। इन स्कीमों का विवरण इस प्रकार है:

क. स्कीम अ

  • प्रथम वर्ष –कम से कम 1000 डबल्यूएलए

  • द्वितीय वर्ष - प्रथम वर्ष में स्थापित किए गए डबल्यूएलए का कम-से-कम दोगुना

  • तृतीय वर्ष - द्वितीय वर्ष में स्थापित किए गए डबल्यूएलए का कम-से-कम तीन गुना

3:1 के अनुपात के अनुसार , टायर III और टायर VI केन्द्रों के बीच स्थापित प्रत्येक 3 डबल्यूएलए के बीच 1 डबल्यूएलए टायर I और टायर II केन्द्रों में स्थापित किया जा सकता है। टायर III और टायर VI के बीच के केन्द्रों में स्थापित 3 डबल्यूएलए में से कम-से-कम 10 प्रतिशत टायर V और टायर VI केन्द्रों में स्थापित किए जाने चाहिए।

ख. स्कीम आ

तीन वर्षों तक प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 5000 डबल्यूएलए।

2:1 के अनुपात के अनुसार , टायर III और टायर VI केन्द्रों के बीच स्थापित प्रत्येक 2 डबल्यूएलए के बीच 1 डबल्यूएलए टायर I और टायर II केन्द्रों में स्थापित किया जा सकता है। टायर III और टायर VI के बीच के केन्द्रों में स्थापित डबल्यूएलए में से कम-से-कम 10 प्रतिशत टायर V और टायर VI केन्द्रों में स्थापित किए जाने चाहिए।

ग. स्कीम इ

प्रथम वर्ष में कम-से-कम 25000 डबल्यूएलए और अगले दो वर्षों में कम-से-कम और 25000 ।

इस योजना के अंतर्गत 1:1 का अनुपात लागू होगा। टायर III और टायर VI केन्द्रों में स्थापित डबल्यूएलए में से कम-से-कम 10 प्रतिशत टायर V और टायर VI केन्द्रों में स्थापित किए जाने चाहिए।

3.1 डबल्यूएलएओ को जारी किया गया प्राधिकार भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना किसी को नियत/अंतरित नहीं किया जा सकता है।

3.2 स्कीम बदलने की अनुमति नहीं होगी। कार्यान्वयन हेतु समय सीमा निर्धारित करने के लिए तिथि, प्राधिकरण जारी करने के 30 दिनों के बाद शुरू होगी।

3.3 यदि आवश्यकता हो तो, डबल्यूएलएओ को प्रणाली के सतत परिचालन के लिए एक वर्ष पूर्ण होने से तीन माह पूर्व अपने प्राधिकार को बढ़ाने के लिए आवेदन करना होगा, ।

4. उपर्युक्त लक्ष्य, भुगतान और निपटान अधिनियम 2007 के अंतर्गत विहित प्राधिकरण की शर्तों का भाग होंगे और इनका अनुपालन किया जाना अपेक्षित होगा। डबल्यूएलएओ द्वारा वार्षिक लक्ष्यों और अनुपातों का अनुपालन दर्शाने वाले आवश्यक प्रमाणपत्र एक वर्ष की समाप्ति के पश्चात एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाना है।

5. प्रारम्भ में केवल भारत में बैंकों द्वारा जारी किए गए कार्डों (घरेलू कार्ड) को ही डबल्यूएलए में प्रयोग किए जाने की अनुमति होगी।

6. डबल्यूएलए में डबल्यूएलएओ द्वारा जमाराशियों को स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

