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अधिसूचनाएं

बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम 2020 - सहकारी बैंकों के नाम में परिवर्तन

आरबीआई/2023-24/79
विवि.आरईजी/एलआईसी.सं.55/07.01.000/2023-24

30 अक्तूबर 2023

महोदया / महोदय

बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम 2020 - सहकारी बैंकों के नाम में परिवर्तन

बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम (2020 की संख्या 39) की अधिसूचना के अनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 ('बीआर अधिनियम') की धारा 49बी और 49सी सहकारी बैंकों पर लागू होती हैं। धारा 49बी के अनुसार, सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस)/सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) किसी भी सहकारी बैंक के नाम के परिवर्तन के लिए अपनी स्वीकृति को तब तक सूचित नहीं करेंगे जब तक कि रिज़र्व बैंक लिखित रूप में प्रमाणित नहीं करता है कि उसे इस तरह के बदलाव पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके अलावा, धारा 49सी के अनुसार, किसी सहकारी बैंक के उप-नियमों में परिवर्तन की पुष्टि के लिए कोई भी आवेदन तब तक विचारणीय नहीं होगा जब तक कि रिज़र्व बैंक यह प्रमाणित नहीं कर देता कि ऐसे परिवर्तन पर कोई आपत्ति नहीं है।

2. तदनुसार, किसी सहकारी बैंक द्वारा नाम में किसी भी परिवर्तन के लिए पालन की जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का निर्णय लिया गया है, जोकि अनुबंध-1 में संलग्न है।

प्रारंभ

3. ये दिशानिर्देश इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से प्रभावी होंगे।

भवदीय

(मनोरंजन पाढ़ी)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्‍नक: अनुबंध - 1 और 2


अनुबंध - 1

बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम 2020 - सहकारी बैंकों के नाम में परिवर्तन

1. अपने नाम में परिवर्तन के इच्छुक सहकारी बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 ('बीआर अधिनियम') की धारा 49बी और 49सी के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रदान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय (मुंबई कार्यालय के दायरे में आने वाले सहकारी बैंकों के मामले में डीओएस, केंद्रीय कार्यालय) के पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस) से स्पष्ट रूप से इस तरह के बदलाव के कारण बताते हुए (अनुबंध - 2 में दिए गए प्रारूप के अनुसार) संपर्क करेंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक को ऐसे अनुरोध प्रस्तुत करने के समय बैंक की साधारण सभा की स्वीकृति अनिवार्य होगी।

2. बीआर अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 49सी के तहत आरबीआई से अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल तभी आवश्यक होगा जब लागू सहकारी अधिनियम / नियम के तहत उपनियमों में बदलाव के लिए केंद्र/राज्य सरकार, एक या एक से अधिक प्राधिकरण/प्राधिकारियों से 'पुष्टि' की आवश्यकता हो। सहकारी बैंक के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह आरबीआई को अपना अनुरोध प्रस्तुत करते समय लागू सहकारी अधिनियम / नियमों के तहत 'पुष्टि' के लिए उपर्युक्त आवश्यकता के संबंध में लिखित रूप में एक घोषणा दे।

3. यह नोट किया जाए कि सहकारी बैंक नाम और उप-नियमों में परिवर्तन के लिए अपने अनुरोध केवल तभी प्रस्तुत करेंगे, जब वे प्रस्तावित परिवर्तन के वैध और बाध्यकारी कारणों से समर्थित हों। यह ध्यान दिया जाए कि आरबीआई के पास यह आकलन करने का विवेक होगा कि बैंक द्वारा प्रस्तुत कारण वैध और बाध्यकारी हैं या नहीं।

4. रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने के बाद, सहकारी बैंक अपने उपनियमों में संशोधन के लिए केंद्रीय सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) या सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस)1 से संपर्क करेंगे। सीआरसीएस/आरसीएस से अनुमोदन प्राप्त होने के बाद, सहकारी बैंक निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में आवेदन करेंगे:

i. निदेशक मंडल की स्वीकृति

ii. बैंक की साधारण सभा का अनुमोदन

iii. सीआरसीएस/आरसीएस द्वारा अनुमोदित संशोधित उपनियम

iv. संशोधित नाम के अनुसार सीआरसीएस/आरसीएस द्वारा जारी सीओआर की प्रति

v. मूल बैंकिंग लाइसेंस

5. सरकारी अधिसूचना के कारण भी यदि नाम में परिवर्तन होता है तो भी सहकारी बैंक, बैंक के नाम में परिवर्तन के लिए उपर्युक्त प्रक्रिया का पालन करेंगे। कोई भी सहकारी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए बैंकिंग लाइसेंस में अपने नाम में तदनुरूप परिवर्तन किए बिना संशोधित नाम को प्रदर्शित/परिचालित नहीं करेगा। साथ ही, बैंक का प्रदर्शित नाम पूरी तरह से उसके बैंकिंग लाइसेंस के नाम के अनुसार होना चाहिए।


1 जैसा भी मामला हो, उस कानून के तहत जिसके तहत सहकारी बैंक पंजीकृत है।


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