भारिबैंक/2011-12/618
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.135
25 जून 2012
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों
में विदेशी निवेश और सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों और
अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज (Debt) में निवेश
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची 5 और 29 अप्रैल 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 55 एवं 3 नवंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 42 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिनके अनुसार उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत विदेशी संस्थागत निवेशकों को (i) इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 'इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों' के रूप में वर्गीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के अंतर्गत निवेश करने; और (ii) 15 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति दी गयी है।
2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 9 अगस्त 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.8 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार उसमें दी गई परिभाषा के तहत, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए विनिर्दिष्ट 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के अंतर्गत, म्युच्युअल फंड गत कर्ज योजनाओं की यूनिटों में 3 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा तक, निवेश करने की अनुमति दी गयी थी।
3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि:
सरकारी प्रतिभूतियाँ
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सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश करने के लिए 15 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा को तत्काल प्रभाव से 5 बिलियन बढ़ाकर 20 बिलियन अमरीकी डॉलर किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत, निवेशों को विनियमित करने वाली शर्तों को और अधिक युक्तिसंगत बनाते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट फंड में निवेश करने वाले सेबी के पास पंजीकृत पात्र अनिवासी निवेशकों एवं विदेशी केंद्रीय बैंकों द्वारा प्रथम खरीद के समय 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप सीमा हेतु लिखत की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि न्यूनतम 3 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, मौजूदा और नई सीमाएं, संबंधित शर्तों के साथ, सारांश के रूप में नीचे दी गई हैं :
मौजूदा स्थिति |
नई स्थिति |
टिप्पणी |
उप सीमा |
शर्तें |
उप सीमा |
शर्तें |
10 बिलियन अमरीकी डॉलर |
कोई शर्त नहीं |
10 बिलियन अमरीकी डॉलर |
कोई शर्त नहीं |
अपरिवर्तित |
5 बिलियन अमरीकी डॉलर |
अवशिष्ट परिपक्वता अवधि न्यूनतम 5 वर्ष |
10 बिलियन अमरीकी डॉलर (मौजूदा 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप सीमा तथा 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ाई गयी सीमा ) |
विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा प्रथम खरीद के समय न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अवधि 3 वर्ष |
उप सीमा में वृद्धि और शर्तों में परिवर्तन |
इसके अलावा, सरकारी प्रतिभूतियों के लिए अनिवासी निवेशकों के आधार को विस्तृत करने हेतु, यह भी निर्णय लिया गया है कि सरकारी संपदा निधियों (एसडब्ल्यूएफएस), बहुपक्षीय एजेंसियों, धर्मादा निधियों, बीमा निधियों, पेंशन निधियों और विदेशी केंद्रीय बैंकों, जिन्हें सेबी के पास पंजीकृत होना है, जैसे दीर्घकालिक निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की, बढ़ाई हुई सीमा, में निवेश करने की भी अनुमति दी जाए।
इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज (Debt)
ii. एक वर्ष की अवरूद्धता अवधि/अवशिष्ट परिपक्वता अपेक्षा वाली 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप सीमा सहित 22 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (जो इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेट बांडों मे निवेश के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर है) में अनिवासी निवेश के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर संबंधी शर्तें निम्नवत परिवर्तित की गयी है :
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इस सीमा के अंतर्गत अवरुद्धता अवधि समान रूप से घटाकर एक वर्ष कर दी गयी है; और
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किसी विदेशी संस्थागत निवेशक / पात्र इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड निवेशक के लिए लिखत की प्रथम खरीद के समय अवशिष्ट परिपक्वता अवधि न्यूनतम 15 माह होगी ।
iii. इसके अलावा, उपायों में ढील देने के तहत अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से संबंधित म्युच्युअल फंडों में मौजूदा 3 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप सीमा के अंतर्गत उन म्युच्युअल फंडों की योजनाओं में निवेश कर सकते हैं जो अपनी परिसंपत्तियों (या तो कर्ज में अथवा ईक्विटी में अथवा दोनों में) का कम से कम 25 प्रतिशत अंश इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में रखे हों । यह ढील समीक्षा के अधीन है।
4. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के किसी निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
मुख्य महाप्रबंधक |