आरबीआई/2011-12/218
ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.एएमएल.बीसी.सं.21/03.05.33(ई)/2011-12
13 अक्तूबर 2011
अध्यक्ष
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदय अपने ग्राहक को जानिए मानदण्ड - भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र
जिसमें नाम, पता एवं आधार सं. के ब्यौरे दिए गए हैं
कृपया भारत सरकार की अधिसूचना सं. 14/2010/एफ. सं. 6/2/2007-ईएस 16 दिसंबर 2010 देखें जिसमें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र को जिसमें नाम, पता और आधार संख्या के ब्यौरे अंकित हैं, धनशोधन निवारण नियम, 2005 के नियम 2(1) (घ) में दिये गये आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है ।
2. कृपया, इस संबंध में 8 अगस्त 2011 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरआरबी. एएमएल.बीसी.सं. 15/03.05.33(ई)/2011-12 का पैराग्राफ 5 देखें, जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि खाता खोलने के लिए जब बैंक ‘अपने ग्राहक को जानिए’ दस्तावेज के रूप में केवल ‘आधार पत्र’ को ही खाता खोलने का आधार मानें तो ऐसा खाता उक्त संदर्भित सरकारी अधिसूचना में वर्णित ‘छोटे’ खातों पर लागू सभी शर्तों एवं सीमाओं के अधीन होगा । सरकार के साथ हुए परामर्श के पश्चात् अब यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा उपर्युक्त के अनुसार जारी पत्र को, बैंक खाते खोलने के लिए छोटे खातों पर लागू सीमाओं, जैसा कि हमारे संदर्भित परिपत्र के पैरा 5 में निर्धारित किया गया है, के बिना ही आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए ।
3. कृपया इस संदर्भ में आपका ध्यान अपने ग्राहक को जानिए दिशा-निर्देश पर दिनांक 18 फरवरी 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.आरआरबी.बीसी.81/03.05.33(ई)/2004-05 के पैराग्राफ 3 तथा केवाईसी/एएमएल/सीएफटी-ग्राहक पहचान से संबद्ध आरआरबी पर दिनांक 27 फरवरी 2008 के परिपत्र ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.सं.बीसी.50/03.05.33(ई)/2007-08 के पैरा 3 की ओर भी आकर्षित किया जाता है । यह पुनः दोहराया जाता है कि ‘आधार’ के आधार पर खाते खोलते समय भी बैंकों को मौजूदा अनुदेशों के अनुसार ग्राहक के वर्तमान पते के संबंध में अपेक्षित साक्ष्य प्राप्त करके संतुष्टि कर लेनी चाहिए ।
4. अनुपालन अधिकारी / प्रमुख अधिकारी कृपया इस पत्र की प्राप्ति-सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें।
भवदीय
( सी.डी.श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक
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