आरबीआइ/2011-2012/171
ग्राआऋवि.एस एम ई एण्ड एन एफ एस. बीसी. 19/06.02.31/2011-12
12 सितंबर 2011
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदया / महोदय,
रुग्ण एसएमई इकाईयों के पुनर्वास हेतु दिशा-निर्देश
कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 16 जनवरी 2002 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सं. पीएलएनएफएस. बीसी. 57/ 06.04.01/ 2001-02 के अनुबंध I का पैराग्राफ 5 देखें। उक्त परिपत्र के परिशिष्ट – II में प्रस्तुतानुसार पुनर्वास हेतु संभाव्य अर्थक्षम रुग्ण लघु उद्योग इकाईयों को बैंकों द्वारा छूट और रियायतें प्रदान करने के नियमों की हाल ही में पुनः जांच की गई। यह पाया गया कि सभी बैंकों ने 1 जुलाई 2010 से आधार दर (बेस रेट) पद्धति की ओर रूख किया है तथा पीएलआर / बीपीएलआर का संदर्भ हवाला अब अर्थपूर्ण नहीं है।
2. ब्याज दरों पर वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंकों को आधार दर से कम उधार देने की अनुमति नहीं है। तथापि, "अग्रिमों पर ब्याज दरें" पर 1 जुलाई 2011 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि.सं.डीआईआर.बीसी.5/13.03.00/2011-12 के पैरा 2.3.1.3 के अनुसार पुनर्संरचित ऋणों के मामले में यदि व्यवहारिकता के लिए कुछ डब्ल्यूसीटीएल, एफआईटीएल आदि को आधार दर से कम प्रदान करने की आवश्यकता पड़े और क्षतिपूर्ति आदि शर्तें हों तो अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा प्रदत्त ऐसे उधार को आधार दर पर दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं समझा जाएगा।
3. साथ ही, दिनांक 4 मई 2009 के आरपीसीडी परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमईएण्डएनएफएस.बीसी. 102/06.04.01/2008-09 द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अर्थक्षम/संभाव्य अर्थक्षम रुग्ण एमएसई ईकाईयों / उद्यमों के पुनरूत्थान के लिए स्वयं की पुनर्संरचना / पुनर्वास नीति अपने निदेशक मंडल से अनुमोदित कराके तैयार करें।
4. उक्त गतिविधियों को देखते हुए, पुनर्वासाधीन अर्थक्षम / संभाव्य अर्थक्षम रुग्ण ईकाईयों को प्रदान दिनांक 16 जनवरी 2002 के हमारे परिपत्र के परिशिष्ट – II में निर्धारित राहत और रियायतें वापस लिए जाते हैं।
5. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अर्थक्षम / संभाव्य अर्थक्षम रुग्ण एमएसई ईकाईयों / उद्यमों के पुनरूद्धार के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित पुनर्संरचना / पुनर्वास नीति तैयार करें।
6. कृपया प्राप्ति सूचना दें।
भवदीय
( सी. डी. श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक |