भारिबै/2017-18/186
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.108/21.04.048/2017-18
6 जून 2018
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफ़सी)
महोदया/ महोदय
एमएसएमई क्षेत्र को औपचारिक बनाने को प्रोत्साहन देना
कृपया दिनांक 07 फरवरी 2018 का परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.100/21.04.048/2017-18 देखें।
2. इनपुट ऋण संबंद्धता और अनुषंगी संबंधों पर विचार करते हुए, अब यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों और एनबीएफ़सी को सभी एमएसएमई, जीएसटी के तहत पंजीकृत न किए गए सहित, के प्रति उनके एक्सपोजर को, देय तिथि के 180 दिन बाद के मापदंड के अनुसार, "मानक आस्ति" के रूप में वर्गीकृत करने की अस्थाई अनुमति दी जाती है, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:
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उधारकर्ता को, बैंकों और एनबीएफसी द्वारा, गैर-निधि आधारित सुविधाओं सहित कुल एक्सपोजर 31 मई 2018 की स्थिति के अनुसार ₹ 250 मिलियन से अधिक नहीं है।
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उधारकर्ता का खाता 31 अगस्त 2017 की स्थिति के अनुसार मानक था।
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उधारकर्ता द्वारा 1 सितंबर 2017 को देय भुगतान और उसके बाद 31 दिसंबर 2018 तक देय भुगतान उनकी मूल देय तिथि से 180 दिनों के बाद नहीं किया गया है/था।
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जीएसटी-पंजीकृत एमएसएमई द्वारा 1 जनवरी 2019 से देय बकाया राशि के संबंध में, देय तिथि के 180 दिनों के बाद के मानदंड को, मौजूदा आईआरएसी मानदंडों से चरणबद्ध तरीके से संरेखित किया जाएगा, जैसा कि अनुबंध में दिया गया है। तथापि, 31 दिसंबर 2018 तक जीएसटी के तहत न पंजीकृत हुए एमएसएमई के लिए, 1 जनवरी 2019 से देय बकाया राशि के संबंध में आस्ति वर्गीकरण वर्तमान आईआरएसी मानदंडों के अनुसार तत्काल किया जाने लगेगा।
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07 फरवरी 2018 के परिपत्र के अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।
भवदीय
(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध
वह अवधि जिसके बीच कोई भुगतान देय है |
अनुमेय समय |
1 सितंबर 2017 –31 दिसंबर 2018 |
180 दिन |
1 जनवरी 2019 – 28 फरवरी 2019 |
150 दिन |
1 मार्च 2019 to 30 अप्रैल 2019 |
120 दिन |
1 मई 2019 और आगे |
90 दिन |
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