7. डबल्यूएलएओ को विज्ञापन प्रदर्शित करने की अनुमति होगी और समय –समय पर लागू विनियमों के अंतर्गत वैल्यू एडेड सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति होगी। ऐसे एटीएम में प्रदर्शित किए गए विज्ञापन भारतीय प्रचार मानक परिषद (एएससीआई) नियमों और विनियमों के अंतर्गत होगी। डबल्यूएलएओ को आरबीआई, सेबी, आईआरडीए और पीएफ़आरडीए द्वारा विहित विनियामक ढांचे के अनुसार वित्तीय उत्पादों के विज्ञापन प्रदर्शित करने की अनुमति होगी। हालांकि, डबल्यूएलए की स्क्रीन पर विज्ञापन प्रदर्शित करने की अनुमति होगी किन्तु जैसे ही ग्राहक लेनदेन शुरू करे वैसे ही ऐसे विज्ञापन स्क्रीन से हट जाने चाहिए ताकि लेनदेन के दौरान किसी भी तरह से ग्राहक का ध्यान न हटे।

8. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक के ग्राहकों द्वारा अन्य बैंकों के एटीएम का इस्तेमाल करने के संबंध में लागू एक महीने में पाँच मुफ्त लेनदेनों में डबल्यूएलए में किए गए लेनदेन भी शामिल होंगे।

9. डबल्यूएलए आपरेटर को कार्ड जारी करने वाले बैंक से, बैंक के स्वामित्व वाले एटीएम परिदृश्य के अंतर्गत “प्राप्तकर्ता (acquirer)” बैंक को देय “इंटरचेंज” शुल्क के अलावा अन्य किसी भी प्रकार का शुल्क प्राप्त करने की पात्रता नहीं होगी।

10. हालांकि डबल्यूएलए आपरेटर को बैंक ग्राहको द्वारा एटीएम संसाधनों का प्रयोग करने के लिए शुल्क प्राप्त करने की पात्रता होगी किन्तु डबल्यूएलए को बैंक ग्राहकों से डबल्यूएलए का उपयोग करने पर प्रत्यक्ष रूप से (directly) शुल्क लेने की अनुमति नहीं है।

11. बैंक के एटीएम में लेनदेन न हो पाने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के संबंध में विनियामक दिशानिर्देश यथोचित परिवर्तनों सहित ऐसे डबल्यूएलए में किए जाने वाले लेनदेनों पर लागू होंगे। बैंकों द्वारा परिचालित एटीएम का संचालन करने वाले सामान्य दिशानिर्देश भी यथोचित परिवर्तनों सहित ऐसे डबल्यूएलए पर लागू होंगे।


अनुबंध ख

डबल्यूएलए मॉडल में विभिन्न हितधारकों की भूमिकाएँ और उत्तरदायित्व
(संदर्भ डीपीएसएस सीओ पीडी सं. 2298 / 02.10.002 / 2011-2012 June 20, 2012)

अ. डबल्यूएलए आपरेटर (डबल्यूएलएओ)

1. गैर बैंक संस्थाएं डबल्यूएलए स्थापित करना और परिचालन करना केवल तभी आरंभ करेंगी जब उन्हें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत कर दिया गया हो।

2. बैंकों द्वारा परिचालित एटीएम के अधिग्रहण करने की अनुमति नहीं होगी। संस्थाएं इस बात पर ध्यान दें कि वे प्राधिकरण के दौरान निर्धारित किए गए मानदंडों के आधार पर ऐसे डबल्यूएलए की स्थापना के लिए रणनीति के तहत एक योजना तैयार करें। डबल्यूएलएओ को प्राधिकरण प्राप्त करने हेतु आवेदन के दौरान उनके द्वारा दी जाने वाली वैल्यू एडेड सेवा का भी उल्लेख करना चाहिए।

3. डबल्यूएलएओ के एक से अधिक प्रयोजक बैंक हो सकते हैं। प्रायोजक बैंक द्वारा किया जाने वाला डबल्यूएलएओ का प्रत्येक लेनदेन उपर्युक्त प्रायोजक बैंक द्वारा ही निपटाया जाएगा। प्रयोजक बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत एटीएम नेटवर्क आपरेटर/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटर का सदस्य और आरटीजीएस का सदस्य भी होना चाहिए। कई बैंकों द्वारा प्रयोजकता पर विचार करते समय डबल्यूएलएओ इस बात को सुनिश्चित करे कि सुरक्षा और ग्राहकों को दी जाने वाली सेवा के संबंध में कोई परिचालनगत अवरोध न हो।

