भारिबैंक/2012-13/134
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.7
16 जुलाई 2012
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
भारतीय कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में अर्हता प्राप्त
विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश करने के लिए योजना
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंकों का ध्यान 9 अगस्त 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.8, 3 नवंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.42, 13 जनवरी 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.66 और 1 मार्च 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.89 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को घरेलू पारस्परिक (म्युच्युअल) निधियों की रुपये में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों और सूचीबद्ध ईक्विटी शेयरों में निवेश करने और सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों को सूचीबद्ध कर्ज प्रतिभूतियों में, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत, निवेश करने की अनुमति दी गयी है।
2. अब यह निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को (इसके बाद निम्नलिखित पैराग्राफ 2 (v) में दी गयी संशोधित परिभाषा के अनुसार) प्रत्यावर्तन के आधार पर, निम्नलिखित शर्तों के तहत, कर्ज प्रतिभूतियों को खरीदने की अनुमति दी जाए;
(i) पात्र लिखत और पात्र लेनदेन - अर्हताप्राप्त विदेशी संस्थागत निवेशकों को सेबी के पास पंजीकृत अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागियों (मौजूदा सेबी विनियमावली के अनुसार यथा परिभाषित) के मार्फत पात्र कार्पोरेट कर्ज लिखतों यथा सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचरों, भारतीय कंपनियों के सूचीबद्ध बांडों, पारस्परिक निधि कर्ज योजनाओं की सूचीबद्ध यूनिटों और सूचीबद्ध किए जाने वाले कार्पोरेट बांडों में निर्गम के जारीकर्ता से या भारत में मान्यता प्राप्त शेयर बाजार द्वारा मान्यताप्राप्त पंजीकृत शेयर दलाल से सीधे खरीद के मार्फत निवेश करने की अनुमति दी जाएगी।
सूचीबद्ध होने वाले कार्पोरेट बांड यदि 15 दिनों में सूचीबद्ध नहीं हो पाते हैं, तो इस बाबत विदेशी संस्थागत निवेशकों के संबंध में 1 मार्च 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) सं.89 में लगाई गई शर्तें अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों पर लागू होंगी।
अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को इस बात की अनुमति होगी कि वे इस प्रकार खरीदी गयी पात्र कर्ज प्रतिभूतियों को भारत में किसी मान्यताप्राप्त शेयर बाज़ार के पास पंजीकृत शेयर दलाल के मार्फत या निर्गमकर्ता द्वारा पुनर्खरीद के तहत बेच सकते हैं अथवा भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
(ii) भुगतान/प्रत्यावर्तन का तरीका - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (9 अगस्त 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.8 और 3 नवंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.42 के अनुसार) घरेलू पारस्परिक निधियों की यूनिटों, (13 जनवरी 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.66 के अनुसार) सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों के ईक्विटी शेयरों और (उल्लिखित मद (i) में दिए गए अनुसार) पात्र कर्ज प्रतिभूतियों, जिन्हें इसके बाद अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए पात्र प्रतिभूतियों के रूप में वर्णित किया गया है, की खरीद एवं बिक्री संबंधी लेनदेनों के तहत प्राप्तियों और भुगतानों के सीमित प्रयोजन हेतु भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक के पास, निम्नलिखित शर्तों के अधीन, एक ब्याज रहित रुपया खाता खोल सकते हैं:
(ए) इस खाते में निधियों का आवक विप्रेषण सामान्य बैंकिंग चैनल से किया जाएगा और अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए पात्र प्रतिभूतियों की बिक्री/मोचन/पुनर्खरीद आमदनी (कर घटाकर) और खाते पर प्राप्त ब्याज /लाभांश जमा किया जाएगा ।
(बी) इस खाते में जमा निधियों का उपयोग अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा पात्र प्रतिभूतियों की खरीद अथवा (करों को घटाकर) भारत से बाहर विप्रेषित करने के लिए किया जा सकेगा।
(सी) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक की ओर से और अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक के अनुदेशों के अनुसार निक्षेपागार सहभागी ब्याज रहित रुपया खाते का परिचालन करेगा ।
9 अगस्त 2011, 3 नवंबर 2011 और 13 जनवरी 2012 के क्रमश: ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.8, 42 और 66 उल्लेखानुसार संशोधित हो गए हैं। तदनुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि अब से अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागी (क्यूडीपी) को एकल रुपया पूल बैंक खाता खोलने और रखने की जरूरत नहीं है और अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए पात्र सभी प्रतिभूतियों में निवेश करने हेतु अब से अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक इस एकल ब्याज रहित रुपया खाते का उपयोग कर सकते हैं ।