4. डबल्यूएलए में नकदी प्रबंधन की ज़िम्मेदारी प्रयोजक बैंक की होगी, जो विभिन्न जगहों पर नकदी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यदि आवश्यक हुआ तो अन्य बैंकों के साथ आवश्यक व्यवस्था करेगा। हालांकि नकदी का स्वामित्व डबल्यूएलएओ का होगा पर डबल्यूएलए में उपलब्ध कराई जाने वाली नकदी की गुणवत्ता और असली नकदी उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी प्रयोजक बैंक की होगी। कभी भी डबल्यूएलएओ अथवा उसके एजेंटों की डबल्यूएलए में उपलब्ध नकदी तक पहुँच नहीं होगी।

5. डबल्यूएलएओ किसी भी प्राधिकृत एटीएम नेटवर्क आपरेटर/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटर के साथ संपर्क कर सकता है और इस बात को सुनिश्चित कर सकता है डबल्यूएलए में होने वाले लेनदेनों का निपटान उन एटीएम नेटवर्क आपरेटरों/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों के माध्यम से केवल प्रयोजक बैंक की बही में ही किया जाए जिनके साथ डबल्यूएलएओ ने संपर्क स्थापित किया है।

6. डबल्यूएलए की देखरेख करने और servicing के लिए डबल्यूएलएओ एकमात्र रूप से उत्तरदायी होगा।

ख. प्रयोजक बैंक

I. नकदी प्रबंधन

1. असली और अच्छी गुणवत्ता वाले नोटों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए डबल्यूएलएओ और प्रायोजक बैंक के बीच यथोचित सेवा स्तरीय करार (एसएलए) किया जा सकता है।

2. प्रायोजक बैंक उन जगहों पर जहां इसकी शाखाएँ नहीं हैं वहाँ पर विभिन्न डबल्यूएलए में नकदी की पर्याप्त आपूर्ति करने के लिए अन्य बैंकों से टाई-अप कर सकते है।

II. निधि निपटान

डबल्यूएलए लेनदेनों के संबंध में अंतर-बैंक निधि निपटान, जिसमें जारीकर्ता और प्रयोजक बैंक शामिल है, आवश्यक परिवर्तनों सहित प्राधिकृत एटीएम नेटवर्क आपरेटरों /कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों के द्वारा निर्धारित निपटान प्रक्रियाओं के अनुसार होगा।

III.ग्राहक शिकायत निवारण

1. हालांकि डबल्यूएलए में लेनदेन न हो पाने की स्थिति में ग्राहक की शिकायतों का निवारण करने का उत्तरदायित्व जारी करने वाले बैंक का होगा, प्रायोजक बैंक इस संबंध में आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा और इस बात को सुनिश्चित करेगा कि डबल्यूएलएओ जारीकर्ता बैंक को उचित रिकार्ड और सूचना उपलब्ध कराए। इस प्रयोजन के लिए प्रायोजक बैंक की डबल्यूएलएओ के साथ आवश्यक व्यवस्था होनी चाहिए।

2. बैंक द्वारा चलाए जा रहे एटीएम में एटीएम लेनदेन न हो पाने की स्थिति में शिकायतों के निवारण के लिए समय सीमा के संबंध में आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देश डबल्यूएलए में होने वाले लेनदेनों के संबंध में भी लागू होंगे। ऐसी शिकायतों के निवारण में होने वाली देरी जिसका उत्तरदायित्व प्रायोजक बैंक अथवा डबल्यूएलएओ पर होगा और जिसके परिणामस्वरूप जारीकर्ता बैंक को आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार अर्थदंड देना होगा, ऐसी स्थिति में जारीकर्ता बैंक की क्षतिपूर्ति प्रयोजक बैंक द्वारा की जाएगी। ऐसी राशि की वसूली के लिए प्रयोजक बैंक, डबल्यूएलएओ के साथ समुचित करार कर सकता है।

ग. प्राधिकृत एटीएम नेटवर्क आपरेट/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेट

1. एटीएम नेटवर्क आपरेटर/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटर किसी प्राधिकृत डबल्यूएलए आपरेटर के साथ सीधा connectivity प्रदान कर सकता है, यदि प्रायोजक बैंक के माध्यम से डबल्यूएलए में लेनदेन और उसके निपटान की सुविधा उपलब्ध करने के लिए आवश्यक हो।

2. एटीएम नेटवर्क आपरेटरों/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों को डबल्यूएलएओ को सदस्यों की तरह नेटवर्क के प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों और भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार विवाद निपटान तंत्र के दायरे में लाना चाहिए ।

घ. सामान्य

1. एटीएम नेटवर्क आपरेटरों/कार्ड पेमेंट नेटवर्क आपरेटरों, डबल्यूएलएओ और प्रायोजक बैंकों को त्रिपक्षीय सेवा स्तरीय करार (एसएलए) निष्पादित करने चाहिए ताकि डबल्यूएलए में होने वाले लेनदेनों के अंतर-बैंक निपटान से संबन्धित मुद्दों का निवारण और एटीएम पर लेनदेन न हो पाने संबंधी शिकायतों का निपटारा किया जा सके। सेवा स्तरीय करार (एसएलए) में स्पष्ट रूप से प्रत्येक पक्ष की भूमिका निर्धारित होनी चाहिए।

2. बैंक के एटीएम में सेवाओं, परिचलनों, नकदी संभालने (cash handling), सुरक्षा इत्यादि के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों नामतः भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (डीबीओडी), ग्राहक सेवा विभाग (सीएसडी), मुद्रा प्रबंध विभाग (डीसीएम) और बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीबीएस) द्वारा जारी सभी दिशानिर्देशों/निदेशों/अनुदेशों के संगत प्रावधान डबल्यूएलए पर भी लागू होंगे।


अनुबंध –ग

डबल्यूएलएओ द्वारा घोषित की जाने वाली अतिरिक्त जानकारी
(संदर्भ डीपीएसएस सीओ पीडी सं. 2298 / 02.10.002 / 2011-2012, 20 जून 2012)

क्र. सं.

अपेक्षित जानकारी

हाँ/नहीं

1.

क्या आवेदक संस्था के बहिर्नियमों (एमओए) में डबल्यूएलए के संचालन की प्रस्तावित गतिविधि शामिल है।

 

2.

क्या संस्था ने कंपनी में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ़डीआई) के मामले में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में समेकित नीति और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के अंतर्गत बनाए गए विनियमों के अंतर्गत औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा अधिसूचित नीति के तहत आवश्यक अनुमोदन लिया है ।

 

3.

क्या संस्था के पास पिछले लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार कम से कम 100 करोड़ रुपये की निवल मालियत है ।

 

4.

परिचालित की जाने वाली योजनाओं में से एक योजना दर्शाएँ (अ, आ, इ) और पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष में स्थापित किए जाने वाले डबल्यूएलए की संख्या दर्शाएँ ।

 

5.

क्या संस्था के पास इस क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव है? यदि हाँ तो कृपया उसका विवरण दें ।

 

6.

क्या संस्था बैंकों के स्वामित्व वाले एटीएम से संबन्धित किसी गतिविधि में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रही है यदि हाँ तो कृपया उसका विवरण दें ।

 

7.

वैल्यू एडेड सेवाओं का विवरण, यदि कोई हो या दिये जाने का प्रस्ताव हो ।

 


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