(iii) डीमैट खाते - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए योजना के अंतर्गत सभी पात्र कर्ज प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागी के पास एकल डीमैट खाता खोलने की अनुमति होगी। यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रत्येक अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक भारत में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए पात्र प्रतिभूतियों में सभी निवेशों के लिए अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागी के पास एकल डीमैट खाता रखेगा।
(iv) सीमाएं - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों (किसी अवरुद्धता अवधि या अवशिष्ट परिपक्वता अवधि की शर्त के बिना) एवं पारस्परिक निधि योजना में कुल मिलाकर एक बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा तक निवेश करने की अनुमति दी जाती है। यह सीमा कार्पोरेट कर्ज में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के अलावा होगी ।
(v) पात्रता - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के लिए समस्त पात्र प्रतिभूतियों में निवेश के लिए अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक की परिभाषा निम्नवत होगी:
अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक का तात्पर्य निम्नलिखित मानदंड पूरे करने वाला वह व्यक्ति है जो:
(ए) उस देश का निवासी है जो वित्तीय कार्रवाई कार्यदल का सदस्य देश या उस समूह का सदस्य है जो वित्तीय कार्रवाई कार्यदल का सदस्य है; और
(बी) उस देश का निवासी है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति संगठन के सहमति ज्ञापन (परिशिष्ट ए का हस्ताक्षरकर्ता) या सेबी के साथ द्विपक्षीय सहमति ज्ञापन का हस्ताक्षरकर्ता है।
बशर्ते ऐसा व्यक्ति उस देश का निवासी न हो जो वित्तीय कार्रवाई कार्यदल द्वारा धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध संबंधी रणनीतिक कमियों के क्षेत्र के रूप में सार्वजनिक विवरण में सूचीबद्ध किया गया हो, जिसके संबंध में प्रति उपाय लागू होते हैं या जिसने इन कमियों को दूर करने में पर्याप्त प्रगति नहीं की है या इन कमियों को दूर करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्यदल द्वारा तैयार की गयी कार्ययोजना को लागू करने के लिए वचन नहीं दिया है;
बशर्ते ऐसा व्यक्ति भारत में निवास न करता हो;
इसके अलावा यह भी शर्त है कि वह सेबी के पास विदेशी संस्थागत निवेशक या विदेशी संस्थागत निवेशक का उप खाता(धारक) या विदेशी जोखिम पूँजी निवेशक के रूप में पंजीकृत न हो।
स्पष्टीकरण – इस शर्त के प्रयोजन के लिए
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सेबी के साथ द्विपक्षीय सहमति ज्ञापन का अर्थ, अन्य बातों के साथ-साथ, सेबी और समुद्रपारीय विनियामक के बीच संपन्न द्विपक्षीय सहमति ज्ञापन के तहत आपस में सूचना का आदान-प्रदान करने से है ।
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वित्तीय कार्रवाई कार्यदल के सदस्य का अर्थ वित्तीय कार्रवाई कार्यदल का सहयोगी सदस्य होना नहीं है।
(vi) अपने ग्राहक को जानिये – अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागी सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट अपने ग्राहकों को जानने संबंधी मानदंडों के अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक का होना सुनिश्चित करेगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा मौजूदा मानदंडों के अनुसार एकल ब्याज रहित रुपया खाता खोलने और रखने के संबंध में अपने ग्राहक को जानने संबंधी मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करेगा ।
(vii) अनुमत मुद्राएं - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक सामान्य बैंकिंग चैनल से अनुमत मुद्रा (मुक्त रूप में परिवर्तनीय) में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक के पास रखे अपने एकल ब्याज रहित रुपया खाते में आवक विप्रेषण भेजेगा।
(viii) कीमत निर्धारण - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा इस योजना के अंतर्गत किए गए सभी पात्र लेनदेनों और सभी पात्र प्रतिभूतियों में निवेशों के लिए कीमत निर्धारण इस संबंध में, समय-समय पर, जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होगा ।
(ix) रिपोर्टिंग – सेबी द्वारा किए गए विनिर्देशानुसार इस संबंध में रिपोर्टिंग के अलावा, अर्हताप्राप्त निक्षेपागार सहभागी और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक (अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों के खाते रखने वाले), समय-समय पर, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट तरीके और फॉर्मेट के अनुसार रिपोर्टिंग करेंगे ।
(x) हेजिंग – अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक अनुमत निवेशों के संबंध में मुद्रा जोखिमों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, जारी दिशानिर्देशों के अनुसार हेजिंग कर सकेंगे ।
3. उल्लिखित ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्रों में निहित सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी), विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी) और विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।
भवदीया,
[(डॉ.) सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद]
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |